Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
इस आग पर काबू नहीं पाया गया, तो जल जाएगा बहुत कुछ - Sabguru News
होम Rajasthan Jaipur इस आग पर काबू नहीं पाया गया, तो जल जाएगा बहुत कुछ

इस आग पर काबू नहीं पाया गया, तो जल जाएगा बहुत कुछ

0
इस आग पर काबू नहीं पाया गया, तो जल जाएगा बहुत कुछ

जयपुर। राजस्थान में मेवाड़-वागड़ की धरती अपने शौर्य और पराक्रम के लिए जानी जाती है। मेवाड़ का कण-कण अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए बलिदान देने वाले महाराणा प्रताप और हर परिस्थिति में उनका साथ देने वाले पूंजा भील जैसे जनजाति समाज के शूरवीरों की भी गाथाएं कहता है। हर समय अपनी संस्कृति, जल, जंगल, जानवर और जमीन के लिए सजग जन वनों में रहने वाले हों या नगरों में इस भूमि के भामाशाह सभी शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की मिसाल रहे हैं।

वागड़ मेवाड़ की धरा सिर्फ प्राकृतिक रूप से सुंदर नहीं है, बल्कि मावजी महाराज, गोविंद गुरु एवं मामा बालेश्वर दयाल की प्रेरणा से रहन-सहन और हर वर्ग के बीच आपसी सौहार्द की दृष्टि से भी खूबसूरत है….लेकिन अब यही धरा सुलगने लगी है। आदिवासी संस्कृति और को बचाने के नाम पर कुछ ऐसे तत्व यहां सक्रिय हो रहे हैं, जो इस पूरे क्षेत्र की शांति और परम्पराओं को ही खत्म करने पर आमादा हैं। इन्हें राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है।

येे इस पूरे क्षेत्र के युवाओं को बरगलाने में सफल हो रहे हैं, उनसे हिंसक आंदोलन करवा रहे है और शिक्षक पदों पर नियुक्ति की मांग से प्रारम्भ हुआ मामला अब अलग भील प्रदेश की मांग तक जा पहुंचा है। ये आग जिस तरह से सुलग रही है, उसे समय रहते नहीं रोका गया तो राजस्थान का यह सबसे शांतिपूर्ण क्षेत्र, पूरे प्रदेश के लिए चिंता का कारण बन जाएगा।

देश में झारखंड, बिहार, बंगाल, और छत्तीसगढ जैसे राज्यों में जनजातियों के हक को बचाने के नाम पर समृद्ध वन प्रदेशों को नक्सलवादी आंदोलन की आग में झोंक दिया गया। ये आंदोलन चलते हुए चार दशक से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन जनजातियों की हालत में आज भी कोई सुधार नहीं है। वे आज भी अपने जन, जल, जंगल, जंगल और प्रकृति पूजन की परम्परा को बचाने के लिए उसी तरह संघर्ष कर रहे है, जैसे पहले कर रहे थे…. हां उनके हक की लड़ाई लड़ने वालों का अलग माफिया जरूर खड़ा हो गया है जो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन चुका है।

राजस्थान के उदयपुर, बांसवाडा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ व सिरोही जिलों में जनजाति समाज का बाहुल्य है। इन जिलों में बहुत बडा भू भाग वन क्षेत्र है और सदियों से इस क्षेत्र के वननिवासी अपनी परम्पराओं और संस्कृति के साथ रह रहे हैं। यह पूरा क्षेत्र अब तक काफी शांत रहा है और दूसरे राज्यों की तरह यहां ऐसा कोई बड़ा आंदोलन देखने को नहीं मिला है, जिससे नक्सलवाद की बू आती हो, हालांकि राज्य की खुफिया एजेंसियां इस बात के लिए चेताती रही हैं कि इस इलाके में धीरे-धीरे ऐसे आंदोलन के बीज पड़ रहे हैं।

यहां के भील मीणा, गरासियाओं को उनके हक, संस्कृति, जल, जंगल, जमीन को बचाने के नाम गुमराह किया जा रहा है और जो वामपंथी ताकतें दूसरे राज्यों में इस तरह की अशांति फैलाने के लिए जिम्मेदार रही हैं, वे ही अब यहां भी सक्रिय हो रही हैं। इसकी शुरूआत करीब दस-बारह वर्ष पहले हुई थी, जब कुछ बड़े वामपंथी नेताओं ने इन इलाकों का दौरा शुरू किया था। हालांकि इस पूरे इलाके में राजस्थान के दो प्रमुख राजनीतिक दलों कांग्रेस और भाजपा जमीनी स्तर पर अपनी अच्छी पकड़ रखते हैं।

ऐसे में वामपंथी ताकतों को यहां बहुत जल्द कुछ हासिल नहीं हुआ, लेकिन आग धीरे-धीरे सुलग रही थी और 2017 में जब गुजरात की भारतीय ट्राइबल पार्टी के कार्यकर्ताओं ने यहां खुले तौर पर राजनीतिक ढंग से काम करना शुरू किया तो महसूस होने लगा कि स्थितियां गम्भीर होने लगी हैं।

भारतीय ट्राइबल पार्टी ने इस इलाके के युवाओं पर पकड़ बनानी शुरू की और डूंगरपुर के सरकारी काॅलेजों में छात्रसंघों पर इस विचार के कब्जे ने यह साफ कर दिया कि यह दल अपनी आक्रामक नीति के चलते युवआों के बीच जगह बना चुका है।

इसके बाद विधानसभा चुनाव में डूंगरपुर की ही दो सीटों पर जीत ने इस पार्टी को एक राजनीतिक ताकत के रूप में पहचान दिला दी। इस राजनीतिक ताकत को और ज्यादा ताकत पिछले दिनों प्रदेश के सियासी संकट के दौरान मिली, जब सरकार बचाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो विधायकों का समर्थन लिया।

अब पिछले चार दिन से हम डूंगरपुर, उदयपुर में जो हिंसक आंदोलन होता देख रहे है, वह इस राजनीतिक ताकत का ही प्रदर्शन है। शिक्षको के सामान्य वर्ग के 1169 पद भी आरक्षित वर्ग को ही देने की मांग को लेकर 18 दिन से एक पहाड़ पर बैठ कर आंदोलन कर रहे युवाओं को यह पार्टी खुला समर्थन दे रही है। इनकी मांग को खारिज कर न्यायालय यह बात साबित कर चुका है इनकी मांग नाजायज है, इसके बावजूद आंदोलन का हिंसक रूप लेना कहीं ना कहीं यह बताता है कि मामला अब सिर्फ इन शिक्षक पदो तक सीमित नहीं है।

शुक्रवार को आंदोलन के दौरान अलग भील प्रदेश को लेकर जिस तरह के नारे लगे, उसने इस बात के संकेत भी दे दिए हैं कि बात निकली है तो अब दूर तलक जाएगी। यहां हो रही हिंसा के बीच डूंगरपुर के जिला कलक्टर स्वयं मान चुके है कि एक विशेष विचार के लोग जो जनजातियों को हिंदू समाज का अंग नहीं मानते वे यहां आकर अशांति फैला रहे हैं, यानी इस पूरे आंदोलन मेें उपरी तौर पर भले ही कुछ भी दिख रहा हो, लेकिन इसके निहितार्थ बहुत गहरे हैं और असर काफी गहरा होगा।

जहां तक भाजपा और कांग्रेस का सवाल है तो स्थानीय स्तर पर तो दोनों दल बीटीपी को “बाहरी“ मानते हैं। नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया मेवाड़ का ही प्रतिनिधित्व करते है, इसलिए वे पहले भी यहां की स्थितियों को लेकर अब फिर पुरजोर ढंग से सरकार को चेता रहे हैं। उनका कहना है कि जो भी मांग है, उसे लोकतांत्रिक ढंग से रखा जाए तो ठीक है, लेकिन हिंसक आंदेालन पर सरकार को कड़ाई से कार्रवाई करनी चाहिए।

जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो कांग्रेस में इस क्षेत्र के बड़े नेताओं में शामिल रघुवीर मीणा हिंसक आंदोलन की खुल कर निंदा कर चुके हैं और स्थितियों को अच्छा नहीं मान रहे हैै, लेकिन कांग्रेस पार्टी का ऐसा ही रूख प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर पर होगा, इस बारे में कुछ संशय है। प्रदेश स्तर पर सरकार के लिए इन दो विधायकों का समर्थन सरकार के लिए आगे भी जरूरी रहेगा। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे आंदोलनों के प्रति कांग्रेस के मौजूदा नेतृत्व का रूख कैसा रहता है, यह हम अलग-अलग प्रदेशों में देख चुके है।

बहरहाल आंदोलन को लेकर सरकारी तंत्र अपना काम कर रहा है और पुलिस ने सख्ती दिखाना भी शुरू किया है। आंदोलनकारियो से बातचीत भी चल रही है, लेकिन हिंसा थम नहीं रही है। खेरवाडा के बाद रविवार को ऋषभदेव भी हिंसा की चपेट में आ गया।

सरकार ने केन्द्र सरकार से मदद मांगी है। ऐसे में हो सकता है कि आंदोलन पर तो फिलहाल काबू पा लिया जाए, लेकिन सिर्फ आंदोलन पर काबू पाने से कुछ नहीं होगा। यहां की जनता का प्रतिनिधित्व करने वालों को राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तर पर बहुत तेजी से काम करना पड़ेगा साथ ही राज्य के बाहर से आये अराजक तत्वों की पहचान कर कानूनी कार्यवाही करनी होगी, अन्यथा यह अग्नि दावानल बनकर सुरम्य वन प्रदेश को राख में बदल देगी।