नई दिल्ली। दिल्ली के प्रतिष्ठित सफदरजंग अस्पताल के बाहर प्रसव के एक मामले में यहां के पांच डॉक्टर ड्यूटी से हटा दिए गए हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सूत्रों ने मंगलवार को यहां बताया कि अस्पताल के बाहर एक महिला का प्रसव होने की घटना के बाद मंत्रालय की एक उच्च स्तरीय टीम ने अस्पताल का दौरा किया। इस टीम ने पूरे तथ्यों को देखा और घटनास्थल का भी ब्यौरा लिया।
सूत्रों ने बताया कि उच्चस्तरीय टीम की जांच पूरी होने तक अस्पताल के पांच डॉक्टरों को ड्यूटी से हटा दिया गया है। यह महिला और उसका बच्चा आप स्वस्थ है और सफदरजंग अस्पताल में भर्ती हैं।
सफदरजंग अस्पताल को डीसीडब्ल्यू का नोटिस
दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने मंगलवार को सफदरजंग अस्पताल में एक गर्भवती महिला को उसके भवन के बाहर प्रसव कराने को लेकर नोटिस जारी किया। आयोग ने सफदरजंग अस्पताल को भेजे अपने नोटिस में अस्पताल से घटनाओं के क्रम और मामले की जांच रिपोर्ट के बारे में ब्योरा देने को कहा है।
डीसीडब्ल्यू के बयान में कहा गया है कि आयोग ने महिला की गंभीर चिकित्सा स्थिति के बावजूद उसे भर्ती करने से कथित रूप से इनकार करने के कारण भी मांगे हैं, जिसने अंततः उसे अस्पताल की इमारत के बाहर बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर किया।
डीसीडब्ल्यू अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा कि ऐसी घटनाएं जहां प्रतिष्ठित सरकारी अस्पताल भी गंभीर मरीजों को भर्ती और देखभाल से इनकार करते हैं, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में आम लोगों के विश्वास को तोड़ते हैं। मैंने सफदरजंग अस्पताल को नोटिस जारी किया है और अधिकारियों से कहा है कि मामले में जवाबदेही तय करें।
एक कथित वीडियो मिलने के बाद आयोग ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया। कथित वीडियो में, गर्भवती महिला को महिलाओं के एक समूह से घिरा देखा जा सकता है जो उसकी डिलीवरी में उसकी सहायता कर रही हैं। इसके अलावा, एक महिला को कथित वीडियो में यह दावा करते हुए देखा जा सकता है कि गर्भवती महिला पूरी रात अस्पताल के बाहर थी क्योंकि डॉक्टरों ने उसे अस्पताल में भर्ती करने से कथित तौर पर इनकार कर दिया था।
आयोग ने इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार कर्मचारियों और उनके खिलाफ अस्पताल अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई का विवरण भी मांगा है। इसके अलावा आयोग ने पूछताछ की है कि क्या अस्पताल के किसी कर्मचारी या डॉक्टर ने अस्पताल की इमारत के बाहर महिला की डिलीवरी में मदद की। आपातकालीन मामलों में अस्पताल द्वारा अपनाए जाने वाले प्रोटोकॉल के संबंध में भी जानकारी मांगी गई है। आयोग ने अस्पताल से मांगी गई जानकारी 25 जुलाई तक उपलब्ध कराने को कहा है।