नागपुर। आगामी लोकसभा चुनावों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने स्वयंसेवकों को देश का ध्यान राष्ट्रीय मुद्दों पर आकर्षित करने तथा शत प्रतिशत मतदान कराने का लक्ष्य दिया है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के तीन दिन के अधिवेशन के समापन अवसर पर सभा में आज पुन: निर्वाचित हुए सरकार्यवाह दत्तोत्रेय होसबाले ने संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही। उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र का महापर्व भी आ रहा है। देश को अधिक मजबूत करने की जरूरत है।
देश की दृष्टि से लोकतंत्र काे बनाए रखना और प्रगति की रफ्तार को बयान रखना आवश्यक है। शत प्रतिशत मतदान के लिए प्रयत्न करना और समाज में किसी भी प्रकार के आंतरिक वैमनस्य एवं एकता के बिखराव को रोकने, देश की उन्नति एवं सफलता, सार्थकता के लिए काम करना हमारी राष्ट्रीय जिम्मेदारी है।
आगामी लोकसभा चुनावों में संघ एवं स्वयंसेवकों की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर होसबाले ने कहा कि चुनाव में शत प्रतिशत मतदान हो, यह स्वयंसेवकाे का प्रयत्न होना चाहिए। दूसरा राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर समाज और लोगों का ध्यान आकर्षित करना और उन पर एकमत बने, ऐसा प्रयास करना चाहिए। संघ के स्वयंसेवक को पार्टी के कार्य नहीं करने चाहिए लेकिन लोकमत के परिष्कार के कार्य अवश्य करते रहने चाहिए।
चुनावी बॉण्ड के बारे में चर्चाओं पर संघ का रुख पूछने पर सरकार्यवाह ने कहा कि प्रतिनिधि सभा की बैठक में इस पर कोई चर्चा नहीं हुई और ना ही कोई विचार मंथन हुआ है। पर संघ ने पहले कहा था कि चुनावी बॉण्ड प्रयोग के नाते लाया गया था, ताे स्वाभाविक है कि उसे लेकर प्रश्न उठेंगे। ऐसे में उन सब बातों में संतुलन बनाना चाहिए। प्रयोग को छोड़ दिया जाए ऐसा संघ का मत नहीं है।
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर बनने के बाद काशी एवं मथुरा के बारे में संघ का रुख पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से हर रोग के लिए एक ही दवा नहीं हो सकती है, उसी प्रकार से हर मुद्दे के लिए एक ही प्रकार को आंदोलन नहीं हो सकता है। अयोध्या का मामला अदालत से हल हुआ है, काशी एवं मथुरा के मुद्दे भी अदालत में हैं, देखते हैं कि ये दोनों मुद्दे भी अदालत से ही हल हो जाएं। तब अयोध्या जैसे आंदोलन की जरूरत ही नहीं होगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लिए योगदान के आह्वान पर संघ की प्रतिक्रिया पूछे जाने पर सरकार्यवाह ने कहा कि अमृतकाल के संदर्भ में हमने सार्वजनिक रूप से कहा है कि हम एक समर्थ, समृद्ध, स्वाभिमानी, स्वावलंबी एवं शक्तिशाली भारत बने, इसके पक्ष में हैं क्योंकि भारत का उत्थान केवल देश के लिए नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए होगा।
समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू हुई है जिसका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने स्वागत किया है। विवाह, तलाक, उत्तराधिकार जैसे चार पांच मुद्दों पर इसे लागू किया गया है। कुछ जगहों पर आदिवासियों के अधिकारों को लेकर जटिल प्रश्न हैं, इनका समाधान किया जा रहा है। हमारा आग्रह रहेगा कि देश भर में समान नागरिक संहिता होनी चाहिए।
केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार के दस वर्ष के कार्यकाल का संघ किस प्रकार से विश्लेषण करता है, यह पूछे जाने पर होसबाले ने कहा कि चार जून को देशवासियों का विश्लेषण सामने आ जाएगा। लेकिन मोटे तौर पर दस वर्षों में देश का मान बढ़ा है, प्रगति हुई है, ऐसा सबका अनुभव है। दुनिया के तमाम शीर्ष अर्थवेत्ताओं ने कहा है कि अगली सदी भारत की है तो उन्होंने भी कुछ ऐसा ही अनुभव किया होगा।
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विनियम अधिसूचित होने के संबंध में एक सवाल के जवाब में सरकार्यवाह ने कहा कि 2014 इसकी कट ऑफ तिथि रखी गई है। यदि भविष्य में आवश्यकता हुई तो इसे बढ़ाया जा सकता है।
अल्पसंख्यकों को लेकर एक सवाल के जवाब में होसबाले ने कहा कि वह अल्पसंख्यक शब्द की अवधारणा को उचित नहीं मानते हैं। मुस्लिम एवं ईसाई को गैर हिन्दू पंथ के रूप में देखा जाता है। संघ उनके साथ ही संवाद करता है और सरसंघचालक ने पिछले कुछ वर्षों में अनेक मतावलंबियों के साथ संवाद किया है। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में भी तमाम ईसाई एवं मुस्लिम स्वयंसेवक हैं लेकिन संघ उनको शोपीस बना कर पेश नहीं करना चाहता है। हम रूढ़ार्थ में राष्ट्रीयता की दृष्टि से उन सबको हिन्दू मानता है।
किसान आंदोलन के बारे में एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि पिछले दिनों किसान आंदोलन में किसानों के मुद्दे कम और स्थिति को बिगाड़ने का प्रयास अधिक था। अलगाववादी, आतंकवादी तत्व भी मौजूद थे। इसी प्रकार संदेशखाली की घटना के बारे में सरकार्यवाह ने कहा कि समाज में ऐसी घटनाओं को लेकर जागृति लानी चाहिए। राजनीतिक दलों को ऐसे विषयों पर एकमत होकर काम करना चाहिए और अपराधियों को कठोर दंड सुनिश्चित करना चाहिए।
महिला सुरक्षा को लेकर संघ की राय पूछे जाने पर होसबाले ने कहा कि हम चाहते हैं कि इसके लिए बहनें स्वयं विचार कर योजना बनाएं, हम साथ देंगे। उन्होंने कहा कि संघ चाहता है कि समाज में हर क्षेत्र में महिलाओं को केवल देवी या दासी के दृष्टिकोण से नहीं बल्कि उनके कृतित्व के आधार पर देखा जाए। कला, शिक्षा, साहित्य आदि हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी अधिक से अधिक बढ़नी चाहिए।