-बच्चों के निःशुल्क आधार अपडेशन का मामला
-करतूत ऑपरेटर की, बैंक प्रबंधन करता रहा बचाव
सन्तोष खाचरियावास
अजमेर। भारत सरकार ने बच्चों के आधार कार्ड में बायोमेट्रिक अपडेशन की सुविधा निःशुल्क दे रखी है, लेकिन कई जगह आमजन से इसकी एवज में अवैध वसूली हो रही है। पूर्व में कुकरमुत्तों की तरह ई मित्रों पर स्थापित आधार केन्द्रों पर गम्भीर अनियमिताओं की शिकायतों के कारण यूआईडीएआई ने उनकी आईडी बंद कर बैंक और पोस्ट ऑफिसों पर भरोसा जताया था। चुनिंदा बैंकों-पोस्ट ऑफिसों में इस विश्वास के साथ आधार केन्द्र खोले कि कम से कम इनके परिसर में तो गड़बड़ नहीं होगी, मगर यहां भी कुछ ऑपरेटर लोगों की जेब ढीली करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
केसरगंज स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक शाखा में बच्चों के आधार अपडेशन में अवैध वसूली मामले में आखिरकार बैंक प्रबंधन को यूआईडीएआई को पत्र लिखना पड़ा है। इससे पहले बैंक प्रबंधन आधार ऑपरेटर का लगातार बचाव करता रहा। जांच में अवैध वसूली की पुष्टि होने पर आखिरकार बैंक प्रबंधन ने यूआईडीएआई को पत्र लिखा है, लेकिन उसमें भी ऑपरेटर द्वारा ‘गलती से’ ओवर चार्जिंग करने की बात लिखी है। अलबत्ता यूआईडीएआई ने शिकायत कर्ता को ऑपरेटर के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया है। ‘सबगुरु न्यूज’ ने अपने प्रवेशांक में इस प्रकरण का प्रमुखता से खुलासा किया था।
यह है मामला
रामगंज निवासी सन्तोष कुमार ने आईओबी शाखा में 24 फरवरी को अपनी दोनों बच्चियों का बायोमेट्रिक अपडेशन कराया, जहां ऑपरेटर ने 200 रुपए ले लिए। टोकने पर उसने कहा कि यह सुविधा निःशुल्क नहीं है, फीस तो देनी होगी। इस पर अभिभावक ने राष्ट्रपति के यहां शिकायत दर्ज कराई। वहां से सम्पर्क पोर्टल पर भेजी गई।
29 मई को आधार ऑपरेटर सुरेश गुर्जर ने शिकायतकर्ता को फोन कर गलती से रुपए लेने की कहते हुए 200 रुपए लौटाने और शिकायत वापस लेने की बात लिखकर देने को कहा। यही बात उसने उसने व्हाट्सएप मैसेज पर भी लिखकर भेजी। परिवादी के मना करने पर उसने बदले में एक हजार रुपए लेकर शिकायत वापस लेने का आग्रह किया लेकिन शिकायत कर्ता मामले की पूरी जांच कराने के लिए अड़ा रहा। इस पर ऑपरेटर ने व्हाट्सएप मैसेज डिलीट कर दिए लेकिन तब तक परिवादी व्हाट्सएप चैट के स्क्रीन शॉट ले चुका था।
ऑपरेटर ने कही, बैंक प्रबंधन ने मानी
ऑपरेटर सुरेश ने बैंक प्रबंधन को अपने जवाब में लिखा कि उसने गलती से 200 रुपए ले लिए थे जो उसी दिन बैंक में जमा करा दिए। शिकायत कर्ता 200 रुपए वापस नहीं ले रहा है बल्कि दस हजार रुपए की मांग करते हुए धमका रहा है, इसलिए शिकायत बंद की जाए। हैरानी की बात है कि बैंक प्रबंधन ने बिना पड़ताल किए ही ऑपरेटर की बात मान ली और सम्पर्क पोर्टल पर शिकायत रद्द करा दी।
लीड बैंक की जांच में हुआ खुलासा
परिवादी ने पुनः शिकायत दर्ज कराते हुए लीड बैंक से जांच कराने का आग्रह किया। इस पर दुबारा जांच खुली और 3 अगस्त को लीड बैंक के प्रतिनिधि आईओबी शाखा में पहुंचे। वहां शिकायत कर्ता को भी बुलवा लिया। लीड बैंक प्रतिनिधि ने जांच में पाया कि ऑपरेटर ने अवैध रूप से राशि ली थी। उसका यह जवाब गलत है कि उसने मानवीय भूलवश राशि ले ली थी और उसी दिन बैंक शाखा में जमा करा दी थी। जबकि उसने राशि जमा नहीं कराई थी और न ही बैंक प्रबंधक को इस बारे में कुछ बताया था। ऑपरेटर ने भी उनके सामने कबूला कि उसने शिकायत कर्ता पर 10 हजार रुपए मांगने का झूठा आरोप लगाया था। आईओबी शाखा प्रबंधक सुरेश गहलोत ने भी खेद जताया कि उन्होंने ऑपरेटर के जवाब की पड़ताल किए बिना ही उसे सच मानकर शिकायत बंद करा दी थी। उन्होंने ऑपरेटर के खिलाफ अग्रिम कार्रवाई के लिए यूआईडीएआई को पत्र लिखने का भरोसा दिलाया।
पत्र में फिर ऑपरेटर के बचाव का प्रयास
बैंक प्रबंधन ने यूआईडीएआई को पत्र लिखा है कि ऑपरेटर ने ओवर चार्जिंग की है लेकिन उसने गलती से राशि लेने की बात कही है। यानी बैंक प्रबंधन ने एक बार फिर ऑपरेटर का बचाव करने का प्रयास किया है। बैंक प्रबंधन ने शिकायतकर्ता को इस पत्र की प्रति देने से भी इंकार कर दिया है।
इनका कहना है
बैंक में आधार सम्बंधित काम के लिए आने वाले लोगों से हम रेंडमली जानकारी लेते रहते हैं कि कहीं उनसे ओवर चार्जिंग तो नहीं की जा रही है। इस प्रकरण में ऑपरेटर ने अवैध वसूली की है। इस बारे में यूआईडीएआई को पत्र लिखा है।
-सुरेश गहलोत, शाखा प्रबंधक, इंडियन ओवरसीज बैंक
मेरा मकसद सिर्फ अपने पैसे वापस पाना नहीं बल्कि आम आदमी से हो रही अवैध वसूली का भंडाफोड़ करना है। मैंने बैंक परिसर में हो रहे गलत काम को उजागर किया। इसके लिए मुझे बैंक प्रबंधन द्वारा सराहना चाहिए था, इसके उलट मुझ पर ही इल्जाम लगाया गया।
–सन्तोष कुमार, परिवादी अभिभावक