नयी दिल्ली । अगर आप अर्थराइटिस के मरीज़ है तो आप योग जरुर करें क्योंकि इस रोग में योग अधिक असर करता है। यह बात अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के एक अध्ययन से भी सामने आयी है।
संस्थान के रेमयूटोलजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. उमा कुमार ने विश्व अर्थराइटिस दिवस की पूर्व संध्या पर बातचीत में कहा कि एम्स पिछले दो साल से इस बात का अध्ययन कर रहा है कि जो मरीज़ योग करते हैं उन्हें दवा कितनी असर करती है और जो मरीज़ योग नहीं करते उन पर दवा कितनी असर करती है। इसके लिए हमने मरीजों के दो वर्ग बनाये और अध्ययन में पाया कि जो मरीज़ दवा के साथ योग भी करते हैं उनकी हालत बेहतर है, उन्हें दर्द और जकड़न कम होती है।
डॉ. कुमार ने कहा कि इस रोग के मरीजों को प्राणयाम जरुर करना चाहिए और अपने खान पान पर जरूर ध्यान देना चाहिए तथा कसरत जरूर करनी चाहिए लेकिन महानगरों में भाग दौड़ के जीवन में लोग इन बातों पर ध्यान नहीं देते हैं।
उन्होंने बताया कि आम तौर पर लोग इस रोग को गंभीरता से नहीं लेते और जोड़ों का दर्द या कमर का दर्द समझकर हड्डी के डाक्टर के पास या किसी फिजिशियन के पास चले जाते हैं लेकिन उन्हें किसी प्रशिक्षित रेमयूटोलोजिस्ट से जरूर दिखाना चाहिए और अख़बारों में छपने वाले विज्ञापनों तथा नीम हकीमों से बचना चाहिए जो किसी तेल से इस रोग को दूर करने की सलाह देते हैं।
उन्होंने कहा कि यह रोग हृदय, किडनी, फेफड़े सबको प्रभावित करता है इसलिए इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस रोग का सही समय पर उपचार नहीं कराया जाने पर विकलांगता भी हो सकती है। दुनिया में 22 प्रतिशत विकलांगता इसी रोग के कारण है।
उन्होंने बताया कि इस रोग के बारे में लोगों में अभी जागरूकता नहीं है और चिकित्सा विज्ञान में दो दशक पहले ही विधिवत अध्ययन शुरू हुआ है। उन्होंने कहा कि 1995 तक मेडिकल किताबों में कुछ ही पेज इस रोग के बारे में होते थे और बहुत कम अस्पतालों में अलग विभाग होते थे। एम्स में तीन साल पहले अलग विभाग बना और इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि नीति निर्धारकों ने इस रोग को कितना गम्भीरता से लिया है।
उन्होंने कहा कि प्रदूषण और धूम्रपान भी इस रोग के लिए बहुत घटक है इसलिए अपने घर में और आस पास स्वच्छ पर्यावरण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके मरीजों को अत्यधिक मोबाइल कम्प्यूटर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि इस से मांसपेशियों पर प्रभाव पड़ता है। डॉ. कुमार ने कहा कि अब कई नयी दवाएं और इंजेक्शन आ गये हैं जिससे मरीजों को अब काफी आराम मिल रहा है।