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Why Supreme court ordered to stay on proceeding on fir of Mount Abu police station - Sabguru News
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सुप्रीम कोर्ट ने क्यों रोकी थी माउंट आबू थाने की एफआईआर की प्रोसिडिंग?

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सुप्रीम कोर्ट ने क्यों रोकी थी माउंट आबू थाने की एफआईआर की प्रोसिडिंग?
माउंट आबू के अग्नेशवर महादेव मंदिर में इस साल 25 मई को फिर से गिराए गए अवैध निर्माण और अतिक्रमण की कार्रवाई के बाद माउंट आबू डीएफओ के घर के बाहर एकत्रित हुए लोग।
माउंट आबू के अग्नेशवर महादेव मंदिर में अतिक्रमण हटाने के बाद गत वर्ष तत्कालीन उपखंड अधिकारी को ज्ञापन देने पंहुँचे लोग।
माउंट आबू के अग्नेशवर महादेव मंदिर में अतिक्रमण हटाने के बाद गत वर्ष तत्कालीन उपखंड अधिकारी को ज्ञापन देने पंहुँचे लोग।

सबगुरु न्यूज- सिरोही। माउंट आबू पुलिस स्टेशन की एक एफआईआर को आखिर सुप्रीम कोर्ट को क्यों रोकना पड़ा था? ऐसा क्या था उस एफआईआर में कि माउंट आबू पुलिस स्टेशन में 23 मई 2020 को दर्ज की गई एफआईआर नम्बर 41 को स्टे करना पड़ा था।

 

फिलहाल माउंट आबू पुलिस स्टेशन और माउंट आबू सीओ कार्यालय दोनो ही इसकी जानकारी नहीं दे पाए हैं। लेकिन, सूत्रों की मानें तो ये एफआईआर सीओ कार्यालय के माध्यम से सिरोही भेज दी गई है।

माउंट आबू के अग्नेशवर महादेव मंदिर में इस साल 25 मई को फिर से गिराए गए अवैध निर्माण और अतिक्रमण की कार्रवाई के बाद माउंट आबू डीएफओ के घर के बाहर एकत्रित हुए लोग।
माउंट आबू के अग्नेशवर महादेव मंदिर में इस साल 25 मई को फिर से गिराए गए अवैध निर्माण और अतिक्रमण की कार्रवाई के बाद माउंट आबू डीएफओ के घर के बाहर एकत्रित हुए लोग।

-इस प्रकरण को लेकर थी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

टी एन गोदावरण बनाम भारत सरकार के ही प्रकरण में महाराष्ट्र की अमरावती के नेचुरल कंजर्वेशन सोसाइटी ने एक अमेंडमेंट एप्लीकेशन लगाई थी। इसमें परिवादी ने बताया था कि वन क्षेत्र में जब वह अधिकारी कार्रवाई करने जाते हैं तो उन पर स्थानीय थानों में अन्य कानूनों में एफआईआर करवा दी जाती है। पुलिस इसे दर्ज भी कर लेती है। ऐसे में वन अधिकारी और कार्मिकों को वन संपदा बचाने का काम कैसे हो सकता है?

माउंट आबू पुलिस स्टेशन की एफआईआर नम्बर 41 को लेकर दिया गया आदेश।
माउंट आबू पुलिस स्टेशन की एफआईआर नम्बर 41 को लेकर दिया गया आदेश।

इसमे बताया गया था कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान ऐसे मामले सामने आए हैं। इसी एप्लिकेशन पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी सुब्रमण्यम ने अपने 8 जनवरी 2021 के आदेश में माउंट आबू में दर्ज इस एफआईआर की प्रोसिडिंग पर रोक लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने माउंट आबू वन अधिकारी और वनकर्मियों के खिलाफ अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम की समस्त प्रोसिडिंग को स्टे कर दिया था।
– इस एक्ट में तो हुआ था ये मामला
सबगुरु न्यूज ने इस सम्बंध में माउंट आबू पुलिस स्टेशन और माउंट आबू पुलिस उप अधीक्षक कार्यालय से जानकारी जुटाने की कोशिश की लेकिन एफआईआर नम्बर 41 की आधिकारिक जानकारी किसी ने दी नहीं।

माउंट आबू थाने में दर्ज एफआईआर संख्या 41 की ऑनलाइन प्रतिलिपि।
माउंट आबू थाने में दर्ज एफआईआर संख्या 41 की ऑनलाइन प्रतिलिपि।

सूत्रों और मीडिया रिपोर्ट्स खंगालने पर ये जानकरी सामने आई है कि ये एफआईआर माउंट आबू का तत्कालीन उपवन संरक्षक बालाजी करी द्वारा अग्नेशवर महादेव क्षेत्र में वन भूमि से अतिक्रमण हटाने के दौरान करवाई गई थी। जिसमे तत्कालीन उपवन संरक्षक और वन कार्मिकों पर अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम के तहत रिपोर्ट दर्ज करवाई गई थी।

माउंट आबू वन विभाग ने वहां पर अस्थाई चौकी भी बना ली थी।मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 6 जून को इस चौकी को हटाने को लेकर भाजपा समेत देलवाड़ा क्षेत्र के अन्य लोगों ने इस चौकी को हटाने के लिए तत्कालीन उपखंड अधिकारी रविन्द्र गोस्वामी, फिलहाल माउंट को कार्यक्षेत्र बनाये हुए कांग्रेस नेता रतन देवासी तथा सिरोही में विधायक संयम लोढ़ा को भी ज्ञापन दिया था। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उस दौरान वन मंत्री, उपखंड अधिकारी, स्थानीय पुलिस, कांग्रेस के नेताओं ने उस प्रकरण को निपटाया था।

माउंट आबू में इस वर्ष 25 मई को अग्नेशवर महादेव क्षेत्र में वन विभाग द्वारा फिर से तोड़ा गया अवैध निर्माण।
माउंट आबू में इस वर्ष 25 मई को अग्नेशवर महादेव क्षेत्र में वन विभाग द्वारा फिर से तोड़ा गया अवैध निर्माण।

– 25 मई को फिर हुआ था प्रकरण
हाल ही में 25 मई,2021 को फिर से अग्नेशवर महादेव के वन क्षेत्र में वन विभाग ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की थी। इस प्रकरण में भी वन विभाग ने अतिक्रमियों के खिलाफ और दूसरे पक्ष ने वन विभाग के कार्मिकों के खिलाफ माउंट आबू पुलिस स्टेशन में शिकायत दी थी। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व के प्रकरण को पहले से ही स्टे कर देने के कारण इस बार माउंट आबू पुलिस ने इसमे फूंक कर कदम रखा।

इस बार भी भाजपा नेताओं और स्थानीय लोगों ने वर्तमान उपखंड अधिकारी अभिषेक सुराणा को 26 मई को ज्ञापन सौंपा था। इस बार फिर स्थानीय कांग्रेस नेता रतन देवासी ने फिर से इस प्रकरण को सुलझाने के लिए आश्वस्त किया था। सभी लोग 26 मई को माउंट आबू उपवन संरक्षक के आवास पर भी पंहुँचे थे।