जौनपुर। उत्तर प्रदेश के जौनपुरि के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेश कुमार राय ने आज से लगभग साढ़े 18 साल पहले श्रमजीवी एक्सप्रेस पर हुए आतंकवादी हमले के दो आरोपी आतंकवादियों नफीकुल विश्वास (मुर्शिदाबाद बंगाल) और हिलालुद्दीन ऊर्फ हिलाल ( बांग्लादेश) को बुधवार को मृत्यदंड तथा 5-5 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
इसके पूर्व दो आरोपी आतंकवादियों आलमगीर उर्फ रोनी और ओबैदुर रहमान उर्फ बाबू भाई को 30 एवं 31 अगस्त 2016 को जिले के तत्कालीन अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम बुधिराम यादव द्वारा फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है।
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सतीश कुमार पाण्डेय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि 28 जुलाई 2005 को उत्तर प्रदेश् के जौनपुर जिले के हरपालगंज (सिंगरामउ) व कोइरीपुर (सुल्तानपुर) रेलवे स्टेशनो के बीच हरिहरपुर रेलवे क्रासिंग पर श्रमजीवी एक्सप्रेस में हुए भीषण बम विस्फोट में 14 लोग मारे गए और कम से कम 90 लोग घायल हो गए थे।
इस बम विस्फोट में शैफफैजल, कुनाल, सुधीर कुमार, परमशिला , विनोद, रविदास, कमालुद्दीन, सुबास ठाकुर, कुमारी कविता, सुबोध बढ़ई, अरविन्द सिंह, संतोष, दिगम्बर चौधरी, सफीक उर्फ डब्बू और अमरनाथ चौबे की जाने गई थी।
बम विस्फोट के पीछे आतंकवादी ओबैदुर्रहमान उर्फ बाबूूभाई (बांग्लादेश्) नफीकुल विशवास (मुर्शीदाबाद), सोहाग खान उर्फ हिलाल उर्फ हिलालुद्दीन (बांग्लादेश), मोहम्मद आलमगिर उर्फ रोनी (बांग्लादेश), डाक्टर सईद और गुलाम राजदानी का हाथ होने के बारे में पता चला। इसमें से डाक्टर सईद का अभी तक कोई सुराग नही मिला है जबकि एक आरोपी गुलाम राजदानी उर्फ याहिया को मुठभेड़ में मारा जा चुका है। इस घटना को अंजाम देने की योजना राजशाही बांग्लादेश में बनी थी।
घटना में शामिल अन्य आतंकवादीयों में से डॉ सईद अभी फरार चह रहा है, उसकी गिरफ्तारी के लिए इण्टरपोल की मदद ली जा रही है। इस मामले में पुलिस ने पहले तीन आरोपी आतंकवादी क्रमशः ओबैदुर्रहमान, हिलालुद्दीन व नफीकुल विश्वास को पहले गिरफ्तार कर लिया है और तीनों को जौनपुर कारागर में बन्द किया गया था। वर्ष 2007 में दिल्ली में मो आलमगीर उर्फ रोनी को गिरफ्तार किया और उसे तिहाड़ जेल में रखा गया है वही से हर पेशी पर जौनपुर लाया जाता था।
इस मामले की सुनवाई जिले के तत्कालीन अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश् (प्रथम) बुुद्धिराम यादव कर रहे थे, उन्होंने 30 अगस्त 2016 को आलमगीर उर्फ रोनी और 31 अगस्त 2016 को ही ओबैदुरहमान उर्फ बाबू भाई के मामलों मेें दोनो आरोपियो को फांसी की सजा और 10-10 लाख रुपये जुर्माना की सजा सुना चुके हैं।
इस समय इस मामले के दो आरोपियों नफी कुल विश्वास और हिलालुद्दीन उर्फ हिलाल की सुनवाई जिले के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (प्रथम) राजेश कुमार राय ने आज मंगलवार को दोनों को मृत्यु दंड की सजा एवं 5-5 लाख रुपए जुर्माना से दंडित करने का आदेश दिया है। इस मामले में दिल्ली के सहायक पुलिस आयुक्त संजीव यादव भी वतौर साक्षी अपना बयान दे चुके हैं।
अभियोजन के अनुसार बांग्लादेश निवासी मुहिबुल ने तिहाड़ जेल में एसीपी को बयान दिया था कि श्रमजीवी में बम रखकर विस्फोट करने का उद्देश्य हिंदुस्तान में आतंक फैलाना था, इसके साथ ही भारत के लोगों को मार कर नकली नोट चला कर जेहाद करना था, जिसे दुनिया देखे आतंक फैले और भारत व यहां के लोग तवाह हो।
श्रमजीवी बम काण्ड में सजा पाए हिलालुद्दीन व नफीकुल के पास शुरुआत में कोई वकील नहीं था, उनके पास कोई जमानत दार भी नहीं था, इसलिए सरकार की तरफ से पैरवी करने के लिए एमकस क्यूरी ताजुल हसन नियुक्त किए गए, सरकारी वकील ने बताया कि उनके मुकदमे में बहस करने के लिए पूर्व में आजमगढ़ के वकील आते थे वर्तमान में बहस के समय दिल्ली के अधिवक्ता आरिफ आए थे।
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सतीश पांडेय एवं सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता वीरेंद्र मौर्य ने कहा कि अदालत द्वारा आतंकियों को मृत्युदंड की सजा देने का फैसला सही है, अदालत में न्याय किया है, इसके पूर्व भी दो आतंकियों को मृत्यु दंड की सजा हो चुकी है। सजा सुनाते समय सिविल कोर्ट परिसर में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था।