जयपुर। राजस्थान में 16वीं विधानसभा के लिए गत 25 नवंबर को हुए चुनाव में 183 महिलाओं ने चुनाव लड़ा है जबकि इससे पहले आजादी के बाद हुए पन्द्रह विधानसभा चुनावों में 1069 महिलाओं ने चुनाव लड़ा जिनमें 198 महिलाएं विधानसभा पहुंची।
पिछले सत्तर से अधिक वर्षों में इन पन्द्रह विधानसभा चुनावों में 1069 महिलाओं ने चुनाव लड़ा और इनमें 18.52 प्रतिशत महिलाएं विधानसभा पहुंची। इनमें कई महिलाएं एक से अधिक बार भी चुनाव जीता। इनमें जोधपुर की सूर्यकांता व्यास छह बार विधानसभा का चुनाव जीता। इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे झालावाड़ जिले में झालरापाटन विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक चुनी गई और दो बार प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी। इस बार फिर चुनाव लड़ा हैं। इसी तरह अन्य कई महिलाएं एक से अधिक बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची।
राजस्थान की 16वीं विधानसभा के लिए गत 25 नवंबर को मतदान हो चुका है जिसका परिणाम तीन दिसंबर को आयेगा। इस चुनाव को मिलाकर राज्य में अब तक हुए 16 विधानसभा चुनावों में 1252 महिलाएं विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं।
राज्य में इस बार हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने सर्वाधिक 28 महिलाओं को चुनाव लड़ाया जबकि भारतीय जनता पार्टी ने 20 महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा। इसी तरह बहुजन समाज पार्टी ने भी करीब 20 महिलाओं को चुनाव लड़ने का अवसर दिया। इसके अलावा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, आम आदमी पार्टी सहित अन्य राजनीतिक दलों ने भी महिलाओं को टिकट देकर इस चुनाव में उतारा।
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 27 महिलाओं को चुनाव लड़ने का मौका दिया जबकि भारतीय जनता पार्टी ने 23 महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा था। इनमें कांग्रेस की 12 महिला उम्मीदवार विधानसभा पहुंची जबकि भाजपा की दस महिला प्रत्याशियों ने चुनाव जीता। इस चुनाव में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की प्रत्याशी इंदिरा देवी और निर्दलीय प्रत्याशी रमिला खड़िया भी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची। इस बार 16वीं विधानसभा के चुनाव में रमिला खड़िया ने कांग्रेस प्रत्याशी एवं इंदिरा रालोपा उम्मीदवार के रुप में फिर चुनाव लड़ा हैं।
पिछले पन्द्रह विधानसभा चुनावों में सर्वाधिक वर्ष 2008 एवं 2013 में क्रमश: 28-28 महिलाएं चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची। वर्ष 2008 में 154 महिला प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा जबकि वर्ष 2013 में 166 महिलाओं ने विधानसभा का चुनाव लड़ा। इन दो चुनावों के बाद वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में 189 महिलाओं ने चुनाव लड़ा और 24 महिला उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची। इस चुनाव में अब तक की सर्वाधिक 144 महिला प्रत्याशियों की चुनाव में जमानत जब्त हुई। इस चुनाव में महिला प्रत्याशियों ने 40 लाख दो हजार 621 मत हासिल किए।
पहली विधानसभा वर्ष 1952 के चुनाव में पहली बार चार महिलाओं ने चुनाव लड़ा लेकिन वे चुनाव जीतने में सफल नहीं हुई। इन चार महिला प्रत्याशियों ने 3030 मत हासिल किए। इसके बाद हुए वर्ष 1957 के चुनाव में 21 महिलाओं ने चुनाव लड़ा जिनमें नौ महिलाएं चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंची। चुनाव में महिला प्रत्याशियों ने एक लाख 59 हजार 733 मत प्राप्त किए।
तीसरी विधानसभा के लिए वर्ष 1962 में हुए चुनाव में 15 महिलाओं ने अपना चुनावी भाग्य आजमाया जिनमें आठ महिलाएं विधायक चुनी गई। वर्ष 1967 में हुए चुनाव में 19 महिलाओं ने चुनाव लड़ा जिनमें छह महिलाओं ने चुनाव जीता। इसके बाद वर्ष 1972 में पांचवीं विधानसभा के लिए चुनाव में 13 महिलाएं विधायक बनकर विधानसभा पहुंची। इस चुनाव में 17 महिलाओं ने चुनाव लड़ा और इनमें 76.47 प्रतिशत महिलाएं चुनाव जीतने में सफल रही।
आपातकाल के बाद वर्ष 1977 में हुए छठी विधानसभा के चुनाव में 31 महिलाओं ने चुनावी भाग्य आजमाया। जिनमें आठ महिलाएं विधानसभा पहुंची। इसके बाद वर्ष 1980 में हुए विधानसभा चुनाव में भी 31 महिलाओं ने चुनाव लड़ा जिसमें दस महिला विधायक चुनी गई। आठवीं विधानसभा के लिए वर्ष 1985 में हुए चुनाव में 45 महिलाओं ने चुनाव लड़ा जिनमें 17 महिला विधायक बनकर विधानसभा पहुंची।
वर्ष 1990 में नौवीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव में महिलाओं ने बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हुए 93 महिलाएं चुनाव मैदान में उतरी लेकिन इस चुनाव में केवल 11 महिलाओं को जीत नसीब हो सकी। इसके बाद वर्ष 1993 हुए चुनाव में 97 महिलाओं ने चुनाव लड़ा लेकिन इस चुनाव भी केवल दस महिला प्रत्याशी ही चुनाव जीत सकी।
इसके बाद वर्ष 1998 में ग्यारहवीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव में 69 महिलाएं ही चुनाव मैदान में उतरी और उनमें 14 महिलाएं विधायक बनकर विधानसभा पहुंची। इसके बाद 12वीं विधानसभा के लिए वर्ष 2003 में हुए चुनाव में फिर बढ़चढ़कर महिलाओं ने भाग लेते हुए 118 महिलाओं ने चुनाव लड़ा लेकिन उनमें केवल 12 महिलाओं ने ही चुनाव जीता जो चुनाव लड़ने वाली महिला प्रत्याशियों की 10.17 प्रतिशत ही विधानसभा पहुंच पाई।