बांग्लादेश में हिंसक झड़पों में 99 की मौत, अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा

ढाका। बांग्लादेश की राजधानी ढाका तथा देश के अन्य हिस्सों में रविवार को हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान कम से कम 99 लोग मारे गए और इसके बाद अधिकारियों ने देश में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया है।

अंग्रेजी अखबार प्रथोम अलो की रिपोर्ट के अनुसार स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन द्वारा आहूत असहयोग आंदोलन के कारण रविवार को देश में अभूतपूर्व हिंसक झड़पें हुई। इन झड़पों में 14 पुलिसकर्मियों सहित 99 लोगों की मौत हो गई।

देश भर में चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर जन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने तीन दिन की सामान्य छुट्टी की घोषणा की है। बांग्लादेश बैंक के प्रवक्ता मोहम्मद मेजबुल हक ने रविवार को कहा कि सामान्य छुट्टी के दौरान सोमवार से बैंक और वित्तीय संस्थान तीन दिनों तक बंद रहेंगे।

प्रधानमंत्री शेख हसीना ने रविवार को देश के लोगों से अराजकतावादियों पर सख्ती से निपटने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री के सहायक प्रेस सचिव एबीएम सरवर-ए-आलम सरकार ने हसीना के हवाले से कहा कि जो लोग अब हिंसा कर रहे हैं, उनमें से कोई भी विद्यार्थी नहीं है। वे आतंकवादी हैं। अधिकारियों के अनुसार शेरपुर में प्रदर्शनकारियों और अवामी लीग के लोगों के बीच झड़प हुई, जिसके कारण तीन लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक लोग घायल हो गए।

गौरतलब है कि पिछले महीने के आरक्षण विरोधी आंदोलन के दौरान विद्यार्थियों पर हुए अत्याचार को लेकर सरकार के इस्तीफे की एक सूत्री मांग के साथ भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के बैनर तले प्रदर्शनकारियों ने असहयोग आंदोलन शुरू किया है। विद्यार्थियों ने सोमवार को लंबे मार्च का आह्वान किया है।

कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार ने रविवार शाम छह बजे से अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया है। इसके साथ ही मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी लगा दी गई है। ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार अगले सरकारी आदेश तक कर्फ्यू लागू रहेगा। पूरे देश में खूनी झड़पों की खबरें हैं। प्रदर्शनकारियों ने सिराजगंज के इनायतपुर थाना पर हमला किया, जिसके कारण कम से कम 13 पुलिसकर्मी मारे गए। पुलिस मुख्यालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में मौतों की पुष्टि की।

उल्लेखनीय है कि ढाका विश्वविद्यालय में हिंसक झड़पों के बाद पिछले महीने बांग्लादेशी सरकार की सार्वजनिक नौकरियों के लिए आरक्षण विरोध प्रदर्शन तेज हो गया। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी सेवा में व्यापक आरक्षण को समाप्त करने की मांग की।

बंगलादेश के सर्वोच्च न्यायालय ने 21 जुलाई को अधिकांश आरक्षण को खत्म कर दिया और आदेश दिया कि सार्वजनिक क्षेत्र की 93 प्रतिशत नौकरियों में योग्यता के आधार पर भर्ती की जानी चाहिए। देश के स्वतंत्रता संग्राम के दिग्गजों के परिवार के सदस्यों के लिए पांच प्रतिशत सीटें छोड़ दिया जाना चाहिए। शेष दो प्रतिशत जातीय अल्पसंख्यकों या विकलांग लोगों के लिए आरक्षित हैं।

जुलाई के अंत में, विदेशी निवेशकों के चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के अध्यक्ष जावेद अख्तर ने कहा कि बंगलादेशी अर्थव्यवस्था को विद्यार्थियों के प्रदर्शन, कर्फ्यू और संचार ब्लैकआउट के कारण 10 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। प्रदर्शनकारियों ने रविवार को रैलियां और अन्य प्रकार के विरोध प्रदर्शनों के दौरान सरकार के इस्तीफे की मांग करते हुए नारेबाजी की।

बांग्लादेशी अखबार डेली स्टार की रिपोर्ट में कहा गया है कि मोबाइल ऑपरेटरों को सरकारी नियामकों से मोबाइल इंटरनेट और एप्लिकेशन बंद करने के निर्देश मिले हैं।