जींद। खेल स्कूल निडानी की महिला पहलवान अंशु मलिक का टोक्यो में होने वाले ओलंपिक में कुश्ती में 57 किलोग्राम भार वर्ग के लिए चयन हुआ है।
अंशु मलिक ने मात्र 11 साल की उम्र से ही अपने भाई अंकित से प्रेरित होकर कुश्ती की दुनिया में कदम रखा। अंशु के दादा वीर सिंह अंतरराष्ट्रीय वैटरन एथलीट है और ताऊ हरियाणा केसरी पवन कुमार साऊथ एशियन गेम्स के स्वर्ण पदक विजेता पहलवान हैं। अपनी इसी पृष्ठभूमि से निकलकर अंशु मलिक ने अपने कुश्ती जगत में पहले कदम से लेकर आज तक पीछे मुड़कर नहीं देखा। ओलंपिक में चयन होने से स्कूल और क्षेत्र में खुशी का माहौल बना हुआ है।
भाई सुरेंद्र सिंह मैमोरियल खेल स्कूल निडानी के संरक्षक पूर्व डीजीपी डा एमएस मलिक ने कहा कि अंशु मलिक का ओलंपिक में चयन होना गौरव की बात है। उन्हें उम्मीद है कि अंशु ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड मेडल जीत कर देश का नाम रोशन करेगी।
अंशु मलिक ने 10 अप्रैल को कजाकिस्तान में आयोजित ट्रायल में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया। अंशु मलिक ने कोरिया की खिलाड़ी यूएमजे को 10-0 से मात दी। क्वाटर फाइनल में कजाकिस्तान की खिलाड़ी टीशिना को 10-0 से पराजित करते हुए सेमीफाइनल में प्रवेश किया। सेमीफाइनल में उज्जेकिस्तान की खिलाड़ी ऑक्मेडोस को 12-2 से पराजित कर ओलंपिक के लिए चयन पक्का किया। जीत के साथ अंशु मलिक ने फाइनल और ओलंपिक का रास्ता साफ कर दिया।
खास बात यह है कि पढ़ाई में भी अंशु काफी होशियार है। दसवीं व बारहवीं में 80 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किए हैं। अब वह रोहतक जाट कॉलेज से बीए कर रही हैं। अपने अगले लक्ष्य जापान में होने वाले ओलंपिक को साधने के लिए अंशु मलिक जी तोड़ मेहनत कर रही हैं। जिसके लिए व हर रोज 250 ग्राम बादाम, तीन किलो दूध, 250 ग्राम घी, अखरोट, अंजीर, जूस आदि लेती हैं। तथा सुबह-शाम तीन से चार घंटे प्रैक्टिस में निकले अपने पसीने को गोल्ड में बदलने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही हैं। भाई सुरेंद्र सिंह मलिक मैमोरियल खेल स्कूल निडानी की प्राचार्या राजवंती मलिक और निदेशक प्रशासन कृष्ण मलिक ने बताया कि बेहतरीन प्रदर्शन के बल पर ही अंशु मलिक ने मुकाम पाया है। उन्हें आशा है कि अंशु मलिक देश के लिए ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करेगी।