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Why sirohi covid lab is special - Sabguru News
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जानिए , क्यों खास है सिरोही की कोरोना टेस्ट लैब?

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जानिए , क्यों खास है सिरोही की कोरोना टेस्ट लैब?
सिरोही में प्रस्तावित कोरोना लैब में किये जाने वाले ढांचागत परिवर्तन पर चर्चा करते विधायक लोढ़ा, पीडब्ल्यूडी अधिकारी और पीएमओ।
सिरोही में प्रस्तावित कोरोना लैब में किये जाने वाले ढांचागत परिवर्तन पर चर्चा करते विधायक लोढ़ा, पीडब्ल्यूडी अधिकारी और पीएमओ।
सिरोही में प्रस्तावित कोरोना लैब में किये जाने वाले ढांचागत परिवर्तन पर चर्चा करते विधायक लोढ़ा, पीडब्ल्यूडी अधिकारी और पीएमओ।

सिरोही। जिला मुख्यालय पर एक सप्ताह में कोरोना टेस्ट लैब काम करना शुरू कर देगी। सिरोही जिला चिकित्सालय के पीएमओ डॉ दर्शन ग्रोवर ने बताया कि इस लैब की खासियत ये होगी कि इसमें रेपिड टेस्ट किट की बजाय पीसीआर टेस्ट किया जाएगा।

जिसकी वायरस को पहचानने की क्षमता रेपिड टेस्ट किट से बहुत ज्यादा सटीक होती है, इसलिये इसके लिए माइक्रो बेलोजिस्ट लगाए जा रहे हैं। यदि रेपिड टेस्ट किट होते तो लैब तकनीशियन ही है काम कर सकता था।

संभवतः देश में राजस्थान पहला राज्य होगा जहां इतने छोटे जिलों में भी कोरोना का पीसीआर टेस्ट शुरू किया जा रहा है। क्योंकि ये लैब स्थापित करने में इंफ्रास्ट्रक्चर में ही काफी खर्च आएगा।

सामान्य भाषा में फ़ोटो से फोटो मिलाता है पीसीआर टेस्ट

डॉ ग्रोवर ने बताया कि इस लैब में पीसीआर टेस्ट किया जाएगा जिसकी प्रक्रिया थोड़ी लंबी और सटीक होती है। उनकी बताई मेडिकल टर्मिनोलॉजी को सरल भाषा में व्यक्त किया जाये तो पहले इस वायरस को तोड़ा जाता है। ये आरएनए वायरस है तो उसका आरएनए निकालकर उसकी कॉपी बनाई जाती है। फिर इसे एनलार्जड (बड़ा) किया जाता है और इस एनलार्जड कॉपी को पूर्व में उपलब्ध ओरिजिनल वायरस के आरएनए से मिलाया जाता है। दोनों मिलते हैं तो टेस्ट पॉजिटिव आता है। आरएनए का मिलान ठीक वैसा ही है जैसे एक आदमी की दो फ़ोटो को मिलाया जाए और उसकी पहचान की पुष्टि की जाए।

इसलिए चाहिए विशेष सुरक्षा

पीसीआर टेस्ट में वायरस को तोड़ा जाता है और पूरा काम वायरस पर होता है इसलिए लैब को पूरी तरह से एयर टाइट बनाया जाता है। सामान्य टेस्ट होता तो जिला प्रशासन और स्थानीय विधायक संयम लोढ़ा द्वारा देखे गए शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के वर्तमान भवन में कल से ही का शुरू किया जा सकता था, लेकिन वायरोलॉजी किये जाने के कारण इसमे गाइड लाइन के अनुसार ढांचागत परिवर्तन किया जाना जरूरी है।

एक रिर्पोरिंग कक्ष होगा, एक लाईसिस कक्ष होगा, एक आरएनए एक्सट्रेक्शन कक्ष, एक आरएनए एडिशन कक्ष, एंपलीफिकेशन कक्ष, दो मास्टर मिक्स रुम, दो चेंज रुम इन एवं आउट होंगे। पूरी लेब एसी ओर एयर टाइट होगी। इसलिए लेब को शुरू होने में सप्ताह का समय लग जायेगा।

इसलिये होंगे 250 टेस्ट

इस लैब की क्षमता प्रति आठ घंटे में 250 टेस्ट करने की है। पीएमओ ने बताया कि ये क्षमता पीसीआर टेस्ट के लिए इस्तेमाल किये जा सकने वाली मशीन पर निर्भर है। ये अलग अलग क्षमता की होती है। इस लेब में एक चिकित्सक, माइक्रोलोजिस्ट, छह लेब टेक्निशियन, छह हेल्पर, दो स्टाॅफ समेत कुल 15 लोगों का पद स्थापन करेगी।

विधायक और कलेक्टर ने किया अवलोकन

लैब के लिए प्रस्तावित भवन का रविवार को विधायक संयम लोढ़ा और जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद ने अवलोकन किया। सार्वजनिक निर्माण विभाग के एक्सईएन खोरवाल, सहायक अभियंता मदनसिंह ने इस संबंध में आवश्यक प्रस्ताव तैयार कर लिया है। प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डाॅ. दर्शन ग्रोवर ने बताया कि सोमवार को इसकी प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी जाएगी। इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. राजेश कुमार एवं डाॅ. विवके भी मौजूद थे। विधायक लोढ़ा ने बताया कि लैब की लागत 1 करोड 53 लाख रुपए आएगी।

लोढ़ा ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रयास से जून के पहले सप्ताह तक सरकारी मेडिकल काॅलेज रोजाना 21 हजार कोविड सैम्पल टेस्ट करने की क्षमता से कार्य कर सकेंगे। मुख्यमंत्री ने राज्य के सात जिला चिकित्सालयों सिरोही, जालोर, बांसवाडा, चित्तोडगढ, नागोर, श्रीगंगानगर और अलवर में कोरोना की टेस्टिंग लैब शुरू करने के निर्देश दिए हैं।

इसलिए होगी फायदेमंद

सिरोही जिले में प्रवासियों के आने का क्रम लगातार जारी है। जिले में जितने कोरोना पॉजिटिव केस आये है उनकी ट्रेवल हिस्ट्री बाहर की ही है। जिले में करीब 30 हजार प्रवासी आ चुके हैं और इसके दोगुना आने की संभावना है।

ऐसे में यहां टेस्ट क्षमता बढ़ाने की जरूरत थी। यहां के सेम्पल जोधपुर जाते थे ऐसे में यहां से प्रतिदिन भेजे जाने वाले सेम्पल में काफी रिपोर्ट पेंडिंग रह जाती थी अब ऐसा नहीं होगा। और शुरुआती दौर में ही वायरस का संक्रमण पकड़ में आ जाने से उनके उपचार और स्वास्थ्य लाभ की संभावना अधिक हो जाएगी।

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