नई दिल्ली/वाशिंगटन। अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगातार तीसरे दिन ‘वोटर टर्नआउट’ के लिए कथित रूप से भारत को मिले 2.1 करोड़ डॉलर का मुद्दा उठाया है।
ट्रंप का यह ताजा बयान उस रिपोर्ट के बाद आया है जिसमें दावा किया गया है कि 2022 में 2.1 करोड़ डॉलर का अनुदान भारत के लिए नहीं बल्कि बांग्लादेश के लिए मंजूर किया गया था।
राष्ट्रपति ट्रंप ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मेरे मित्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारत को ‘वोटर टर्नआउट’ के लिए 2.1 करोड़ डॉलर दिए जा रहे हैं। हम भारत में मतदान के लिए 2.1 करोड़ डॉलर दे रहे हैं। हमारा क्या? मैं भी तो मतदान बढ़ाना चाहता हूं। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रपति ट्रंप ने बांग्लादेश को मिले 2.9 करोड़ डॉलर अमरीकी मदद का भी जिक्र किया।
ट्रंप ने कहा कि बांग्लादेश को 2.9 करोड़ डॉलर राजनीतिक परिदृश्य में स्थिरता लाने के लिए दिए गए। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में 2.9 करोड़ अमरीकी डॉलर एक ऐसी फर्म को दे दिए गए, जिसके बारे में किसी ने कभी सुना ही नहीं था। उस फर्म में केवल दो लोग काम कर रहे थे।
गौरतलब है कि अमरीकी सरकार की एजेंसी यूएसएड की ओर से कथित रूप से भारत को दिए गए मदद का मुद्दा देश में राजनीतिक टकराव की वजह बन गया है। भारत में इस मुद्दे पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच तीखी नोकझोंक चल रही है।
ट्रम्प के बयान का श्वेतपत्र पर जवाब दे सरकार : कांग्रेस
कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के अनुसार यूएसएड से 21 मिलियन डॉलर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मिले हैं तो अब श्री मोदी की जिम्मेदारी है कि वह ट्रम्प के बयान पर देश को जवाब दें।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने आज यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अब खुद राष्ट्रपति ट्रम्प ने कह दिया है कि पैसा मोदी को गया है तो मुद्दे को भटकाने की बजाय इस राशि का पाई-पाई हिसाब श्वेत पत्र के माध्यम से देश को देना चाहिए। उन्होंने ट्रम्प का बयान सुनते हुए दावा किया है कि 21 मिलियन डॉलर मोदी को चुनाव प्रभावित करने के लिए दिए गए हैं।
खेड़ा ने कहा कि ट्रम्प के इस बयान के बाद आज भाजपा में चारों तरफ चुप्पी है लेकिन हम श्री मोदी से जानना चाहते हैं कि ये पैसा कहां गया। ट्रम्प के बयान से साफ है कि 21 मिलियन डॉलर यानी करीब 181 करोड रुपए मोदी को दिया गया है।
यह फंड चुनावों को प्रभावित करने और वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए दिए। हम लगातार वोटर टर्नआउट के बारे में सरकार से सवाल कर रहे हैं और अब पूछ रहे हैं कि क्या इसी पैसे से वोटर टर्न आउट बढ़ रहा है। कितना भी विदेशी फंड आए वह भारत के लोकतंत्र को कमजोर नहीं कर पाएगा।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2001 से 2024 तक भारत को 2.1 अरब डॉलर मिले हैं। इस राशि का 44.4 प्रतिशत मोदी सरकार बनने के बाद आया है और 40 प्रतिशत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के समय आया गया था इसलिए इस मामले में श्वेत पत्र जारी किया जाना चाहिए कि भारत में अमरीका से कब और कितना पैसा आया और किस-किसको यह पैसा गया इस पूरे विवरण के साथ श्वेत पत्र जारी किया जाना चाहिए।
इस श्वेत पत्र में कोविड तथा नोटबंदी के समय भी जो पैसा आया है उसका पूरा हिसाब सबके सामने आए इसीलिए हम सरकार से यूएसएड को लेकर श्वेत पत्र जारी करने की मांग कर रहे हैं।