सबगुरु न्यूज-सिरोही। राजस्थान में नम्बर गेम के लिये खोली जाने वाली अंग्रेजी माध्यम की स्कूलें अब तक सिर्फ नाम की ही अंग्रेजी माध्यम की थी। राजनीतिक सिफारिशों से पढ़ाने वाले शिक्षको का हिंदी माध्यम की सरकारी स्कूलों से ही चयन से इन स्कूल के बच्चों का अँग्रेजी में पकड़ अब भी नहीं बन पाई है।
राजस्थान में अधिकांश स्कूलों में इस वर्ष से हायर सेकेंडरी का सेशन भी शुरू हो जाएगा। लेकिन, अब तक ज्जन स्कूलों में प्राथमिक से लेकर हायर सेकेंडरी स्तर तक अंग्रेजी माध्यम में फ्ल्यूएन्ट शिक्षा देने वाले शिक्षक नहीं हैं। ऐसे में स्कूलों का ढर्रा हिंदी माध्यम के आम सरकारी स्कूलों से कुछ अलग नहीं है।
-वर्तमान बजट से जगी आशा
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी बजट घोषणा में अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों के लिए अलग से शिक्षकों की भर्ती करने की घोषणा की है। अभी इस भर्ती का पैटर्न तय होगा फिर भर्तियां होंगी।
लेकिन ये बात तय है कि इन भर्तियों में शिक्षकों की अंग्रेजी बोलने और विषयों पर अंग्रेजी भाषा में पकड़ होने की गुणवत्ता को ध्यान में नहीं रखा गया तो ये विद्यायल कुछ खास निशान नहीं छोड़ पाएंगे।
-पढा रहे हैं ये शिक्षक
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा राज्य भर में 3 साल पूर्ण होने की उपलब्धि के तौर पर लगवाए गए बैनर्स के अनुसार अभी तक राजस्थान के अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की संख्या 1200 हैं। इन विशेष स्कूलों के लिए अंग्रेजी में पारंगत शिक्षकों की भर्ती नहीं कि गई है।
इनमे राज्य की हिंदी माध्यम के सरकारी शिक्षकों को ही जिला स्तर पर बनी समिति के माध्यम से चयन करके रखा जा रहा है। इस चयन में भी स्थानीय राजनीति में जिसका सिक्का चल गया वही अध्यापक आ पाया है। ये विद्यालय अधिकांश शहरी और कस्बाई इलाकों में होने से सुविधाओ के लिहाज से राजनीतिक रसूख वाले शिक्षकों ने यहां नियुक्ति पा ली। लेकिन, शैक्षणिक गुणवत्ता के मामले म3न ये कुछ कमाल नहीं दिखा पाए हैं। अशोक गहलोत सरकार के शेष दो सालों में सबसे बड़ी चुनौती इन विद्यालयों की गुणवत्ता में सुधार करना होगा। इसके बिना वो इसका श्रेय लेने में लगभग नाकाम ही रहेंगे। गुणवत्ता के लिए अंग्रेजी में स्किल्ड बेहतरीन शिक्षकों की अलग से भर्ती करना आवश्यक होगा।