कोरोना वायरस को लेकर डब्ल्यूएचओ यानी विश्व स्वास्थ संगठन के अधिकांश बयान दहशत फैलाने वाले रहे हैं । मार्च के प्रथम सप्ताह से ही यह वैश्विक महामारी जब से दुनिया के तमाम देशों में फैली है उसको लेकर विश्व स्वास्थ संगठन आए दिन अपना बुलेटिन जारी करता रहा है । डब्ल्यूएचओ की शायद ही ऐसी कोई इस महामारी को लेकर प्रतिक्रिया या बयान आया हो जिससे लोगों में जज्बा या उत्साह दिखा हो । अमेरिका, इटली, ईरान, फ्रांस, रूस, भारत आदि देश इस महामारी को जल्द खत्म करने के लिए दिन रात लगे हुए हैं वहीं दूसरी और विश्वास संगठन के शीर्ष अधिकारी इसे लंबा और दीर्घकालिक बताने में अपने बयान दे रहे हैं । अभी 2 दिन पहले ही इटली के डॉक्टरों ने करोना महामारी को लेकर कहा कि अब यह वायरस धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगा है ।
WHO new updates on covid 19
इस बार भी डब्ल्यूएचओ के प्रोग्राम इमरजेंसी डायरेक्टर माइक रायन ने जो कुछ कहा वह भी यह डराने वाला रहा । वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने सोमवार को एक रिपोर्ट में चेतावनी देते हुई कहा कि कोरोना वायरस ने अभी तक अपनी क्षमता नहीं खोई है । यह वायरस अभी भी पहले जितना ही जानलेवा है, जिससे रोजाना हजारों लोगों की मौत हो रही है । माइक रायन ने कहा कि हमें बहुत ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है । हमें ऐसा बिल्कुल नहीं सोचना चाहिए कि रोगजनक वायरस अपनी क्षमता खो बैठा है, ऐसा बिल्कुल नहीं है ।
पहले भी डब्ल्यूएचओ इस महामारी को लेकर नकारात्मक बयान दे चुका है
पिछले दो महीनों में डब्ल्यूएचओ के शीर्ष अधिकारी कोरोना वायरस को लेकर कई बार नकारात्मक बयान दे चुके हैं । इस महामारी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के बयानों पर नाराज होकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इतने अधिक नाराज हुए कि इसकी सारी सुविधाएं भी तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी थी । यहां हम आपको बता दें कि मई के प्रथम सप्ताह में डब्ल्यूएचओ के एग्जिक्युटिव डायरेक्टर डॉ. रायन ने कहा था कि यह हमारे समुदाय में कभी न खत्म होने वाला वायरस बन सकता है, जो हो सकता है कभी न जाए। इस बात का भी हमें ध्यान रखना होगा कि एचआईवी भी कहीं नहीं गया है। हो सकता है रायन ने यह सही कहा हो लेकिन इस बयान के बाद विश्व के अधिकांश देशों में इस महामारी के प्रति जबरदस्त दहशत भी बन गई थी ।
यही नहीं इसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेष दूत डॉ.डेविड नैबोरो भी वैक्सीन को लेकर नकारात्मक बातें कही थी । जबकि यहां हम आपको बता दें आज विश्व के 80 से अधिक देश इस महामारी के लड़ने के लिए सबसे कारगर इलाज वैक्सीन की खोज में लगे हुए हैं । आइए आपको बताते हैं कि डब्ल्यूएचओ ने वैक्सीन को लेकर क्या कहा था। डॉ.डेविड नैबोरो ने कहा था कि सबसे बुरी स्थिति यह हो सकती है कि कभी कोई वैक्सीन ही न हो। नैबोरो कहा था कि लोगों की उम्मीदें बढ़ रही हैं और फिर खत्म हो रही हैं, क्योंकि आखिरी मुश्किलों से पहले ही कई समाधान फेल हो जा रहे हैं।
चीन का समर्थन करने पर अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ से संबंध कर दिए खत्म
हम आपको बता दें कि इस कोरोना वायरस से अमेरिका में अभी तक सबसे जबरदस्त तबाही हुई है । इस खतरनाक वायरस से अमेरिका में एक लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है । यही नहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस महामारी से अब तक सबसे बुरे दौर में है । डोनाल्ड ट्रंप इस महामारी के विश्व भर में फैलने के लिए चीन को जिम्मेदार मानते हैं । वहीं दूसरी ओर विश्वास संगठन चीन को लेकर शुरू से ही नरम रवैया अपना रहा है यही बात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम को पसंद नहीं आई । अभी पिछली 29 मई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से देश के सभी संबंध पूरी तरह से खत्म कर दिए। ट्रंप ने यह फैसला डब्ल्यूएचओ द्वारा कोरोना महामारी के लिए चीन को जिम्मेदार न मानने के चलते लिया।
हालांकि इससे पहले भी वे डब्ल्यूएचओ को इस महामारी को समझने में नाकाम बताकर फंड देने से इंकार कर चुके थे। डब्ल्यूएचओ को करीब 15 प्रतिशत फंड अमेरिका से मिलता है। अमेरिका के इस संगठन से अलग होने पर विकासशील और गरीब देशों में चलाए जा रहे डब्ल्यूएचओ के कई मिशन प्रभावित होने की आशंका है।अमेरिका ने जब डब्ल्यूएचओ से नाता तोड़ लिया तब चीन ने विश्व स्वास्थ संगठन को करोड़ों रुपए की आर्थिक सहायता भी देने की घोषणा की है । डब्ल्यूएचओ का इस महामारी को लेकर चीन के प्रति उदारवादी रवैया ही अमेरिका और यूरोप के कई देशों को पसंद नहीं आ रहा है ।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार