नई दिल्ली। संसद की लोक लेखा समिति ने दिल्ली हवाई अड्डे की संचालक कंपनी ‘डायल’ को जरूरत से ज्यादा छूट देने के लिए नागर विमानन मंत्रालय को फटकार लगाई है।
समिति ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में कहा है कि डायल को छूट देने के मामले में नागर विमानन मंत्रालय सीमा से बाहर चला गया है। उसे हवाई अड्डे पर बेतुके वाणिज्यिक विस्तार की जानकारी है और वह निजी सार्वजनिक भागीदारी के तहत हवाई अड्डे की परियोजना के डायल द्वारा क्रियान्वयन की निगरानी करने में विफल रहा है।
उसने अनुशंसा की है कि हवाई अड्डों का विस्तार और विमानन क्षेत्र का विकास सबके लिए हवाई यात्रा सुलभ बनाने की सरकार की नीति के अनुरूप होना चाहिए। इसके लिए एक लागत-लाभ विश्लेषण किया जाना चाहिए जिससे पता चल सके कि इस तरह की परियोजनाओं से लोगों की हित रक्षा भी होती है या सिर्फ निजी कंपनियों को लाभ पहुंचता है।
उल्लेखनीय है कि डायल में जीएमआर समूह की 54 प्रतिशत, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की 26 प्रतिशत और फ्रापोर्ट एजी एंड इरामन मलेशिया की 10 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
समिति ने कहा ने इस बात को रेखांकित किया है कि डायल ने बहुत सारी सेवाएं 11 ऐसी कंपनियों से आउटसोर्स की हैं जिनमें स्वयं डायल की हिस्सेदारी 26 से 50 प्रतिशत तक है। इन कंपनियों से 10 से 61 फीसदी राजस्व भी डायल को मिलता है।
उसने कहा है कि डायल के जरिये मंत्रालय ने एक ऑडिट कराया था जिसमें कहा गया था कि डायल ने दिल्ली हवाई अड्डे के परिचालन, प्रबंधन एवं विकास समझौते (ओमडा) का उल्लंघन नहीं किया है।
हालांकि, ऑडिट में इस बात की पुष्टि हुई थी कि इन कंपनियों में डायल के प्रतिनिधि निदेशक और अध्यक्ष के पद पर बैठे हैं। समिति ने इस बात पर निराशा व्यक्त की है कि यह ऑडिट डायल के जरिये ही कराया गया जिस पर आरोप थे।