जयपुर। राजस्थान में वर्ष 2020 वैश्विक महामारी कोरोना के कारण लोगों के लिए बहुत ज्यादा दुखदायी रहा और इससे दो विधायक सहित लगभग 2700 लाेगों की मौत हो गई वहीं यह साल कोरोना के बीच सियासी संकट, चुनाव, सरकार और राजभवन के बीच टकराव एवं गुर्जर एवं किसान आंदोलन तथा अन्य कई घटनाओं से भरा रहा।
राजस्थान में कोरोना ने वर्ष 2020 में दो मार्च को दस्तक दी थी और पिछले दस महीनों में इससे काफी दिनों तक जहां जनजीवन अस्तव्यस्त रहा वहीं इससे इस दौरान प्रदेश के भीलवाड़ा के सहाड़ा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी और राजसमंद से भारतीय जनता पार्टी की विधायक किरण माहेश्वरी की मृत्यु हो गई।
कोरोना से प्रदेश में केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत एवं कैलाश चौधरी, राज्य के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा, परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास, पूर्व पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह सहित अन्य कई मंत्री, कई विधायक एवं सांसद सहित पचास से अधिक नेताओं को कोरोना की पीड़ा झेलनी पड़ी।
इससे प्रदेश में पिछले दस महीनों में तीन लाख से अधिक लोग कोरोना से पीड़ित हो गये और इनमें से करीब 2700 लोग कोरोना के शिकार हो गए। हालांकि राजस्थान को वर्ष 2020 में दुनियां में कोरोना से निपटने में मिसाल कायम करने वाला राज्य के रुप में भी याद किया जाएगा।
प्रदेश में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार ने कोरोना के लिए सतर्क रहकर इससे निपटने में भीलवाड़ा में शुरु में की गई व्यवस्थाओं के कारण भीलवाड़ा मॉडल न केवल देश बल्कि दुनियां में मिसाल बन गया। इसकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी प्रशंसा की। राज्य सरकार ने कोरोना काल में अन्य प्रदेशों में फंसे 14 लाख से अधिक लोगों को राजस्थान लाने की व्यवस्था की वहीं प्रदेश में अन्य राज्यों के करीब छह लाख लोगों को अपने घर भेजकर भी काफी वाही वाही लूटी।
राजस्थान को कोरोना से निपटने के लिए सबसे पहले 22 मार्च को ही लॉकडाउन लागू करके देश का पहला राज्य के रुप में भी याद किया जाएगा जबकि देश में 25 मार्च को लॉकडाउन लगा था। इस वर्ष को राज्य में सबसे अधिक कई दिनों तक लोगों को घरों में कैद रहने को मजबूर, सैकड़ों स्थानों पर कर्फ्यू लागू रहने एवं एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए मंजूरी लेने जैसे कड़े अनुभव के रुप में भी याद किया जाएगा।
यह वर्ष शिक्षा में कई परिवर्तन के रुप में भी याद किया जाएगा जिसमें दस अप्रैल को गैर बोर्ड के विद्यार्थियों को बिना परीक्षा ही अगली कक्षा में क्रमोन्नत कर दिया गया वहीं कोरोना के कारण स्कूल और कॉलेज तथा कोचिंग केन्द्र बंद रहे और इस दौरान ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था का नया दौर चल पड़ा। इसके अलावा यह वर्ष पहली बार महामारी के कारण कई दिनों तक धार्मिक स्थल, रेलें, बसें आदि आवागमन के साधन बंद रहने के रुप में भी याद किया जाएगा।
राज्य में वर्ष 2020 सियासी संकट के चलते काफी उठापटक भरा रहने के रुप में भी याद किया जायेगा। सियासी संकट के चलते कांग्रेस की गहलोत सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे वहीं राजस्थान अन्य राज्यों में सियासी संकट के समय भी वहां के विधायकों की यहां बाड़ेबंदी होने से सबसे सुरक्षित जगह के रुप में भी याद किया जाएगा।
इस दौरान उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली के मानेसर पहुंच जाने की खबरें आई और सियासी संकट तेज हो गया। इसके चलते गहलोत गुट के माने जाने वाले विधायकों की भी बाड़ेबंदी की गई। सियासी संकट के शुरु होने के बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री पद से एवं पयर्टन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह एवं खाद्य मंत्री रमेश मीणा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया।
पायलट को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया। एक महीने से भी अधिक चले सियासी संकट के कारण सरकार को जैसलमेर के एक होटल में कुछ दिन रहना पड़ा। इनमें गहलोत एवं उनके मंत्री तथा विधायक शामिल थे। राज्य में गुजरात एवं मध्यप्रदेश में भी सियासी संकट सामने आने पर कांग्रेस विधायकों की जयपुर में बाड़ेबंदी की गई।
सियासी संकट के समाधान में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को दखल करनी पड़ी और नाराज पायलट को मनाया गया। इसके बाद 13 अगस्त को पायलट गहलोत के आवास पर आकर उनसे मुलाकात भी काफी चर्चा का विषय रही।
गहलोत सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना चाहा पर राज्यपाल ने सरकार का विशेष सत्र बुलाने के प्रस्ताव को कोरोना का हवाला देते हुए ठुकरा देने से सरकार और राजभवन में टकराव पैदा हो गया। हालांकि बाद में 14 अगस्त को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया जिसमें गहलोत सरकार ने विश्वास मत हासिल कर लिया।
सियासी उठापटक के बीच विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने पायलट सहित 19 विधायकों को अयोग्य ठहराने संबंधी नोटिस दिया गया। इस पर पायलट गुट उच्च न्यायालय की शरण में गए और उच्च न्यायालय ने अध्यक्ष के नोटिस पर असहमति जताते हुए कार्रवाई पर रोक लगा दी थी जिसे अध्यक्ष ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। हालांकि बाद में अध्यक्ष ने अपनी याचिका वापस ले ली थी।
वर्ष 2020 राजस्थान में कोरोना के बीच राज्यसभा, नगर निगम एवं पंचायत चुनाव तथा निकाय चुनाव कराने को लेकर भी याद किया जाएगा। राज्य में राज्यसभा की तीन सीटों पर 19 जून को हुए चुनाव में विधायकों की संख्या बल के आधार पर भाजपा के एक और कांग्रेस के दो प्रत्याशी की जीत की संभावना के बीच भाजपा ने अपना दूसरा प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में उतार देने से इस वर्ष को राज्यसभा चुनाव में भी विधायकों की बाड़ेबंदी के रुप में याद किया जाएगा।
इसी तरह कोरोना महामारी के बीच ही जयपुर, जोधपुर एवं कोटा के नवगठित छह नगर निगमों में 29 अक्टूबर एवं एक नवंबर को चुनाव कराया गया। इसी तरह ग्राम पंचायत के 28 अक्टूबर से चार चरणों में चुनाव कराए गए। कोरोना के बीच ही 23 एवं 27 नवम्बर तथा एक एवं पांच दिसम्बर को चार चरणों में जिलापरिषद एवं 11 दिसम्बर को प्रदेश की 50 निकायों के चुनाव कराना भी याद किया जाएगा।
कोरोना काल में शिक्षक भर्ती के शेष पद भी आदिवासी उम्मीदवारों से भरने की मांग को लेकर डूंगरपुर में 25 सितंबर को हिंसक प्रदर्शन हुआ। इस प्रदर्शन में गोली लगने से एक युवक की मौत भी हो गई थी। इसी तरह अपनी मांगों को लेकर गुर्जरों ने कोरोना के बीच एक बार फिर एक नवंबर को भरतपुर जिले में आंदोलन शुरु कर दिया। हालांकि बाद में 12 नवंबर को आंदोलन सरकार के आगे आने पर समाप्त हो गया।
वर्ष 2020 राज्य में किसान आंदोलन के रुप में भी याद किया जाएगा। केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर देश भर में चल रहा किसान आंदोलन के समर्थन में राजस्थान के किसान भी शामिल हुए और हरियाणा सीमा के पास शाहजहांपुर बार्डर पर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या आठ पर किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट के नेतृत्व में गत 12 दिसम्बर से टेंट लगाकर पड़ाव डाल दिया और कड़ाके ठंड में भी किसान डटे हुए हैं।
किसानों के समर्थन में राष्ट्रीय लाेकतांत्रिक पार्टी के संयोजक एवं नागौर सांसद भी आ गये और उन्होंने किसानों के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से नाता भी तोड़ लिया। इसके अलावा कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के लोग भी किसानों के समर्थन में उतर आए।
कांग्रेस ने किसानों के समर्थन में किसान संवाद कार्यक्रम चला रखा हैं। इसके अलावा वर्ष 2020 में एक घूस के मामले में बांरा के निवर्तमान कलेक्टर इंद्र सिंह राव की गिरफ्तारी की घटना भी सामने आई। राव को 23 दिसम्बर को 1.40 लाख रुपए की रिश्वत लेने के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गिरफ्तार किया।
वर्ष 2020 में 27 सितंबर को भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह का निधन एवं 29 अप्रैल को अभिनेता इरफान खान का निधन भी हुआ। सिंह छह साल से कोमा में थे और वह दिल्ली में अस्पताल में भर्ती थे। इसके अलावा अन्य कई घटनाओं के कारण भी वर्ष 2020 याद रहेगा।