लंदन। विश्वकप से बाहर होने वाला पाकिस्तान बेशक इसके लिए रन औसत को जिम्मेदार ठहरा रहा है लेकिन उसका 1992 विश्वकप के भुलावे में लगातार बने रहना इसका सबसे बड़ा कारण है।
पाकिस्तान ने 1992 के विश्वकप में इमरान खान की कप्तानी में टूर्नामेंट में खराब शुरूआत की थी और उसके बाद टीम ने शानदार वापसी करते हुए खिताब का सफर तय किया। सरफराज़ अहमद की मौजूदा पाकिस्तानी टीम ने भी इस विश्वकप में खराब शुरूआत की लेकिन जब टीम ने संभलना शुरू किया तो उसके प्रदर्शन की तुलना 1992 के विश्वकप के प्रदर्शन से की जाने लगी और अंत में इसी भुलावे में सरफराज की टीम विश्वकप से बाहर हो गई।
पाकिस्तान ने अपने आखिरी लीग मैच में बांग्लादेश को 94 रन से हराया लेकिन नेट रन रेट में वह न्यूजीलैंड से पिछड़कर विश्वकप से बाहर हो गई। न्यूजीलैंड और पाकिस्तान दोनों ने पांच-पांच मैच जीते, तीन-तीन मैच हारे और उनका एक-एक मैच बारिश के कारण रद्द रहा। न्यूजीलैंड का नेट रन रेट प्लस 0.175 रहा जबकि पाकिस्तान का नेट रन रेट माइनस 0.430 रहा।
टूर्नामेंट में खराब शुरूआत के बाद पाकिस्तानी टीम को अपने नेट रन रेट को लेकर संभल जाना चाहिए था लेकिन उसने इस महत्वपूर्ण मुद्दे को लेकर ध्यान नहीं दिया। पाकिस्तान अपना पहला मैच वेस्टइंडीज़ से सात विकेट से हारा। इस मैच में पाकिस्तान की टीम मात्र 105 रन पर ढेर हो गई। आखिर में यही मैच पाकिस्तान पर भारी पड़ा।
पाकिस्तान ने पहली हार के झटके से उबरते हुए इंग्लैंड को 14 रन से हराया जबकि श्रीलंका के साथ उसका मैच बारिश के कारण रद्द रहा। पाकिस्तान को आस्ट्रेलिया से 41 रन से और भारत से 89 रन से हार का सामना करना पड़ा।
पाकिस्तान ने दक्षिण अफ्रीका को 49 रन से, न्यूजीलैंड को छह विकेट से, अफगानिस्तान को तीन विकेट से और बंगलादेश को 94 रन से हराया। पाकिस्तान ने अपने आखिरी चार मैच जीते लेकिन अंत में नेट रन रेट ने उसकी उम्मीदों को तोड़ दिया।
पाकिस्तान को इन मैचों के दौरान अपने नेट रन रेट में सुधार करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए थी लेकिन उसने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया। पाकिस्तान के पूर्व दिग्गज क्रिकेटर भारत की इंग्लैंड के हाथों हार पर विपरीत टिप्पणियां करते रहे लेकिन अपनी टीम के रन रेट पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। टीम इस नेट रन रेट को अफगानिस्तान के खिलाफ सुधार सकती थी लेकिन वहां भी टीम को जीत के लिए संघर्ष करना पड़ा।
पाकिस्तान से हारने वाले इंग्लैंड और न्यूजीलैंड ने सेमीफाइनल में जगह बनाई जबकि 1992 की यह चैंपियन टीम खुद विश्वकप से बाहर हो गई। वर्ष 1992 के विश्वकप में पाकिस्तान अपने पहले मुकाबले में वेस्टइंडीज़ से 10 विकेट से हारा। उसने जिम्बाब्वे से अगला मैच 53 रन से जीता। इंग्लैंड के खिलाफ अगले मुकाबले में पाकिस्तानी टीम 74 रन पर ढेर हो गई लेकिन यह मैच बारिश के कारण रद्द हो गया और इस मैच से मिले एक अंक ने अंत में उसकी किस्मत बदल दी।
भारत के खिलाफ अगले मैच में पाकिस्तान 43 रन से और फिर दक्षिण अफ्रीका से 20 रन से हार गया। लेकिन पाकिस्तान ने वापसी करते हुए आस्ट्रेलिया को 48 रन से, श्रीलंका को चार विकेट से और न्यूजीलैंड को सात विकेट से हराया। पाकिस्तान को इंग्लैंड के साथ रद्द हुए मैच का अंत में फायदा मिला और उस एक अंक ने उसे आस्ट्रेलिया से ऊपर रखते हुए सेमीफाइनल में पहुंचा दिया। पाकिस्तान ने सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को और फाइनल में इंग्लैंड को हराकर खिताब जीत लिया।
मौजूदा टूर्नामेंट में पाकिस्तान की ओर से कुछ खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया और बाबर आजम ने 474, इमाम उल हक ने 305, मोहम्मद हफीज ने 253, हारिस सोहैल ने 198 और फखर जमान ने 186 रन बनाए।
पाकिस्तान के बायें हाथ के तेज़ गेंदबाज मोहम्मद आमिर ने 17, शाहीन शाह आफरीदी ने 16, वहाब रियाज़ ने 11 और शादाब खान ने नौ विकेट लिए। आफरीदी ने अपने 16 विकेट मात्र पांच मैचों में लिये जिसमें बांग्लादेश के खिलाफ आखिरी मैच के छह विकेट शामिल हैं। यह हैरानी की बात है कि पाकिस्तान ने आफरीदी को सिर्फ पांच मैच खेलने का ही मौका दिया।
पाकिस्तान के शीर्ष क्रम ने उस अंदाज़ में रन नहीं बनाए जैसे उससे उम्मीद की जा रही थी। खुद कप्तान सरफराज़ अहमद बल्ले से सुपर फ्लॉप रहे और आठ मैचों में 28.60 के औसत से 143 रन ही बना पाए। पाकिस्तान को अपने प्रदर्शन पर आत्ममंथन करना होगा कि आखिर उससे कहां गलती हुई।