जयपुर। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की नई सरकार के गठन के बाद 16वीं विधानसभा का बुधवार को आयोजित प्रथम सत्र के दो दिन चलने के बाद गुरुवार को सदन की कार्यवाही अगले वर्ष 19 जनवरी की पूर्वाह्न 11 बजे तक स्थगित कर दी गई।
प्रथम सत्र के दूसरे दिन पूर्वाह्न ग्यारह बजे सदन की कार्यवाही शुरु हुई और अस्थाई अध्यक्ष कालीचरण सराफ ने नवनिर्वाचित सदस्यों के शपथ लेने से शेष रहे सदस्यों में बहादुर सिंह कोली, भागचन्द टांकड़ा, महंत बालकनाथ, वीरेन्द्र सिंह, श्रीचन्द कृपलानी एवं सोहनलाल नायक को विधानसभा सदस्य के रूप में संविधान के प्रति निष्ठा और कर्तव्यों के श्रद्धापूर्वक निर्वह्न की शपथ दिलाई। अब नव निर्वाचित सदस्यों में जगत सिंह एवं महेन्द्र सिंह मालवीय के विधानसभा सदस्य की शपथ लेना शेष है। अब तक 197 नवनिर्वाचित विधायक विधानसभा सदस्य की शपथ ले चुके हैं।
सराफ ने छह नवनिर्वाचित सदस्यों की शपथ के बाद अपराह्न 2.38 बजे सदन की कार्यवाही 3.10 बजे तक स्थगित कर दी। इसके बाद तीन बजकर 10 मिनट पर सदन की कार्यवाही फिर शुरु होते ही अस्थाई अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही फिर साढ़े तीन बजे तक दूसरी बार स्थगित कर दी गई। बाद में साढ़े तीन बजे सदन की कार्यवाही फिर शुरु होने पर मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा एवं अन्य ने नए विधानसभा अध्यक्ष के लिए भाजपा के वरिष्ठ विधायक वासुदेव देवनानी निर्वाचित करने का प्रस्ताव रखा और सदन ने देवनानी को सर्वसम्मति से विधानसभा अध्यक्ष चुन लिया गया।
इसके बाद शर्मा, उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी एवं प्रेमचंद बैरवा, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित सभी विधायकों ने देवनानी को बधाई दी और इन सहित 20 से अधिक विधायकों ने देवनानी को शुभकामनाएं देते हुए अपने विचार व्यक्त किए। इसके बाद अध्यक्ष देवनानी ने सदन की कार्यवाही अगले वर्ष 19 जनवरी की पूर्वाह्न ग्यारह बजे तक स्थगित कर दी।
उल्लेखनीय है कि दो सौ विधानसभा क्षेत्रों वाली राजस्थान विधानसभा के लिए इस बार सोलहवीं विधानसभा के लिए 199 सीटों पर चुनाव हुए। श्रीगंगानगर की करणपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी गुरमीत सिंह कुन्नर का चुनाव पहले निधन होने से इस सीट पर चुनाव स्थगित कर दिया गया था जो अब आगामी पांच जनवरी को कराया जाएगा।
सोलहवीं विधानसभा में भाजपा ने 115 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत हासिल किया है वहीं कांग्रेस को 69 सीटें मिली हैं एवं भारतीय आदिवासी पार्टी को तीन, बहुजन समाज पार्टी के दो और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी एवं राष्ट्रीय लोकदल को एक-एक सीट प्राप्त हुई जबकि आठ सीटें निर्दलीयों के खाते में गई।