नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के ताजा शोध से यह पता चला है कि योग माइग्रेन के कारण होने वाले तेज सिरदर्द को दूर करने में कारगर साबित होता है।
एम्स के सेंटर फोर इंटिग्रेटिव मेडिसीन एंड रिसर्च (सीआईएमआर)और न्यूरोलॉजी विभाग का यह संयुक्त शोध गत माह अमेरिका की न्यूरोलॉजी अकादमी की आधिकारिक पत्रिका ‘न्यूरोलॉजी’ में प्रकाशित हुआ।
मुख्य शोधकर्ता न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ रोहित भाटिया, सीआईएमआर के प्रभारी प्रोफेसर डॉ गौतम शर्मा तथा न्यूरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ रेजिडेंट डॉ आनंद कुमार ने शोध पत्र में लिखा है कि माइग्रेन के उपचार में सिर्फ दवाओं को देने के बजाय इसमें योग को भी शामिल किया जाए तो ईलाज अधिक कारगर साबित होता है।
शोध के मुताबिक अगर माइग्रेन का मरीज अगर दवा के साथ योग को अपनी जीवनशैली में शामिल करे तो इसके दौरे कम आते हैं, सिरदर्द की तीव्रता कम होती है और यह कम अवधि के लिए होते हैं।
माइग्रेन के उपचार में प्रयोग होने वाली दवायें करीब 50 फीसदी मरीजों के लिए ही कारगर होती हैं। इसके उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली कई दवाओं का साइड इफेक्ट होता है जिसके कारण करीब 10 फीसदी मरीज इसका इस्तेमाल बंद कर देते हैं।
शोध के लिए चयनित माइग्रेन के 114 मरीजों को दो समूहों में विभक्त किया गया। पहले समूह के मरीजों को डॉक्टरों ने सिर्फ दवाएं दीं जबकि दूसरे समूह के लिए दवाओं के साथ -साथ योग को भी उपचार में शामिल किया गया।
दूसरे समूह में उन मरीजों को शामिल किया गया जिन्हें औसतन अधिक तेज सिरदर्द होता था और उन्हें माइग्रेन के दौरे भी अधिक तथा अक्सर आते थे। दूसरे समूह के मरीजों को श्वसन संबंधी योग और अन्य आसन कराए गए। इन मरीजों को कराए जाने वाले आसनों का चयन सीआईएमआर ने किया था।
इन मरीजों को सीआईएमआर के योग थेरेपिस्ट के निरीक्षण में एक माह तक प्रति सप्ताह तीन दिन एक घंटे के लिए योग पद्धति से प्रशिक्षित किया गया। बाद में इन्हें अगले दो माह तक घर में सप्ताह में पांच दिन योग करने के लिए कहा गया।
बाद में पाया गया कि दोनों समूहों के सिरदर्द की तीव्रता और दौरे में कमी आई है लेकिन दवा के साथ योग को उपचार में शामिल करने वाले समूह को अधिक लाभ हुआ। माइग्रेन के दौरों के मामले में शोध की शुरूआत में योग और दवा को उपचार में शामिल करने वाले मरीजों को प्रति माह औसतन 9.1 बार सिरदर्द होता था लेकिन शोध के अंत तक यह 48 फीसदी घटकर 4.7 रह गया। सिर्फ दवा लेने वाले मरीजों के दर्द में लेकिन यह गिरावट 12 फीसदी की ही रही, जो प्रतिमाह 7.7 से घटकर 6.8 रह गई।
इसके अलावा योग करने वाले समूह के दवा लेने की मात्रा में 47 फीसदी और सिर्फ दवा लेने वाले समूह के दवा लेने की मात्रा में 12 प्रतिशत की गिरावट आई। इससे पता चलता है कि योग से सिर्फ दर्द में कमी नहीं आती बल्कि माइग्रेन के उपचार में होने वाले खर्च में भी कमी आती है।