नई दिल्ली। स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी शाओमी ने भारत में प्रिंटेट सर्किट बोर्ड असेंबली के साथ ही तीन नए मोबाइल फोन निर्माण संयंत्र शुरू करने की घोषणा करते हुए सोमवार को कहा कि इससे भारत के इलेक्ट्राॅनिक्स विनिर्माण के क्षेत्र में 15 हजार करोड़ रुपए का निवेश होने के साथ ही 50 हजार से अधिक लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
वैश्विक स्तर के 50 से अधिक स्मार्टफोन कंपोनेंट आपूर्तिकर्ताओं के तीन दिवसीय सम्मेलन के शुभारंभ के अवसर पर कंपनी ने यहां यह घोषणा करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के नोएडा में अब तक कंपनी के लिए पावर बैंक बनाने वाली कंपनी हिपड टेक्नालॉजी ने भी स्मार्टफोन का निर्माण शुरू हो गया है।
इसके अतिरिक्त कंपनी ने स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी फॉक्सकॉन के साथ मिलकर तीन नए संयंत्र शुरू किए हैं, जो आंध्र प्रदेश के श्रीसिटी में और तमिलनाडु के श्रीपेरंबदुर में 180 एकड़ में फैले हुए हैं। फॉक्सकॉन के संयंत्रों में अब 10 हजार से अधिक लोग काम कर रहे हैं जिनमें से 95 प्रतिशत महिलाएं हैं। नए संयंत्रों में विनिर्माण शुरू होने के साथ ही शाओमी अब हर मिनट दो स्मार्टफोन का भारत में निर्माण करने लगी है।
शाओमी ग्लोबल के उपाध्यक्ष एवं शाओमी इंडिया के प्रबंध निदेशक मनु जैन ने सम्मेलन में यह घोषणा करते हुए कहा कि कंपनी की स्थानीयकरण रणनीति के तहत फॉक्सकॉन के साथ मिलकर श्रीपेरंबदुर में पहला सरफेस माउंट टेक्नाेलॉजी (एसएमटी) का निर्माण किया जाएगा जिसमें प्रिंटेट सर्किट बोर्ड असेंबली होगी।
उन्होंने कहा कि भारत को वैश्विक विनिर्माण हब बनाने के लिए इस सर्किट असेबंली यूनिट की जरूरत है। उन्होंने कहा कि स्मार्टफोन में 50 फीसदी हिस्सेदारी प्रिंटेट सर्किट बोर्ड की होती है और चालू वर्ष की तीसरी तिमाही में भारत में उनकी कंपनी शत प्रतिशत प्रिंटेट सर्किट बोर्ड की असेबंली शुरू कर देगी।
उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में भाग ले रहे सभी वैश्विक आपूर्तिकर्ता यदि भारत में विनिर्माण शुरू करेंगे तो इससे 15 हजार करोड़ रुपए का निवेश आने के साथ ही 50 हजार से अधिक लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। उन्होंने कहा कि शाओमी इस लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रही है और उसके सभी आपूर्तिकर्ताओं के भारत में विनिर्माण संयंत्र लगाने की संभावना है।
इस सम्मेलन में भाग ले रहे वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं को कंपनी नोएडा और आंध्र प्रदेश का दौरा कराएगी ताकि वे भारत में निवेश की संभावना तलाश सकें और केन्द्र तथा राज्यों के निवेश आकर्षित करने की नीतियों से अवगत हो सकें।