नई दिल्ली। बाबा नीब करौरी महाराज के आदर्श और उनकी शिक्षा आज भी प्रासंगिक हैं और पश्चिमी देशों के लोग भी स्वीकार कर रहे हैं।
ये बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र ठाकुर ने कही। उन्होंने ने आज यहां बाबा नीब करौली के संस्मरणों पर आधारित पुस्तक महान संत नीब करौरी महाराज का विमोचन किया। इस मौके पर आरएसएस के दिल्ली प्रांत के प्रचार प्रमुख स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेन्द्र ठाकुर ने किया। इस अवसर पर रीतेश अग्रवाल उपस्थिति थे। नरेन्द्र वर्मा द्वारा लिखित इस पुस्तक का प्रकाशन प्रतिमा प्रकाशन द्वारा किया गया है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ठाकुर ने कहा कि भारत आध्यात्मिक संतों और ऋषियों की भूमि है। नीब करौरी बाबा भी ऐसे ही महान संत थे। उन्होंने कहा कि बाबा नीब करौरी के पास जो भी भक्त आता वह उनसे राम-राम जपने का आग्रह करते थे। इससे समझा जा सकता हैं कि भगवान राम सदियों से भारत के संतों और ऋषियों के सबसे बड़े अराध्य देव रहे हैं। आज सारा देश राममय हो रहा है इसका श्रेय हमारे संत समाज को जाता है। उन्होंने कहा अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा होने से देश में सनातन संस्कृति का गौरव स्थापित हुआ है। इसी गौरव को बाबा नीब करौरी ने अपने पूरे जीवन में बना कर रखा और सारी दुनिया के लोगों को श्रीराम के साथ जुड़ने का आह्वान किया।
ठाकुर ने कहा कि भारतीय समाज में संतों का हमेशा से सम्मान होता रहा है। प्राचीन काल में अनेक सिद्ध संत और ऋषि-मुनियों ने सतातन धर्म की शिक्षाओं का समाज में प्रसार किया। बाबा नीब करौरी महाराज के आदर्श और उनकी शिक्षाओं को आज पश्चिम जगत में भी लोग स्वीकार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बाबा ने अपना पूरा जीवन महज एक कंबल में व्यतित किया। वह दिखावे और आडंबरों से दूर रहते थे। बाबा ने हनुमान जी के अनेकों मंदिरों का निर्माण कराया और जीवन में पूजा के महत्व और ईश्वरिय साधना को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि बाबा नीब करौरी जैसे संतों ने राष्ट्र और समाज की भलाई के लिए सभी को एक साथ जोड़ कर रखा। जातिगत भेदभाव को वह हिंदू मेंधर्म के विपरित मानते थे। उन्होंने बताया कि आज की पीड़ी इस पुस्तक से शिक्षा लेकर बाबा नीब करौरी महाराज के रास्ते पर चलेगी तो उनका कल्याण होगा।