जयपुर । राजस्थान विधान सभा के सभापति राव राजेन्द्र सिंह ने “ लार्डस ” शब्द को ईश्वरीय मानते हुये कहा कि इसे गुलामी का प्रतीक नही माना जाये।
सभापति राव राजेन्द्र सिंह ने यह टिप्पणी राज्य सरकार की ओर से रखे गये लार्डस विश्वविद्यालय चिकानी अलवर विधेयक 2018 पर भाजपा से इस्तीफा दे चुके विधायक घनश्याम तिवाडी द्वारा उठाये गये सवाल के जवाब में दी।
उन्होंने विधायक श्री तिवाडी और संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ के बीच इस मुद्दे पर हो रही चर्चा में हस्तक्षेप करते हुये कहा कि आसन लार्डस शब्द को “ ईश्वरीय ” मानती है जिसका सामंती सोच से कोई संबंध नही है। उन्होंने श्री तिवाडी द्वारा मुख्यमंत्री के परिवार के संबंध में की गयी टिप्पणी पर भी फटकार लगाई और कहा कि आसन ने लार्डस की व्याख्या की अनुमति दी थी किसी के परिवार के संबंध में व्याख्या देने के लिये नही। उन्होंने सदस्यों को चेतावनी भी दी कि सदन में किसी सदस्य पर निजी आक्षेप लगाने की कोशिश भी की तो आसन कठोर कार्यवाही करेगा।
तिवाडी ने कहा कि लार्डस शब्द गुलामी का प्रतीक है और देश को आजाद होने के इतने सालों बाद इस नाम से विश्वविद्यालय खोलना देश का अपमान है। उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में लार्डस को भगवान और ईश्वर माना गया है। अत: इसे अंग्रेजों से जोड़ कर नही देखना चाहिये। उन्होंने भाजपा के ही फूलचंद मींडा द्वारा इस विश्वविद्यालय के संबंघ में उठाये सवाल का जवाब देते हुये कहा कि राज्य सरकार ने पूरी छानबीन करके ही इस नाम से विधेयक रखा है।
विश्व विद्यालय विधेयक पर बसपा के मनोज कुमार नांगली ने भी निजी विश्व विद्यालय संशोधन पर आपत्ति करते हुये कहा कि निजी विश्व विद्यालय शोषण के केन्द्र बन गये है जहां मनमाने ढंग से कार्यवाही की जा रही है। राज्य सरकार को इन विश्व विद्यालयों पर नियंत्रण रखने के लिये नियम बनाने चाहिये और उच्च स्तरीय समिति गठित करनी चाहिये।