अजमेर। गुर्दे की बीमारी और उच्च रक्तचाप से ग्रसित महिलाओं को गर्भधारण में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। जिन महिलाओं में गुर्दे की बीमार बढ़ी हुई अवस्था यानी स्टेज-4 हो तो उनको गर्भधारण नहीं करने की सलाह दी जाती है।
मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर में गुर्दो रोग विशेषज्ञ डाॅ रणवीरसिंह चौधरी ने गर्भावस्था में गुर्दे की बीमारी विषय पर व्याख्यान देते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिन महिलाओं को पहले से हाई ब्लड प्रेशर रहता है और गुर्दे की बीमारी से ग्रसित हैं उन्हें गर्भधारण में विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
उन्होंने बताया कि सिरम क्रिएटिनिन 4 एमजी प्रतिडेसिलिटर (डीएल) से ज्यादा होने की स्थिति में उन्हें गर्भधारण नहीं करने की सलाह दी जाती है। डाॅ चौधरी ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान गुर्दे का संक्रमण (पाइलोनेफ्राइटिस) व रूमेटोलोजिकल बीमारियों (जैसे एसएलई) की वजह से गुर्दे खराब होने का प्रतिशत ज्यादा होता है।
गुर्दे खराब होने की अवस्था में उन्हें डायलिसिस व गुर्दा प्रत्यारोपण जैसा ईलाज कम ही नसीब हो पाता है। ल्यूपस नेफराइटिस के मरीजों को तो गर्भावस्था के दौरान गुर्दे की बीमारी बढ़ने की संभावना और अधिक होती है। जिन महिलाओं के गुर्दा प्रत्यारोपण हो रखा है उन्हें तो एक दो साल बाद ही गर्भधारण करने की सलाह दी जाती है, बावजूद इसके उन्हें अधिक सावधानी व नियमित जांच कराने के लिए भी कहा जाता है।
डाॅ चौधरी ने गर्भावस्था के दौरान पेशाब में संक्रमण, ब्लड प्रेशर ज्यादा रहने पर व गुर्दे और ज्यादा खराब होने पर बच्चा कमजोर व समय से पहले पैदा होने की स्थिति के बारे में भी विस्तार से चर्चा की।
मित्तल हाॅस्पिटल के सभागार में आयोजित इस सेमिनार के मुख्य अतिथि वरिष्ठ फिजीशियन डाॅ एसके अरोड़ा थे। सेमिनार की अध्यक्षता वरिष्ठ स्त्रीरोग विशेषज्ञ डाॅ. अंजू गुप्ता ने की। इस दौरान चिकित्सकों की ओर से पूछे गए सवालों का भी डाॅ चौधरी ने जवाब दिया।
सेमिनार के आरंभ में निदेशक डाॅ दिलीप मित्तल ने मुख्य अतिथि डाॅ एसके अरोड़ा का बुके भेंट कर स्वागत किया। इस अवसर पर हाॅस्पिटल के क्वालिटी एंड आॅपरेशन हैड डाॅ दीपक अग्रवाल ने सेमिनार के विषय पर प्रकाश डाला व अतिथियों का परिचय कराया। सेमिनार में अजमेर केे 72 से अधिक चिकित्सकों ने हिस्सा लिया।