सिरोही। सिरोही विधायक संयम लोढ़ा के एक ट्वीट ने राजस्थान के राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा दिया है। इस ट्वीट के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनो ही हरकत में आकर अपने अपने तरीके से इस पर प्रतिक्रिया दे रही है। लेकिन, एक छोटे से ट्वीट पर इतने हंगामे की वजह क्या है इसका गणित समझने की जरूरत है।
दरअसल राजास्थान की 5 राज्य सभा सीटों पर चुनाव होना है। राजास्थान में कांग्रेस के पास 108 विधायक हैं। जिनमे बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायक भी शामिल हैं। कांग्रेस के तीन उम्मीदवार हैं। इसमें से प्रत्येक को 41-41 वोट चाहिए। काँग्रेस के 108 विधायकों में से 82 विधायको के कारण दो सीटें तो कन्फर्म हैं।
लेकिन तीसरी सीट के लिए 15 विधायकों की और जरूरत है। अशोक गहलोत सरकार को 13 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन है। इसी तरह बीटीपी और सीपीएम के दो-दो विधायक व आरएलडी के सुभाष गर्ग भी गहलोत सरकार को समर्थन दे चुके हैं। तो इस हिसाब से कुल जमा 18 विधायक और अतिरिक्त नजर आ रहे हैं।
लेकिन, संयम लोढ़ा के द्वारा स्थानीय नेता की बात को हवा देने और बीटीपी के द्वारा आदिवासी सदस्य को टिकिट नहीं देने पर कांग्रेस को समर्थन नहीं देने की बात पर अडिग रहती है तो कांग्रेस के लिए तीसरे सदस्य जिताने में मुश्किल आ सकती है।
यूं भी कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवारों की सूची देखकर राष्ट्र स्तर पर हो रही निंदा और तबाही के रास्ते पर जाने के बावजूद कांग्रेस के द्वारा अपनी कार्य प्रणाली नहीं बदलने के दावे के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ये बयान भी इस ट्वीट की महत्ता बढ़ाता है कि,’ भाजपा दूसरा उम्मीदवार खड़ा करके माहौल खराब करना चाहते हैं।’
इस आरोप का मतलब ये है कि जो निर्दलीय उम्मीदवार खड़ा हुआ है उसके पीछे भाजपा का हाथ है। यदि संयम लोढ़ा के ट्वीट को अंदरूनी विवाद का हिस्सा माना भी जाये तो क्या वाकई कांग्रेस को अपना तीसरा उम्मीदवार जिताने में पसीना आने वाला है। क्योंकि ऊपर के गणित को देखें तो कांग्रेस को 13 निर्दलीय के अलावा शेष 5 में से 2 का समर्थन और चाहिए।
बीटीपी आदिवासी उम्मीदवार को लेकर नाराज है। सीपीएम ने पत्ते नहीं खोले ऐसे में निर्दलीयों पर भी दारोमदार है। लोढ़ा अपने एक ट्वीट में कन्हैया कुमार और कुमार विश्वास को राजस्थान से राज्यसभा के टिकिट देने की बात कर चुके हैं। इसके बाद उन्होंने अपने अगले ट्वीट। में राजस्थान के स्थानीय व्यक्ति को टिकिट नहीं देने की बात कहकर ठहरे हुए पानी में हलचल मचा दी है।
यूं भी कांग्रेस और भाजपा जैसी बड़ी पार्टियों में मौके पर केंद्रीय नेतृत्व की बाहें नहीं मरोड़ी जाए तो इनके केंद्रीय नेतृत्व स्थानीय नेताओं को बन्दुआ से ज्यादा कुछ समझते नहीं है। यही कारण है कि लोढ़ा के ट्वीट के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों ही के नेता सक्रिय हो गए।