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भाजपा नहीं जुटा सकी बहुमत, कुमारस्वामी बनाएंगे सरकार
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भाजपा नहीं जुटा सकी बहुमत, कुमारस्वामी बनाएंगे सरकार

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भाजपा नहीं जुटा सकी बहुमत, कुमारस्वामी बनाएंगे सरकार
कर्नाटक विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने से पहले येद्दियुरप्पा का इस्तीफा
कर्नाटक विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने से पहले येद्दियुरप्पा का इस्तीफा
कर्नाटक विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने से पहले येद्दियुरप्पा का इस्तीफा

बेंगलुरु। कर्नाटक के जरिये दक्षिण भारत में पैर पसारने के भारतीय जनता पार्टी के मंसूबों को आज उस समय बड़ा झटका लगा जब जरूरी बहुमत जुटाने में विफल रहे उसके नेता बीएस येद्दियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनने के तीसरे दिन ही अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और अब जनता दल (एस) नेता एच डी कुमारस्वामी नई सरकार बनाएंगे।

उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुरूप येद्दियुरप्पा ने विधानसभा में आज विश्वास मत पेश किया लेकिन उस पर मतदान से पहले ही उन्होंने इस्तीफे की घोषणा कर दी। वह विधानसभा से सीधे राजभवन गए और राज्यपाल वजूभाई वाला को इस्तीफा सौंप दिया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।

इसके कुछ ही देर बाद राज्यपाल ने कुमारस्वामी को नई सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर दिया। वह सोमवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। कुमारस्वामी कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे। दोनाें दल 117 विधायकों के समर्थन की सूची पहले ही राज्यपाल को सौंप चुके हैं।

येद्दियुरप्पा ने विधानसभा में इस्तीफे की घोषणा करने से पहले भावुक भाषण दिया और 1996 की याद ताजा करा दी जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कुछ इसी तरह की स्थिति में लोकसभा में विश्वासमत पर मतदान से पहले इस्तीफा देने की घोषणा की थी। वाजपेयी ने सबसे बड़े दल के नेता के रूप में केंद्र में सरकार बनाई थी लेकिन वह बहुमत जुटाने में विफल रहे थे।

कर्नाटक विधानसभा के 15 मई को आये चुनाव परिणामों के बाद से ही सरकार के गठन को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच घमासान शुरू हो गया था और यह मामला देश के सर्वाेच्च न्यायालय में भी पहुंचा। स्थिति की नजाकत को देखते हुए उच्चतम न्यायालय ने अाधी रात के बाद से भोर तक इस मामले पर सुनवाई की और मामले में हस्तक्षेप भी किया।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव की मतगणना के बीच जब कांग्रेस को लगा कि भाजपा सबसे दल के रूप में उभर रही है लेकिन जनता दल(एस) तथा उसे विधानसभा में भाजपा से ज्यादा सीटें मिल रहीं हैं तो उसने पूरे परिणाम आने की प्रतीक्षा किए बिना ही जनता दल(एस) को सरकार बनाने में समर्थन की घोषणा कर दी। शाम आते आते दोनों खेमों ने राज्यपाल के पास जाकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया।

विधानसभा की 224 सीटों में 222 सीट के लिए हुए चुनाव में भाजपा को 104 सीटें मिली जबकि कांग्रेस को 78 तथा जनता दल(एस) को 37 सीटें और उसकी सहयोगी बहुजन समाज पार्टी को एक सीट मिली है। एक सीट निर्दलीय को तथा एक अन्य पार्टी को मिली है।

राज्यपाल ने सबसे बड़े दल के रूप में येद्दियुरप्पा को सरकार बनाने का निमंत्रण देने के साथ ही उन्हें बहुमत सिद्ध करने के लिये 15 दिन का समय दिया। इससे बिफरी कांग्रेस और जनता दल (एस) ने 16 मई की रात सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया।

न्यायालय ने बहुमत सिद्ध करने के राज्यपाल के 15 दिन के समय में भारी कटौती करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री शनिवार को शाम चार बजे बहुमत सिद्ध करें। इस बीच राज्यपाल द्वारा कर्नाटक विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष केजी बोपैया को अस्थायी अध्यक्ष बनाए जाने का मामला भी उच्चतम न्यायालय पहुंचा। अदालत ने इस नियुक्ति को रद्द करने की मांग को तो खारिज कर दी लेकिन विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने संबंधी कार्यवाही का पूरे देश में सीधे प्रसारण पर सहमति जताई।

येद्दियुरप्पा ने अपने संबोधन में कांग्रेस पर साजिश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस पार्टी ने यह सुनिश्चित किया कि उनकी पार्टी बहुमत साबित नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि लाेकतंत्र में मतदाता ही सब कुछ होता है और वह उनके निर्णय को स्वीकार करते हैं।

उन्होंने भरे गले से कहा कि जब तक उनकी सांस चलेगी वह कर्नाटक के हितों के लिए काम करते रहेंगे। अगला विधानसभा चुनाव पांच साल के बाद या उससे पहले भी हो सकते हैं और उन्हें भरोसा है कि वह उसमें बहुमत के साथ जीतकर आएंगे।