जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पेपरलीक को पूरे देश के युवाओं एवं सभी के लिए चिंता का विषय बताते हुए कहा है कि हमारी सरकार ने जितने प्रयास किए हैं उतने प्रयास अगर पूर्ववर्ती सरकार ने किए होते तो आज पेपरलीक की समस्या विकट नहीं होती।
गहलोत आज विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर अपने जवाब में यह बात कही। उन्होंने कहा कि विपक्ष कहता है कि सरकार जांच नहीं कर रही। आपको पता होना चाहिए कि राजस्थान में पेपर लीक के सारे मुकदमे स्वयं सरकार ने दर्ज किए और कार्रवाई की है। मुझे पता है कि पेपर रद्द होने पर कितनी पीड़ा युवाओं को होती है परन्तु हम पेपर रद्द नहीं करें तो बेईमान लोग भर्ती हो जाएंगे।
कटारिया जी ने कहा कि हमारी सरकार में हुआ इसका मतलब ये नहीं कि अब भी होता रहे. मैं पूछना चाहता हूं कि आपकी सरकार ने कार्रवाई क्यों नहीं की। यह अखबार की कटिंग है 2014 में सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा की, इसमें लिखा है कि 80 लोग पेपर लीक से पास हुए और पोस्टिंग पा गए।
उन्होंने कहा कि कई सदस्यों ने उत्तरप्रदेश की चर्चा की। यह उत्तरप्रदेश की एक न्यूज है जिसमें स्पष्ट लिखा है कि उत्तर प्रदेश में पेपरलीक के डर से कोई एजेंसी पेपर करवाने को तैयार नहीं। उन्होंने कहा कि अगर राज्य में भाजपा सरकार ने तब कार्रवाई की होती तो आज यह नौबत नहीं आती। हम इसलिए पेपर रद्द करते हैं कि एक भी बेईमान भर्ती ना हो सके। हमने पेपर लीक को रोकने के लिए कानून बनाया है। आवश्यकता पड़ेगी तो इसे और सख्त करेंगे। पेपर लीक माफिया को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए उनकी संपत्ति ध्वस्त की है. हमने धर्म देखकर कार्रवाई नहीं की, अपराधियों के हौंसले तोड़े हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हमारी सरकार के इकबाल का ही डर है कि कुछ दिन पूर्व जयपुर में पकड़े गए अवैध शराब के आरोपियों ने सरकार की कार्रवाई से पहले खुद ही अपने अवैध निर्माण गिरा लिए। लेकिन हमको ये समझने की आवश्यकता है कि पेपर लीक की नौबत आई क्यों। इससे परेशान भी बेरोजगार हो रहे हैं एवं पेपर खरीदने वाले भी उनमें से ही हैं। केन्द्र सरकार ने जिस तरह की इकॉनमिक पॉलिसी (आर्थिक नीतियां) बनाई हैं उनसे भारत की इकॉनोमी परेशानी में है।
उन्होंने कहा कि छह सालों में नोटबंदी का कोइ फायदा नहीं हुआ पर नोटबंदी से भारत की जीडीपी दो प्रतिशत कम हो गई। इस झटके से इकॉनोमी रिकवर करती उससे पहले गलत तरीके से जीएसटी लागू की गई। 2-3 सालों तक बिजनेसमैन समझ ही नहीं पाए कि ये क्या है. इससे अर्थव्यवस्था और नीचे गई। जब 2020 में कोविड आया तो केन्द्र सरकार ने कोई तैयारी नहीं की। लॉकडाउन से जीडीपी 25 प्रतिशत कम हो गई। अर्थव्यवस्था की ऐसी स्थिति बनेगी तो रोजगार कहां से आएगा।
गहलोत ने कहा कि बेरोजगारी दर एवं महंगाई दर रिकॉर्ड उच्चतम स्तर पर है। प्रॉडक्शन कम होने से महंगाई बढ़ी है। डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 82 रुपये पहुंच गया है। इस पर सरकार का कोई ध्यान ही नहीं है। उन्होंने कहा कि आप लोगों को पता है कि युवाओं को धर्म के नाम पर भ्रमित कर वोट लिया जा सकता है, इसलिए वो अर्थव्यवस्था की चिन्ता भी नहीं करते। सेना की परमानेंट नौकरी तक को खत्म कर अग्निवीर लेकर आए हैं जिससे चार साल में युवा पुन: बेरोजगार हो जाएगा। वर्ष 1991 के बाद से 2014 तक जो भरोसा युवाओं का प्राइवेट सेक्टर पर कायम हुआ था, उसे खत्म कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि अब युवा प्राइवेट सेक्टर की जगह सरकारी नौकरी चाहता है क्योंकि पता नहीं केन्द्र सरकार कल को क्या नियम बना दे और उनका भविष्य खतरे में आ जाए। सिर्फ सरकारी नौकरी से सभी युवाओं को रोजगार नहीं मिल सकता, आपको प्राइवेट सेक्टर को भी प्रमोट करना होगा। सही नीतियां बनानी होंगी। अगर ऐसी ही नीतियां आप बनाते रहेंगे तो पूरे देश में ऐसी स्थिति बनेगी जो अकल्पनीय होगी।
उन्होंने कहा “हमारी सरकार ने 1.41 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी दी है। 1.25 लाख नौकरियां प्रक्रियाधीन हैं। हमने इन्वेस्ट राजस्थान के माध्यम से करीब 10 लाख रोजगार देने का लक्ष्य रखा है। मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ जब भाजपा के लोगों ने इन्वेस्ट राजस्थान का विरोध किया। आपको राजस्थान के युवाओं को रोजगार के अवसर से क्या परेशानी है। आप हमारा विरोध कीजिए पर राजस्थान के युवाओं के अवसरों का विरोध मत कीजिए।