सिरोही/जालोर। राजस्थान में पिछले बीस साल साल से भारतीय जनता पार्टी के दबदबे वाले जालौर-सिरोही लोकसभा क्षेत्र में फिर से अपनी साख कायम करने के लिए कांग्रेस ने इस बार पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को चुनाव मैदान में उतारा है जहां उनका मुख्य मुकाबला भाजपा उम्मीदवार लुंबाराम चौधरी से होने के आसार हैं।
हालांकि इस क्षेत्र में वर्ष 1952 से 2019 तक हुए लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक सात चुनावों में जीत दर्ज करके कांग्रेस का दबदबा रहा है लेकिन वर्ष 2004 से पिछले चार चुनावों में लगातार भाजपा बाजी मारकर क्षेत्र में अपना राजनीतिक दबदबा कायम कर लिया है। भाजपा ने इससे पहले वर्ष 1989 में यहां से चुनाव जीतकर अपना खाता खोला था।
इस बार कांग्रेस ने उलटफेर करते हुए वैभव गहलोत को उनके पिता अशोक गहलोत के गृह जिले एवं उनकी साख वाले जोधपुर क्षेत्र से चुनाव मैदान में नहीं उतारकर जालौर सिरोही क्षेत्र में आजमाया है। वैभव गहलोत पिछला लोकसभा चुनाव जोधपुर से भाजपा प्रत्याशी गजेन्द्र सिंह शेखावत से हार गए थे।
इस बार लोकसभा चुनाव में जोधपुर से गहलोत भी चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और वह जालौर में अपने पुत्र को जिताने में लगे हैं। जालौर से भाजपा एवं कांग्रेस उम्मीदवार के अलावा भारतीय आदिवासी पार्टी के उम्मीदवार ओटाराम ने भी ताल ठोक रखी है। बीएपी के अलावा अन्य कुछ दलों के प्रत्याशियों एवं निर्दलीय सहित इस चुनाव में नौ उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपना चुनावी भाग्य आजमा रहे हैं। इस क्षेत्र में दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होगा।
इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा चार बार बूटा सिंह ने प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने यहां से तीन बार कांग्रेस प्रत्याशी एवं एक बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप लोकसभा का चुनाव जीता जबकि भाजपा के देवजी पटेल तीन बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।
कब किस पर मेहरबान हुई जनता
वर्ष 1952 के पहले लोकसभा चुनाव में यहां निर्दलीय उम्मीदवार भवानी सिंह ने चुनाव जीतकर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले पहले सांसद बने। इसके बाद वर्ष 1957 में हुए दूसरे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सूरज रतन दामानी ने चुनाव जीता। इसके बाद 1962 के चुनाव में कांग्रेस के ही हरीश चंद्र माथुर, 1967 में स्वतंत्र पार्टी के देवकीनंदन पाटोदिया, 1971 के चुनाव में फिर कांग्रेस के नरेन्द्र कुमार सांघी, 1977 में जनता पार्टी के उम्मीदवार हुकम राम, वर्ष 1980 में कांग्रेस (आई) के वृंदा राम फुलवारियां, 1984 में कांग्रेस के बूटा सिंह, 1989 में भाजपा के कैलाश मेघवाल, 1991 में फिर कांग्रेस के बूटा सिंह, 1996 में कांग्रेस के ही परसा राम मेघवाल, 1998 में फिर बूटा सिंह (निर्दलीय), एवं वर्ष 1999 में भी कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में बूटा सिंह, वर्ष 2004 में भाजपा की सुशीला बंगारू ने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद वर्ष 2009, 2014 एवं 2019 में भाजपा के ही देवजी पटेल ने पन्द्रह वर्षों तक लगातार तीन बार सांसद रहे। इस बार उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया और उनकी जगह लुंबाराम चौधरी को चुनाव मैदान में उतार दिया जहां उनका मुख्य मुकाबला कांग्रेस के वैभव गहलोत से माना जा रहा है।
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