जयपुर। राजस्थान के संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने आज विधानसभा में कहा कि प्रदेश में किसी भी जनप्रतिनिधि का फोन टैप नहीं हुआ है।
धारीवाल ने शून्यकाल में इस मामले पर सदन में हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि इंडियन टेलीग्राफ एक्ट में केंद्र की नौ एजेंसियों और राज्यों में केवल एक पुलिस के पास फोन टैप करने का अधिकार है। राजस्थान में किसी भी जनप्रतिनिधि का फोन टैप नहीं किया गया। एसओजी ने जो तीन एफआआर दर्ज की थी उनमें एफआर लग चुकी है और अब विधायकों के खरीद फरोख्त मामले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) कर रहा है।
उन्होंने बताया कि कुछ लोगों के विस्फोटक और अवैध हथियारों को लाने ले जाने के बारे में खबर आने पर फोन टैप करने की इजाजत दी गई थी। इसके लिए होम सेक्रेट्री से इजाजत लेकर भरत मालानी और अशोक सिंह के फोन टैप किए गए। इन दोनों के फोन टैप करने पर बात करते-करते राजनीति की सारी बातें आ गई। उन्होंने कहा कि इन सब बातों को देखते हुए चुनी हुई सरकार को गिराने का षडयंत्र करने की इंस्पेक्टर विजय कुमार राय ने एफआईआर दर्ज कराई।
उन्होंने कहा कि इस मामले को उठाने की विपक्ष की मुख्य मंशा केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को बचाने की और इसके लिए वह यह मुद्दा उठाया जाता है। जब उन पर इतना बड़ा आरोप था, प्रधानमंत्री को तो इसमें उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए। यदि वे पाक साफ हैं तो वॉयस टेस्ट से क्यों बच रहे हैं। तीन दिन तक लगातार एसओजी के बड़े अफसर उनके घर एवं दफ्तर के चक्कर काट रहे थे। वॉयस सैंपल दे, अब दे दे।
धारीवाल ने कहा कि विपक्ष ने आरोप लगाया हैं कि ये फोन टैपिंग के ऑडियो टैप सीएमआर में बने हैं, अगर यह साबित कर दिया जाये तो मुख्यमंत्री आज भी राजनीति छोड़ने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि इस बारे में सबूत दे दो, मुख्यमंत्री जायेगा, हम सब उनके साथ जायेंगे। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने सदन का फिजूल का वक्त बिगाड़ा हैं। उन्होंने कहा मैं निवदेन करता हूं कि इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शेखावत को बुलाकर वॉयस सैम्पल दे दे, दूध का दूध एव पानी का पानी हो जायेगा।