नयी दिल्ली | हरियाणा सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय से कहा कि वह तब तक दिल्ली को यमुना नदी के पानी की आपूर्ति बाधित नहीं करेगी जब तक कि न्यायालय जल बंटवारा विवाद मामले में अपना फैसला नहीं सुना देता।
न्यायमूर्ति मदन भीमराव लोकुर की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 मई की तारीख तय की है। दिल्ली सरकार ने राजधानी में पानी की किल्लत का हवाला देते हुए हरियाणा को अधिक पानी देने का निर्देश देने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। हरियाणा सरकार ने न्यायालय को बताया था कि यमुना नदी में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष लगभग तीन चौथाई कम पानी आ रहा है और इसका जल स्तर काफी कम हो गया है। सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बताया था कि यमुना का जल स्तर कम होने के कारण इस वर्ष हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश को पानी की अापूर्ति प्रभावित हो सकती है। हरियाणा 15 मई तक दिल्ली को 150 क्यूसेक पानी देने को तैयार है लेकिन शीर्ष न्यायालय को सूचित कर दिया है कि इस वर्ष यमुना का जलस्तर काफी नीचे चला गया है।
उच्चतम न्यायालय ने गत 23 अप्रैल को दिल्ली और हरियाणा के मुख्य सचिवों को जल संसाधन मंत्रालय के सचिव के साथ यमुना नदी के पानी के बंटवारे को लेकर जारी विवाद के हल के लिए बैठक बुलाने का निर्देश दिया था। न्यायालय हरियाणा द्वारा यमुना नदी के पानी की आपूर्ति कम करके एक तिहाई किए जाने संबंधी दिल्ली जल बोर्ड की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। दिल्ली जल बोर्ड का आरोप है कि इससे राजधानी में पानी का गंभीर संकट पैदा हो गया है। फिलहाल हरियाणा की आेर से 330 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है लेकिन दिल्ली सरकार का कहना है कि बढ़ती गर्मी के मद्देनजर लोगों की मांग पूरी करने के लिए उसे और पानी की जरूरत है। हरियाणा सरकार ने हालांकि यह कहकर अधिक पानी देने से इन्कार कर दिया था कि उसके राज्य में भी इस मौसम में पानी की खपत अधिक है।