अजमेर। जीवन में कभी आशा तो कभी निराशा आती जाती रहती है। यही मनुष्य जीवन की वास्तविकता है। हम भगवान पर भरोसा रखें। जिसका कोई नहीं, उसे भगवान को अपना बना लेना चाहिए। यह बात कथा वाचक हरि शरण महाराज ने शास्त्री नगर स्थित भक्त प्रहलाद पार्क संख्या 3 में श्रीमद् भागवत व नानी बाई का मायरा कथा के समापन अवसर पर कही।
महाराज ने बताया कि रणछोड़ का रूप धारण कर भगवान श्रीगोपाल नानी बाई का मायरा भरने आए। रिद्धि सिद्धि ने भगवान श्रीगोपाल भगवान का परिचय देते हुए कहा कि भगवान स्वयं आए हैं और हम सब मायरा भरने आए हैं। यह सुनकर नानी बाई सा प्रफुलित हो गई और सुध बुध खो बैठी। अपने परिवार के सदस्यों और आस पडोसियों को बताने लगी कि देखो मेरा बीरा आ गया मेरा मायरा भरने। महाराज ने कथा में भजन ‘भात भरण माहरे आ गया, देखो आयो रे मायरो महके’ गाया तो भक्तजन पांडाल में भाव विभोर हो गए।
महाराज ने वर्तमान पीढी में संस्कार के अभाव पर पीडा व्यक्त करते हुए कहा कि आजकल के युग में बच्चे पढ़ तो जाते हैं पर जमीन से दूर हो जाते हैं। बच्चों की बुनियाद ऐसी है जैसे बिना बुनियाद के कोई बहुत बड़ी इमारत बना दी। बच्चों को इतिहास पढ़ाएं ताकि उनमें संस्कार जागृत हों और वे उन महापुरुषों के बारे में जानें जिन्होंने हमारी संस्कृति, सभ्यता और राष्ट्र की रक्षा के लिए प्राण न्यौछावर कर दिए।
महाराज ने भक्तों से अनुरोध किया कि गीता जयंती पर सबको तुलसी माता की पूजा करनी चाहिए। तुलसी का एक पौधा अपने आप में बहुत सारी गुणवत्ता लिए होता है। उन्होंने बताया कि तुलसी जी का मनुष्य के जीवन मे बहुत महत्त्व है।
कार्यक्रम के समापन पर रात्रि 7:30 बजे से भक्त पहलाद पार्क संख्या 3 पर श्याम भजन संध्या का आयोजन किया गया जिसमें भक्तों ने श्याम भजनों का आनंद लिया। अंतिम दिन कथा स्थल पर भक्तों का जमावड़ा इतना रहा कि पांडाल खचाखच भर गया। कथा के दौरान सार्थक तिवारी, विपिन जैन, महेश शर्मा, शांति शारण, आशा शर्मा व्यवस्था बनाने में सहयोग किया। भक्तजनों को प्रसाद वितरित किया गया।