सबगुरु न्यूज-सिरोही। अब आपको ये शीर्षक मजाक लग रहा होगा। जब सिरोही नगर परिषद में बैठाए गए लोग ऐसा मजाक करने पर आतुर हैं तो इस पर हंस ही लिया जाए तो बेहतर है क्योंकि जनता के रोने का असर तो वैसे ही स्थानीय नेताओं और उनके बैठाए अधिकारियों पर पड़ता नहीं।
भारत में सिविल इंजीनियरिंग की सबसे विख्यात संस्थान है आईआईटी रुड़की। तो सिरोही नगर परिषद के अधिकारियों के मार्गदर्शन में ठेकेदारों द्वारा सिरोही के रिजर्वेशन सेंटर पर किये गए निर्माण को वो देख लेंगे तो अधिकारी और ठेकेदारों को अपने यहाँ प्रोफेसर बना देंगे। 1997 में आई इश्क मूवी का एक डायलॉग आजकल मीमस में बहुत इस्तेमाल होता है, ‘ये मुजसम्मा किसने बनाया है।’ सिरोही के पीआरएस सेंटर का ये निर्माण देखकर भी आप ये ही बोले पड़ेंगे। नगर परिषद भी वेलकम के डायलॉग पर काम कर रही है कि ‘सड़क से उठाकर इंजीनियर बना दूंगा।’
-विंडो को बना दिया अनारकली
पिछले साल सिरोही शहर में 6 नई इंदिरा रसोई शुरू हुई। इसमें से एक पुराने बस स्टैंड के सामने स्थित र्तन बसेरे के एअंदर शुरू की गई। यहां पर पिछले करीब दो दशकों से रेलवे रिजर्वेशन काउंटर थे। इसकी विंडो जिस बरामदे में खुलती थी वहीं पर इंदिरा रसोई की टेबल लगा दी। इससे यहां रिजर्वेशन करवाने वाले लोगों को काफी दिक्कत आती थी।
लोगों की परेशानी देखते हुए बाहर की तरफ दूसरी दीवार पर विंडो बना दी गई। जिससे लोग अपना टिकिट यहां से बनवा सकें। लेकिन इस तरफ धूप सीधी आती थी। विंडो भी ऊंची थी तो लोग उस तर्क पहुंच ही नहीं पाते थे। जिस तरह की असुविधा नगर परिषद ने पैदा की उसे देखते हुए रेलवे ने इस पीआरएस विंडो को बन्द करने की चेतावनी भी दे दी थी। फिर यहां पर एक प्लेटफॉर्म बनाकर, टिनशेड और कुर्सियां लगाई गई। लेकिन अभी भी एक दिक्कत यथावत थी।
वो ये कि विंडो खोलने के बाद भी अंदर की तरफ नई विंडो वाली जगह पर कम्प्यूटर रखने के लिए प्लेटफॉर्म नहीं बना था। इससे कार्मिक को बार बार उठकर फॉर्म लेने आना पड़ता और इसमें काफी समय लगता। इस तरफ कम्प्यूटर का प्लेटफॉर्म बनाने की मांग उठी। इसी मांग ने सिरोही शहर के इस अद्भुत निर्माण की नींव रखी गई। रिजर्वेशन सेंटर की नई खिड़की के पल्ले अंदर की तरफ खुल रहे हैं। प्लेट फॉर्म भी अंदर की तरफ बनाना था। ऐसे में नगर परिषद ने ये काम करवाया।
- अन्दर की तरफ कम्प्यूटर प्लेटफार्म बनाने के लिये दीवार बनाई गई। इस दीवार के पीछे इस खिड़की को ही चुनवा दिया गया। आधी दीवार से खिड़की के पल्ले खुल नहीं पा रहे हैं। अब इस नई खिड़की की तरह किया गया सारा निर्माण बेकार हो गया। फिर से इंदिरा रसोई की तरफ के हिस्से से ही लोगों को रिजर्वेशन करवाना पड़ रहा है।
– यहां भी नकारा साबित हुआ भाजपा नगर मंडल
ये सब काम कांग्रेस शासन में हुआ है। रेलवे केंद्र के दायरे में आता है तो वहां भाजपा शासन है। राज्य की एजेन्सी की वजह से केंद्र की एजेंसी का काम प्रभावित होने से जनसमस्या पैदा हो रही है। इस समस्या को लगभग 6 महिने से ज्यादा हो गए हैं। माउंट आबू में भाजपा के प्रशिक्षण शिविर के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भाजपाइयो को जनहित के मुद्दो को प्रमुखता से उठाने को कहा था। लेकिन सिरोही नगर की इस समस्या को उठाने भाजपा के नगर मंडल अध्यक्ष पूरी तरह से नकारा साबित हुए हैं।
उनकी कार्यप्रणाली सिर्फ अपने नाम के लेटरहेड बनाने और मंचों पर बैठने के लिए जगह मिल जाने तक ही सीमित रह गई है। उनके कार्यकाल से वो सिरोही शहर के लोगों को राष्ट्रीय अध्यक्ष की मंशानुसार ऐसी किसी बड़ी जनसमस्या से निजात दिलवाने में पूरी तरह से अकर्मण्य साबित हुए हैं। ये एकदम स्थानीय मुद्दा है। जिसके निराकरण सिर्फ एक प्रदर्शन या कड़े प्रतिरोध से हो सकता है। लेकिन, भाजपा सिरोही नगर मंडल अध्यक्ष इस छोटे से मुद्दे के लिए भी संघर्ष नहीं कर पाए। ऐसे में उनसे भाजपा किसी बड़े करिश्मे की आशा कर रही है तो उसे पूरी तरह से निराश होने पड़ेगा।वो पीठ पीछे विधायक संयम लोढ़ा का नाम और उनका समाचार प्रकाशित करने पर प्रतिरोध जता सकते हैं, लेकिन उनके द्वारा स्थापित व्यवस्था से फैली अव्यवस्था का सामने आकर प्रतिरोध नहीं करके भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए काम करने में रुचि नहीं दिखा सकते हैं।