नई दिल्ली। ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पुनिया ने शुक्रवार को अपना पद्मश्री पुरस्कार लौटाने की घोषणा की। पुनिया ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सम्बोधित करते हुए पत्र पोस्ट कर अपना पुरस्कार लौटाने की बात कही है। उन्होंने एक्स पर लिखा कि मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री जी को वापस लौटा रहा हूं, कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है। यही मेरी स्टेटमेंट है।
इससे एक दिन पहले महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास लेने का एलान किया था और संवाददाता सम्मेलन के दौरान अपने जूते टेबल पर छोड़ दिए थे। वह कुश्ती फेडरेशन ऑफ इंडिया का नया अध्यक्ष संजय सिंह को बनाए जाने से नाराज है।
प्रधानमंत्री को लिख पत्र में बजरंग पुनिया ने भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों की ओर से लगाए गए आरोपों, इस संबंध में किए गए आंदोलन, उनके प्रदर्शन स्थल पर पुलिस की ओर से की गई कार्रवाई और अब हाल ही में हुए महासंघ के चुनावों का जिक्र किया है।
उन्होंने लिखा कि माननीय प्रधानमंत्री जी, उम्मीद है आप स्वस्थ होंगे। आप देश की सेवा में व्यस्त होंगे। आपकी इस भारी व्यस्तता के बीच आपका ध्यान हमारी कुश्ती पर दिलवाना चाहता हूं। आपको पता होगा कि इसी साल जनवरी महीने में देश की महिला पहलवानों ने कुश्ती संघ पर काबिज बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे, जब उन महिला पहलवानों ने अपना आंदोलन शुरू किया तो मैं भी उसमें शामिल हो गया। सरकार ने जब ठोस कार्रवाई की बात की तो आंदोलन रुक गया था।
उन्होंने पत्र में कहा कि 21 दिसंबर को हुए कुश्ती महासंघ के चुनाव में एक बार फिर बृज भूषण सिंह का कब्जा हो गया है, जबकि गृहमंत्री ने आश्वासन दिया था कि वह बृजभूषण और उनके करीबियों को बाहर कर देंगे। उन्होंने कहा कि चुनाव के नतीजों के बाद बृज भूषण सिंह ने बयान दिया कि दबदबा है और दबदबा रहेगा। इससे दबाव में आकर एकमात्र ओलंपिक विजेता महिला पहलवान साक्षी ने संन्यास ले लिया।
पद्मश्री लौटने को लेकर पुनिया ने लिखा है कि साल 2019 में मुझे पद्मश्री से सम्मानित किया गया। खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड से भी नवाजा गया। जब ये सम्मान मिले तो मैं बहुत खुश हुआ था। लगा कि जीवन सफल हो गया, लेकिन आज उससे कहीं अधिक दुखी हूं और ये सम्मान मुझे कचोट रहे हैं।
उन्होंने लिखा कि जिन बेटियों को बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की ब्रैंड एंबैसडर बनना था, उन्हें इस हाल में पहुंचा दिया गया कि अपने खेल से ही पीछे हटना पड़ा। हम सम्मानित पहलवान कुछ नहीं कर सके। महिला पहलवानोंं को अपमानित किए जाने के बाद मैं सम्मानित बनकर अपनी ज़िंदगी नहीं जी पाऊंगा। इसलिए ये सम्मान आपको लौटा रहा हूं। आखिर में उन्होंने लिखा है कि मुझे ईश्वर में पूरा विश्वास है कि उनके घर देर है, अंधेर नहीं। अन्याय पर एक दिन न्याय की ज़रूर जीत होगी।