नई दिल्ली। देश का बजट आने में अब एक दिन और शेष रह गया है। वित्त मंत्रालय और केंद्र सरकार के साथ देश की जनता भी एक फरवरी को आने वाले बजट पर निगाहें लगाए हुई है। यहां हम आपको बता दें कि बजट से 1 दिन पहले यानी शुक्रवार को आर्थिक सर्वे पेश किया जाता है। देश में पिछले कई महीनों से चल रही खराब अर्थव्यवस्था और आर्थिक मंदी के बीच यह बजट बहुत ही खास माना जा रहा है।
विपक्ष भी बजट को लेकर केंद्र सरकार को घेरने के लिए तैयार बैठा है। लेकिन हम आपको बताएंगे आर्थिक सर्वे क्या होता है। हर साल की तरह इस बार भी बजट से एक दिन पहले यानी 31 जनवरी को आर्थिक सर्वे पेश किया जाएगा। इस आर्थिक सर्वे को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण सदन के पटल पर रखेंगी। देश में पहली बार आर्थिक सर्वे 1950-51 में जारी किया गया था।
आर्थिक सर्वे को देश के आर्थिक विकास का सालाना लेखा-जोखा कहा जाता है
आर्थिक सर्वे देश के आर्थिक विकास का सालाना लेखा-जोखा होता है। इस सर्वे रिपोर्ट से आधिकारिक तौर पता चलता है कि बीते साल आर्थिक मोर्चे पर देश का क्या हाल रहा। इसके अलावा सर्वे से ये भी जानकारी मिलती है कि आने वाले समय के लिए अर्थव्यवस्था में किस तरह की संभावनाएं मौजूद हैं। आसान भाषा में समझें तो वित्त मंत्रालय की इस रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर देखी जा सकती है। आर्थिक सर्वे के जरिए सरकार को अहम सुझाव दिए जाते हैं। हालांकि, इसकी सिफारिशें सरकार लागू करे, यह अनिवार्य नहीं होता है।
वित्त मंत्रालय की मुख्य सलाहकार टीम करती है तैयार
आर्थिक सर्वे को वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार और उनकी टीम तैयार करती है। मुख्य आर्थिक सलाहकर कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम हैं। कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम की अगुवाई में आर्थिक सर्वे रिपोर्ट तैयार की गई है। वित्त मंत्रालय के इस अहम दस्तावेज को सदन में वित्तमंत्री द्वारा पेश किया जाता है। इस बार आर्थिक सर्वे को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी। बीते साल 4 जुलाई को निर्मला सीतारमण ने अपना पहला आर्थिक सर्वे पेश किया था। इसके बाद 5 जुलाई को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला आम बजट पेश किया गया।
आर्थिक सर्वे वित्त मंत्रालय का बहुत अहम दस्तावेज होता है
आर्थिक सर्वे एक तरह से यह वित्त मंत्रालय का काफी अहम दस्तावेज होता है। आर्थिक सर्वे अर्थव्यवस्था के सभी पहलुओं को समेटते हुए विस्तृत सांख्यिकी आंकड़े प्रदान करता है। भारतीय अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर देखनी है तो आर्थिक सर्वे में यह आपको मिल सकती है। लेखानुदान कमाई और खर्चों का लेखाजोखा मात्र होता है। इसमें तीन या चार महीनों के लिए सरकारी कर्मियों के वेतन, पेंशन और अन्य सरकारी कामों के लिए खजाने से धन लेने का प्रस्ताव किया जाता है। बता दें कि जिस साल चुनाव होता है उस साल सरकार अंतरिम बजट पेश करती है। चुनाव के बाद बनी नई सरकार पूर्ण बजट पेश करती है। पिछले साल ऐसा हुआ था। अंतरिम बजट को लेखानुदान मांग और मिनी बजट भी कहते हैं।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार