विजयादशमी पर अजमेर शहर में 10 स्थानों से निकले संघ के पथ संचलन


मार्ग में जगह-जगह पुष्प वर्षा से स्वागत
अजमेर। हमे संघ द्वारा समाज और राष्ट्र की उन्नति का कार्य करने के लिए और अधिक समय देना होगा। देश को वैभव के शिखर पर ले जाना है। भारत का अर्थ समझे तो यह है ‘भा‘ यानी ज्ञान और ‘रत’ यानी लीन। आज पूरा विश्व भारत को देख रहा है और भारत संघ को। इसलिए आवश्यकता है समाज का नेतृत्व खड़ा करने की, परिणामकारी कार्य करने की। यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विजयादशमी उत्सव में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

विजयादशमी उत्सव शक्ति का महापर्व है। इस उत्सव का पौराणिक महत्व अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में जाना जाता है। इसी दिन प्रभु श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी, भगवान शिव ने नौ दिनों तक शक्ति की उपासना की थी और उसके बाद शक्ति की स्वरूप मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया, अज्ञातवास के बाद विजयादशमी के दिवस पर ही पांडवों ने अपने अस्त्र बाहर निकाले और उनका पूजन किया था।

संघ के संस्थापक डॉ हेडगेवार ने बहुत विचार किया इस बिंदु पर की इतना वैभवशाली इतिहास होने के बाद भी हिंदू अपमानित क्यों हुआ, हमारा समाज पराभूत क्यों हुआ? इस पर गहन विचार करने के बाद समाज को शक्तिसंपन्न बनाने के उद्देश्य से उन्होंने सन 1925 में विजयादशमी के दिन संघ की स्थापना की। आज 98 वर्ष की यात्रा में विश्व में जहां–जहां भी हिंदू हैं वहां संघ पहुंच गया है। डॉक्टर हेडगेवार ने चरितार्थ किया कि विचारों की क्रांति दूरगामी परिणाम लाती है।

वीर सावरकर ने कहा था कि जब देश संकट में हो और लोग दूर खड़े होकर तमाशा देखें तो यह शत्रुओं को आनंदित करता है। हमें भारत की आराधना करनी होगी, भारत को शक्ति सम्पन्न बनाना होगा, ऐसा कर पाने पर हमारे शत्रुओं की कभी हिम्मत नहीं होगी कि हमारी ओर आंख भीं उठा कर देख सकें।

दूसरों के जयगान से भारत का हित नहीं हो सकता। हमें अपनी शक्ति को पहचानना होगा और इसके लिए संघ के नेतृत्व में अपने कार्य का विस्तार करना होगा। हमें आसपास दिखाई देने वाली समस्याओं का अध्ययन कर उनका समाधान करना होगा। हमारे आसपास की बस्तियों में धर्मांतरण का कार्य तेजी से चल रहा है अतः इसे रोकने के लिए हमें अपनी बस्तियों/उपबस्तियों में संघ की शाखाएं खड़ी करनी होगी, हर घर में एक स्वयंसेवक होना चाहिए। यह समझना पड़ेगा कि कौन देश के साथ खड़ा है और कौन देश के विरुद्ध?

हजारों वर्षों से भारत भूमि संघर्षरत रही है। इसकी अस्मिता, आत्मविश्वास और संस्कृति को छिन्न भिन्न करने के कई प्रयास हुए। सुभाष चन्द्र बोस, लोकमान्य बालगंगाधर तिलक, चन्द्र शेखर आजाद और गुरु गोविंद सिंह, डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जैसे अनेकों महापुरुषों ने भारत भूमि के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।

सामाजिक समरसता, सामाजिक सुरक्षा, सामाजिक सम्बल की बात कही और आव्हान किया की समाज विरोधी ताकतों द्वारा फैलाये जा रहे भ्रामक विमर्श को समाज को समझना होगा और उसका जवाब भी देना होगा, समाज की जागरूकता ही मज़बूत राष्ट्र का निर्माण कर सकती है।

चाणक्यनगर समेत 10 स्थानों पर निकले पथ संचलन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अजयमेरू महानगर द्वारा शहर में 10 स्थानों पर विजयादशमी उत्सव एवं संचलन किया गया। सभी उत्सव में अतिथियों ने शस्त्र पूजन किया। इसके पश्चात् शारीरिक प्रदर्शन दंड, नियुद्ध, समता, पदविन्यास, सामूहिक समता, दंडयुध, पताका योग एवं दंड योग का प्रदर्शन हुआ। अवतरण, काव्यगीत एवं बौद्धिककर्त्ता का उद्बोधन हुआ। संघ की प्रार्थना के बाद पथ संचलन प्रारम्भ हुए, संचलन मार्ग में जगह-जगह समाज जनों एवं सामाजिक संगठनों की ओर से पुष्प वर्षा कर भारत माता की जयकारों के साथ पथ संचलन का स्वागत किया।

चाणक्यनगर के स्वयंसेवकों का पथसंचलन कैलाशपुरी स्थित मैदान में शस्त्रपूजन कार्यक्रम के पश्चात हुआ। स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में पथसंचलन में भाग लिया। पथ संचलन कैलाशपुरी, कृष्ण गंज की विभिन्न गलियों से होता हुआ पुन: कैलाशपुरी पहुंचा। मार्ग में जगह जगह धर्मप्रेमियों ने स्वयंसेवकों पर पुष्पवर्षा कर जोरदार स्वागत किया।