श्रीनगर। नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष एवं जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने देश के विभिन्न हिस्सों में कश्मीरी छात्रों पर हाे रहे हमलों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल खड़ा किया है।
अब्दुल्ला ने गुरुवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पूरे देशभर में, विशेषकर कुछ क्षेत्रों में, कश्मीरी छात्रों पर हमले किए जा रहे हैं। इन छात्रों का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है लेकिन इनको निशाना बनाया जा रहा है। यह कुछ और नहीं बल्कि एक साजिश है। इस पर केंद्र सरकार चुप क्यों हैं?
अब्दुल्ला ने वंदे भारत एक्सप्रेस की निंदा करने वालों पर दिए गए मोदी के बयान का उल्लेख करते हुए कहा कि मोदी एक ट्रेन की निंदा करने वालों को सजा देना चाहते हैं लेकिन वह निर्दोष कश्मीरियों को निशाना बना रहे लोगों के बारे में कुछ नहीं कहते। साफ है कि उनकी प्राथमिकताएं गलत हैं।
मोदी ने एक बयान में कहा था कि नई शुरू की गई इंजनरहित वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की निंदा करने वालों को सजा दी जानी चाहिए क्योंकि वे भारत के इंजीनियरों और तकनीकी विशेषज्ञों का अपमान कर रहे हैं।
अब्दुल्ला ने कहा कि पुलवामा हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 44 जवानों के शहीद होने की घटना के बाद पाकिस्तान के साथ बातचीत संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री मुंहतोड़ जवाब देने की बात कर रहे हैं, लेकिन मौजूदा स्थिति में ऐसा जवाब देना संभव नहीं है।
अब्दुल्ला ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री से कहना चाहता हूं कि चुनाव आएंगे और जाएंगे लेकिन यदि आप चुनावों के लिए अपनी पूरी आबादी का बलिदान करने के लिए तैयार हैं तो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि न केवल सत्तारुढ़ दल और प्रधानमंत्री बल्कि पूरा विपक्ष भी इस मुद्दे पर चुप है। पुलवामा हमले के बाद जिन कश्मीरी छात्रों को अपनी शिक्षा बीच में छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है उनका ध्यान रखा जाना चाहिए।
अब्दुल्ला ने कहा कि मैं राज्यपाल से आग्रह करता हूं कि जिन छात्रों को अन्य राज्यों में कॉलेज और छात्रावास छोड़ने पड़े हैं उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। उनकी शिक्षा भी देखरेख की जाए।
अब्दुल्ला ने कहा कि हालात बेहतर होने तक इन छात्रों को यहां के कॉलेज और यूनिवर्सिटी में ठहराया जाए और उनको उनके कॉलेजों में वापस भेजने के लिए बातचीत शुरू की जाए।
उन्होंने मेघालय के राज्यपाल के कश्मीरियों को बहिष्कृत करने वाले ट्वीट का जिक्र करते हुए कहा कि कश्मीरी लोग को अलग-थलग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं जब छत्तीसगढ़ में हुई तो किसी ने भी छत्तीसगढ़ के आर्थिक बहिष्कार की बात नहीं की। हमें मुस्लिम बहुल राज्य होने की सजा दी जा रही है।
जम्मू-कश्मीर में हुर्रियत और अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस लिये जाने के मुद्दे को श्री अब्दुल्ला ने बहुत आक्रामक कार्रवाई करार देते हुए इस निर्णय पर फिर से विचार करने की मांग की।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के कश्मीर मुद्दे पर वार्ता के प्रस्ताव पर उन्होंने कहा कि जब तक पुलवामा जैसे हमले होते रहेंगे शांति वार्ता के लिए मुनासिब माहौल नहीं बनेगा। यदि इमरान खान को लगता है कि कश्मीर के मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए तो उन्हें हमारी मदद करनी चाहिए।