नई दिल्ली। सरकार ने भारी संकट में फंसे निजी क्षेत्र के चौथे बड़े बैंक यस बैंक के पुनगर्ठन योजना को शुक्रवार को मंजूरी प्रदान कर दी जिसके तहत 49 प्रतिशत देश के सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक लेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह मंजूरी दी गई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यहां संवाददाताओं को यह जानकारी देते हुए कहा कि इस संबंध में अधिसूचना जारी की जाएगी और अधिसूचना जारी होने के तीन कार्यदिवस में इस बैंक पर लगा प्रतिबंध हटा लिया जाएगा। इसके सात दिनों में नियुक्त प्रशासक कार्यालय खाली कर देंगें और नया निदेशक मंडल गठित किया जाएगा जो इसका काम काज देखागा। नए निदेशक मंडल में भारतीय स्टेट बैंक के दो प्रतिनिधि होंगे।
उन्होंने कहा कि बैंक की अधिकृत पूंजी को 1100 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 6200 करोड़ रुपए करने को भी मंजूरी दी गई है। चूकता पूंजी के संबंध में और अन्य जानकारियां अधिसूचना में दी जाएगी। भारतीय स्टेट बैंक अपने निवेश में से 26 फीसदी हिस्सेदारी का तीन वर्ष तक विनिवेश नहीं कर सकता है। यह लॉकिंग अवधि है। अन्य निवेशकों के लिए यह सीमा 75 फीसदी और तीन वर्ष है।
उन्होंने कहा कि गत पांच मार्च को रिजर्व बैंक ने यस बैंक के निदेशक मंडल को भंग करते हुए इसको प्रतिबंधित कर दिया था और इसके लिए प्रशासक नियुक्त किया था। छह मार्च को पुनगर्ठन योजना का प्रारूप जारी किया गया और उस पर मिली प्रतिक्रिया के बाद इस प्रारूप को अंतिम रूप दिया गया जिसे आज मंजूरी दी गई।
रिजर्व बैंक ने इस बैंक को प्रतिबंधित करने के साथ ही ग्राहकों के लिए निकासी की सीमा 50 हजार रुपए निर्धारित कर दिया था। यह प्रतिबंध 30 दिनों के लिए है लेेकिन अब सरकार ने पुनगर्ठन योजना के लिए अधिसूचना जारी होने के बाद तीन कार्यदिवस में इस रोक को हटाने की बात कही है।