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बिना इंसुलिन के संभव होगा डायबिटीज का इलाज! - Sabguru News
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बिना इंसुलिन के संभव होगा डायबिटीज का इलाज!

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बिना इंसुलिन के संभव होगा डायबिटीज का इलाज!
Without the help of insulin treatment of diabetes!
Without the help of insulin treatment of diabetes!
Without the help of insulin treatment of diabetes!

सबगुरु न्यूज़, नई दिल्ली: डायबिटीज के उपचार के क्षेत्र में भारतीय चिकित्सकों ने महत्वपूर्ण और प्रथप्रदर्शक खोज की है। चिकित्सकों के मुताबिक इस खोज से मधुमेह के प्रकार का पता कर उसका इलाज आसानी से किया जा सकता है।
चिकित्सकों का कहना है कि अक्सर मधुमेह पीड़ितों को इंसुलिन लेना पड़ता है, जबकि मधुमेह की टाइप-1 का उपचार बगैर इन्सुलिन के संभव है। ‘बीएमसी मेडिकल जेनेटिक्स’ जर्नल में मैच्योरिटी ऑनसेट डायबिटीज ऑफ द यंग (एमओडीवाई) नाम से प्रकाशित इस शोध में अनुसंधानकर्ताओं ने मुधमेह के प्रकार उल्लेख किया है।

चिकित्सकों ने बताया कि सामान्य रूप से मधुमेह के दो प्रकार होते हैं। मधुमेह टाइप-1 की शिकायत युवाओं या बच्चों को होती है। एमओडीवाई के साथ मरीज आमतौर पर कमजोर होते हैं। उनकी कम उम्र के कारण उन्हें टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित बताया जाता है। उन्हें जीवनभर इंसुलिन इंजेक्शन लेने की सलाह दी जाती है।

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मधुमेह टाइप-2 सामान्य तौर पर वयस्कों को प्रभावित करता है। बीमारी के अंतिम स्तरों को छोड़कर हाइपरग्लाइकेमिया को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन की जरूरत नहीं होती है।

डॉ. वी. मोहन, निदेशक, एमडीआरएफ ने कहा, ‘एमओडीवाई जैसे डायबिटीज के मोनोजेनिक प्रारूप का पता चलने का महत्व सही जांच तक है, क्योंकि मरीजों को अक्सर गलत ढंग से टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित बता दिया जाता है। उन्हें गैर-जरूरी रूप से पूरी जिंदगी इंसुलिन इंजेक्षन लेने की सलाह दी जाती है।’

डॉक्टर मोहन ने आगे कहा, ‘एक बार एमओडीवाई का पता चलने पर एमओडीवाई के ज्यादातर प्रारूपों में इंसुलिन को पूरी तरह रोका जा सकता है। इन मरीजों का इलाज बहुत ही सस्ते सल्फोनिलयूरिया टैबलेट से किया जाता है, जिनका इस्तेमाल दशकों से डायबिटीज के इलाज के लिए किया जाता है। जहां तक उपचार और इन मरीजों के जीवन और उनके परिवारों की बात है तो यह एक नाटकीय बदलाव है।’

डॉ. राधा वेंकटेशन, जेनोमिक्स प्रमुख, एमडीआरएफ ने कहा, ‘यह दुनिया में पहली बार हुआ है, जब एनकेएक्स6-1 जीन म्युटेशन को एमओडीवाई के नए प्रकार के तौर पर परिभाषित किया गया है। एमओडीवाई का यह प्रकार सिर्फ भारतीयों के लिए अनोखा है या यह अन्य लोगों में भी पाया जाता है, यह जांचने के लिए आगे भी अध्ययन करने होंगे।’

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