नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद कहा कि प्रधानमंत्री ने केंद्र से राज्य के विभिन्न योजनाओं में बकाया राशि के मुद्दे के निपटारे के लिए अधिकारियों की संयुक्त बैठक का प्रस्ताव किया है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का केंद्र पर विभिन्न योजनाओं का 1.16 लाख करोड़ रुपए का बकाया हो गया है। पश्चिम बंगाल के अधिकारी केंद्रीय अधिकारियों के साथ इस मामले पर सौ से अधिक बैठकें कर चुके हैं पर इसका समाधान नहीं हुआ है।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मुलाकात के बारे में सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस पोस्ट के साथ बैठक के फोटो भी साझा किए गए हैं।
बनर्जी ने संसद भवन परिसर में प्रधानमंत्री के कार्यालय में हुई इस बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि केंद्र पर पश्चिम बंगाल में विभिन्न योजनाओं का एक लाख 16 हजार करोड़ रुपये बकाया है। उन्होंने कहा कि रुपया नहीं मिल रहा है। जिन गरीबों ने काम किया है (मनरेगा में) उनका भी पैसा नहीं मिला है। यह भुगतान संविधान के अनुसार अनिवार्य है। यह रुपया देना चाहिए अब तक वह नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि 2022-23 में ग्रामीण रोजगार योजना के तहत लोगों को अतरिक्त काम देने के लिए राज्यों को मिलने वाला पैसा भी उनके राज्य को नहीं मिला है।
मुख्यमंत्री ने कहा राज्य को गरीबों के लिए आवास योजना बंद कर दी गयी है, ग्रामीण विकास तथा स्वास्थ्य योजनाओं को बंद कर दिया गया है, इसके लिए रुपया देना बंद कर दिया गया है और वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत मिलने वाला विशेष धन- यह सब बंद कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि अगर कोई गलती हो तो रूपया बेशक रोक दो, पर 155 टीमों ने पश्चिम बंगाल का दौरा किया है, जो भी स्पष्टीकरण मांगा गया हमारे अधिकारियों ने दिया है। उन्होंने कहा कि वह इससे पहले भी खुद प्रधानमंत्री से तीन बार इस विषय में मिल चुकी हैं।
बनर्जी ने कहा कि पीएम (मोदी) ने आज कहा कि उनके अधिकारियों और हमारे अधिकारियों की संयुक्त बैठक होगी। पहले भी इस तरह की बैठकों में स्पष्टीकरण दिए जा चुके हैं। पर जरूरत होगी तो और स्पष्टीकरण दिए जा सकते हैं। उन्हें मुद्दे को संघीय व्यवस्था के तहत हल करना चाहिए। हम योजनाओं के लिए केंद्र के हिस्से का धन नहीं पा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने हमारी बात धैर्य से सुनी और कहा कि दोनों तरफ के अधिकारियों की टीमें बैठ कर इसका समधान कर लेंगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कई बार कह चुकी हैं कि नियमों के अनुसार राज्यों को कई योजनाओं के लिए खर्च का पैसा केंद्र से तभी जारी किया जाता है जब कि संसाधनों के पहले के उपयोग का प्रमाणपत्र प्राप्त हो जाए।