मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने पुलिस को मुंबई के एक पॉश क्लब में नाबालिग लड़के का शोषण करने की घटना की जांच करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की पीठ ने राज्य सरकार से याचिका के जवाब में हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया है। बांद्रा पुलिस स्टेशन में की गई शिकायत के अनुसार, क्लब के एक सदस्य ने शिकायत किया कि एक कर्मचारी ने उनके नाबालिग बेटे का यौन उत्पीड़न किया है।
न्यायालय ने पीड़ित के पिता द्वारा की गई शिकायत के आधार पर जांच का निर्देश दिया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उसके बेटे के साथ पश्चिमी उपनगर बांद्रा में एक पॉश क्लब के एक कर्मचारी ने उसका यौन शोषण किया।
इसके बाद, उक्त कर्मचारी को पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया और वर्तमान में वह बांद्रा पुलिस स्टेशन की हिरासत में है। हालांकि क्लब के सचिव सुनील मोटवानी ने इस कथित घटना से इनकार किया है।
क्लब की अनुशासन समिति के एक सदस्य ने कहा कि कुछ सप्ताह पहले बच्चे ने क्लब में खाना ऑर्डर किया था। खाना मिलने में देरी हुई तो वह रसोई घर गया जहां आरोपी, जो रसोई में कैशियर है, ने उसे बाहर निकलने के लिए कहा और जब बच्चे ने कथित रूप से वहां से जाने से मना कर दिया तो कैशियर ने उसे बाहर निकाल दिया।
आरोपी कैटरिंग ठेकेदार का कर्मचारी है। आरोप है कि धक्का-मुक्की के दौरान उसने अपनी उंगली से उसका उत्पीड़न किया। जब अभिभावक ने क्लब प्रबंधन से शिकायत की तो सीसीटीवी कैमरे का फुटेज देखा गया, लेकिन लड़के को बाहर निकालने के अलावा यौन उत्पीड़न का कोई सबूत नहीं मिला।
ऐहतियातन क्लब ने बांद्रा पुलिस को पत्र लिखकर घटना की जानकारी दी। हालांकि, बच्चे ने पिता को बताया था कि उसे अनुचित रूप से छुआ गया था जिसके बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज की।
इस बीच, क्लब ने आरोप लगाया है कि बच्चे के अभिभावक ने क्लब परिसर के बाहर आरोपी के साथ बुरी तरह से मारपीट की। आरोपी को गिरफ्तार करने वाली बांद्रा पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।