अखिल भारतीय सम्मेलन
उदयपुर। देश के राज्य जल मंत्रियों के दूसरे अखिल भारतीय सम्मेलन का आगाज मंगलवार को उदयपुर के अनंता रिसोर्ट में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा व केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने केन्द्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री राजभूषण चौधरी, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा, राजस्थान के जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री कन्हैयालाल चौधरी, कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार, हिमाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री अरूण साव की गरिमामय उपस्थिति में किया।
मुख्यमंत्री शर्मा और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री पाटिल सहित गणमान्य अतिथिगणों ने जल कलश सेरेमनी में सहभागिता की तथा नारी शक्ति से जल शक्ति, मोनोग्राफ वाटर हैरिटैज साइट ऑफ इंडिया, जल जीवन मिशन-ब्रेकिंग द सोशल बेरियर का ई-लॉन्च तथा जल संचय-जन भागीदारी फिल्म तथा गीत का ई-लॉन्च किया।
मुख्यमंत्री शर्मा ने इस आयोजन के लिए केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री का आभार व्यक्त करे हुए कहा कि यह सम्मेलन सहयोगात्मक संघवाद की परिकल्पना की जीती-जागती मिसाल है। हमारी संवैधानिक व्यवस्था में जल राज्यों का एक विषय है, लेकिन प्रधानमंत्री के अथक प्रयासों से जल राज्यों के बीच समन्वय एवं सहयोग का विषय बन गया है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विकसित भारत 2047 के सपने को साकार करने में जल आत्मनिर्भरता की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री मोदी ने देश के हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन के रूप में एक भगीरथी प्रयास किया है। प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण को देश के विकास एजेंडे में सर्वाच्च प्राथमिकता दी है तथा इस सबंध में एक अलग से जलशक्ति मंत्रालय भी बनाया जिससे जल से संबंधित परियोजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सम्भव हो पाया है।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री पाटिल ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत अब देश के 15 करोड़ घरों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो रहा है। पानी की शुद्धता को जांचने के लिए 25 लाख महिलाओं को किट एवं प्रशिक्षण दिया गया। इसी तरह, वर्षा जल संग्रहण के लिए कैच द रैन का अभियान चलाया जा रहा है। रामजल सेतु परियोजना (संशोधित पीकेसी लिंक परियोजना) के तहत राजस्थान को ज्यादा पानी मिलेगा। परियोजना के तहत आने वाले समय में राजस्थान को बड़ी मात्रा में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। उन्होंने कहा कि यमुना जल समझौते के तहत भी राजस्थान तथा हरियाणा राज्यों के त्वरित निर्णय से यमुना का सरप्लस वॉटर राजस्थान में आना संभव हो पाएगा।
जल संसाधन मंत्री रावत ने बताया कि राम जल सेतु लिंक परियोजना प्रदेश की जीवन रेखा है तथा इसके माध्यम से प्रदेश के 17 जिलों में 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई और 3 करोड़ से अधिक आबादी को पेयजल उपलब्ध होगा। कर्मभूमि से मातृभूमि कार्यक्रम के माध्यम से प्रवासी राजस्थानी प्रदेश के 60 हजार गांवों में भूजल पुनर्भरण हेतु रिचार्ज वैल बनाने में योगदान दे रहे हैं।
राजस्थान सरकार जल संरक्षण के लिए कम पानी में उगने वाली फसलों, शहरी जल प्रबंधन, सीवरेज के पानी के शुद्धीकरण एवं पुनः उपयोग के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग, जल गुणवत्ता और स्रोतों की निगरानी के लिए तकनीक का उपयोग सहित विभिन्न कदम उठा रही है। हम सभी को 2047 तक देश को जल सुरक्षित राष्ट्र बनाने, हर घर में स्वच्छ जल पहुंचाने, किसानों को जल संकट से मुक्ति, नदी-जलाशयों को पुर्नजीवित करने का संकल्प लेना चाहिए।
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने कहा कि ओडिशा में से महानदी, गोदावरी, नर्मदा और ब्रह्मपुत्र जैसी बड़ी नदिया बहती है जो जल संरक्षण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को बढ़ाती है। इसलिए जल सुरक्षित राज्य के लक्ष्य प्राप्त करने के लिए हमने बाढ़ नियत्रंण तथा जल संरक्षण को विभिन्न परियोजनाओं में प्राथमिकता दी है। हमारी महिला स्वयं सहायता समूह भी भू जल रिचार्ज करने में उल्लेखनीय भूमिका निभा रही हैं।
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा कि त्रिपुरा का 70 प्रतिशत क्षेत्र वन क्षेत्र है तथा अधिकतर जनसंख्या आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। हमारी सरकार सिंचाई के प्रोजेक्ट्स को बढ़ाने पर जोर दे रही है, जिससे कृषि की उत्पादकता बढ़े तथा किसानों की आय में वृद्धि हो।
मुख्यमंत्री शर्मा ने केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री पाटिल, जल संसाधन मंत्री रावत व अतिथियों के साथ महाराणा प्रताप गौरव केन्द्र पर महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की साथ ही उन्होंने केन्द्र के परिसर पर कर्म भूमि से मातृभूमि अभियान के तहत जल संचय-जन भागीदारी के अन्तर्गत बोरवैल कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया। कार्यक्रम में केंद्र व प्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों के अधिकारियोंं, जल संरक्षण और पर्यावरण विशेषज्ञों ने भी भाग लिया।
अतिथियों को राष्ट्रीय जल मिशन के शुभंकर ‘पीकू’ की भेंट
अखिल भारतीय राज्य जल मंत्रियों के सम्मेलन में भाग लेने वाले मुख्य अतिथियों और गणमान्य व्यक्तियों को राष्ट्रीय जल मिशन के शुभंकर ‘पीकू’ की स्मृति चिह्न स्वरूप भेंट दी गई। पीकू भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर को दर्शाता है, जो जल संरक्षण और पर्यावरण संतुलन का प्रतीक है। इस विशिष्ट स्मृति चिह्न को उदयपुर और आसपास के क्षेत्रों की जनजातीय महिला कलाकारों द्वारा कुशलता से उकेरा गया जो उनकी पारंपरिक शिल्पकला और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है।
यह पहल स्थानीय कारीगरों को प्रोत्साहन देने और जल संरक्षण के प्रति जनभागीदारी को सशक्त करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। साथ ही यह जल शक्ति अभियान: नारी शक्ति से जल शक्ति की थीम के अनुरूप भी है, जो जल संरक्षण में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने पर बल देती है।
सुरक्षित एवं समृद्ध भविष्य के लिए जल आत्मनिर्भरता बेहद महत्वपूर्ण : भजनलाल शर्मा