मनीला. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि पश्चिमी प्रंशात देशों में पिछले एक दशक में तपेदिक (टीबी) के मामलों में 14 प्रतिशत कमी आई है लेकिन इस क्षेत्र में प्रति वर्ष 18 लाख लोगों के संक्रमित होने के मद्देनजर अभी इस दिशा में काफी कुछ किया जाना है।
डब्ल्यूएचओ के पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र के निदेशक डॉ शिन याेंग सू के मुताबिक इस क्षेत्र में टीबी के मामलों में कमी आ रही है लेकिन यह काफी धीमी रफ्तार से हो रहा है और इस बीमारी को हमेशा के लिए समाप्त करने के लिए हमें काफी कुछ करना है।पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में टीबी उपचार का दायरा 2007 के 69 प्रतिशत से बढ़कर 2016 में 76 प्रतिशत हो चुका है
और इस बीमारी से इस क्षेत्र में होने वाली मौतों का आंकड़ा प्रति एक लाख लोगों में पांच मरीज का है जबकि वैश्विक आैसत प्रति एक लाख लोगों में 17 मरीजों का है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार प्रत्येक चार टीबी मरीजों में एक को बेहतर उपचार नहीं मिल पा रहा है अौर इस दिशा में भी काम करने की जरूरत है कि क्या निजी क्षेत्र में मरीजों को बेहतर इलाज मिल रहा है या नहीं।
विश्व के 10 जानलेवा रोगों में टीबी भी एक है और फेफड़ों की टीबी का एक मरीज जब खांसता है या छींकता है या थूकता है तो वह कम से कम 14 लोगों को इस बीमारी के जीवाणुओं का प्रसार कर देता है। ये जीवाणु हवा में छह घंटे तक रह सकते हैं और भीड़-भाड़ वाले क्षेत्र में लाेग अक्सर इसका शिकार हाे जाते है। इन जीवाणुओं की एक खासियत यह भी है कि ये धूप में मर जाते हैं।
लगातार तीन हफ्तों तक खांसी, बुखार, थूक में खून आना और वजन कम होना कुछ आम लक्ष्ण है जो इस बीमारी का संकेत है।उन्होंने कहा कि हालांकि टीबी संक्रामक रोग है लेकिन यह पूरी तरह ठीक हो सकता है बशर्ते इसका पूरा उपचार कराया जाए।टीबी के 90 प्रतिशत से अधिक मरीज विकासशील देशों में है और 2016 में 45 प्रतिशत नए मामले एशिया में देखे गए हैं।