सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय
अजमेर। संगीत नाटक अकादमी एवं सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय, अजमेर के संगीत विभाग के संयुक्त तत्त्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला कलाधरोहर का मंगलवार को शुभारंभ हुआ। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि साध्वी अनादि सरस्वती, विशिष्ट अतिथि कृष्ण कुमार गौड़ व अकादमी के सलाहाकार नीलेश कुमार दीपक तथा मुख्य संरक्षक के रूप में प्राचार्य प्रो. (डॉ.) मनोज कुमार बहरवाल मौजूद रहे।
उद्घाटन सत्र का आरम्भ मां शारदा के समक्ष दीप प्रज्वलन से हुआ। कार्यशाला की सहसंयोजिका डॉ. संगीता शर्मा ने अतिथियों का परिचय कराया और कार्यशाला के उद्देश्य से परिचित कराया। मुख्य अतिथि साध्वी अनादि सरस्वती ने कहा कि मीरांबाई की भक्तिधारा ने समाज को व्यापक रूप से आलोकित एवं प्रभावित किया। मीरां के भजन संगीत की अनुपम छवि प्रदान करने वाले हैं, अतः युग चाहे कोई भी हो मीरा और मीरा के भजन की प्रासंगिकता सदैव विद्यमान रहेगी।
विशिष्ट अतिथि नीलेश कुमार दीपक सलाहकार संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली ने भारतीय संगीत कला एवं भारतीय संस्कृति को वर्तमान पीढ़ी से जोड़ने के लिए किए जा रहे कार्यों से परिचित कराया।
कार्यशाला के मुख्य संरक्षक प्राचार्य प्रो. (डॉ.) मनोज कुमार बहरवाल ने महाविद्यालय में कार्यशाला के आयोजन के लिए संगीत नाटक अकादमी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि महाविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए यह गौरव का पल है कि वैश्विक स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान बना चुके राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त प्रशिक्षकों द्वारा मीरां के भक्तिमयी भजनों को सीखने का सुअवसर प्राप्त हो रहा है।
कार्यशाला का आयोजन कृष्णभक्त मीरांबाई के 525वें जन्म महोत्सव के उपलक्ष्य में किया जा रहा है, जिसकी 59वीं शृंखला है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत परफॉर्मिंग आर्ट को बढ़ावा देने के साथ मीरांबाई द्वारा रचित विविध पद एवं पदावलियों के गायन एवं नृत्य के प्रशिक्षण के जरिए भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को वर्तमान युवा पीढ़ी से जोड़ने का है।
कार्यशाला में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित गायक भुंगर खान मांगणियार के साथ ढोलक वादक मंजूर खान, हारमोनियम वादक एवं सहगायक नेहरू खान और भुट्टा खान प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। भारत सरकार के कला एवं संस्कृति मंत्रालय के अधीन संगीत नाटक अकादमी की ओर से आयोजित इस कार्यशाला में 400 से अधिक प्रतिभागी लाभान्वित हो रहे हैं।
कार्यशाला के पहले दिन राग मांड पर आधारित राजस्थान के प्रसिद्ध लोकगीत केसरियो बालम… और राग देस पर आधारित मीरांबाई के भजन नाड़ी न जाणे भेद, तू बड़ो अनाड़ी रै…. की सुमधुर प्रस्तुति प्रदान की। प्रशिक्षक भुंगर खान मांगणियार ने मीरा के भजनों में संगीत के तत्त्वों को विविध शैली से विद्यार्थियों के सामने प्रत्यक्ष रूप से प्रस्तुत किया। प्रशिक्षकों ने सांवरियो परणाय मीरां न गिरधारी परणाय, कोड करे म्हारी मां मीरां न सांवरियो परणाय… और मारगिया बुहार, फुलड़ा बिछावां, कृष्ण जी रा दर्शण पावां हरि नाम….. आदि मीरांबाई के भजनों का प्रशिक्षण प्रदान किया।
कार्यशाला में मार्गदर्शक मण्डल के रूप में कॉलेज शिक्षा निदेशक प्रो. सुशील कुमार सहायक निदेशक प्रो. नारायण लाल गुप्ता ने शिरकत की। इस अवसर पर संगीत के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. नासिर मदनी, बीके चौहान, प्रो. विभा खन्ना, प्रो. दिलीप गेना, प्रो जितेन्द्र मारोठिया, प्रो पोरस कुमार के साथ संकाय सदस्य एवं महाविद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यशाला के संयोजक डॉ. नरेंद्र कुमार जंवड़ा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सरिता चांवरिया एवं डॉ. जितेन्द्र थदानी ने किया।