प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में प्रयागराज की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को आय से अधिक संपत्ति मामले में पूर्व मंत्री राकेश धर त्रिपाठी को तीन साल की कैद औऱ दस लाख रूपए का जुर्माने की सजा सुनाई है। कोर्ट से पूर्व मंत्री को जमानत मिल गई है।
शासकीय अधिवक्ता गुलाब चंद्र अग्रहरि ने बताया कि एमपी/एमएलए की विशेष अदालत के न्यायाधीश डा. दिनेश चंद्र शुक्ल ने पूर्व मंत्री राकेश धर त्रिपाठी को दोषी करार देते हुए यह फैसला दिया कि अगर अर्थदंड की राशि जमा नहीं की गई तो छह माह का अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी।
अग्रहरि ने बताया कि विशेष अदालत ने 108 पन्नों के आदेश में पूर्व मंत्री के खिलाफ फैसला दिया है। सजा के बाद पूर्व मंत्री को जेल भेजने की तैयारी थी। वकीलों ने उनकी अधिक उम्र और खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया जिसके बाद एमपी एमएलए कोर्ट से पूर्व मंत्री को जमानत मिल गई।
उन्होंने बताया कि 18 जून 2013 को सतर्कता अधिष्ठान प्रयागराज परिक्षेत्र के निरीक्षक राम सुभग राम ने उनके खिलाफ मुट्ठीगंज थाने में आय से अधिक धन अर्जित करने का मुकदमा पंजीकृत कराया था। अभियुक्त या उनके आश्रितों की ज्ञात व वैध स्रोतों से कुल आय 49 लाख 49 हजार 928 रूपए होना दर्शाया और व्यय की राशि चेक अवधि में भरण पोषण पर दो करोड़ 67 लाख 80 हजार 605 रूपए खर्च किया गया। इसका संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया जो भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 13(2) के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में आता है।
गौरतलब है कि राकेश धर त्रिपाठी कभी बसपा के कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे। बसपा प्रमुख के काफी करीबी माने जाने वाले त्रिपाठी की गिनती बड़े ब्राह्मण नेताओं में होती थी। वह 2007 के विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी छोड़कर बसपा में का दामन थामा और 2007 में हंडिया विधानसभा चुनाव लड़े जिसमें उन्हें विजयी हुए थे।
उन्हें बसपा शासनकाल में उच्च शिक्षा मंत्री भी बनाया गया था। वर्ष 2012 विधानसभा चुनाव से पूर्व एक बार फिर पाला बदला था। टिकट नहीं मिलने पर वह प्रगतिशील मानव समाज पार्टी के उम्मीदवार बन गए थे। पार्टी ने तब उन्हें निष्कासित किया था। वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वह फिर बसपा में आ गए और उन्हें भदोही से उम्मीदवार बनाया गया था लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। राकेश धर त्रिपाठी ने 2022 का यूपी विधानसभा चुनाव अपना दल सोनेलाल के चुनाव चिन्ह पर प्रयागराज की प्रतापपुर सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।