पुणे। सनातन संस्था के रौप्य महोत्सव के उपलक्ष्य में सनातन धर्म पर हो रही टीका-टिप्पणी को उत्तर देने व सनातन धर्म का गौरव बढाने के लिए रविवार शाम पुणे में 9000 से भी अधिक हिन्दुओं ने एकत्र आकर सनातन गौरव दिंडी निकाली। इसमें 20 से भी अधिक विविध संप्रदाय-संगठन सम्मिलित हुए थे। शहर में अनेकानेक स्थानों पर रंगोली बनाकर और दिंडी (फेरी) पर पुष्पवृष्टि कर लोगों ने दिंडी का सम्मान किया।
प्रारंभ में पुणे के श्रीमती लक्ष्मीबाई दगडूशेठ हलवाई दत्त मंदिर के विश्वस्त राजेंद्र बलकवडे एवं श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सुनील रासने ने धर्मध्वज पूजन किया। इसके बाद भिकारदास मारुति मंदिर से (महाराणा प्रताप उद्यान से) सनातन गौरव दिंडी का भक्तिमय वातावरण में देवी-देवताओं के जयघोष से प्रारंभ हुआ।
इस दिंडी में सनातन संस्था की सद़्गुरु स्वाती खाडये, गजानन बळवंत साठे, संगीता पाटिल, मनीषा पाठक आदि संतों की वंदनीय उपस्थिति थी। इसके साथ ही स्वातंत्र्यवीर सावरकर विचार मंच के महामंत्री विद्याधर नारगोलकर, महाराष्ट्र गोसेवा अध्यक्ष शेखर मुंदडा, श्री संप्रदाय की महिला अध्यक्ष सुरेखा गायकवाड, गायकवाड, पतित पावन संगठन पुणे के अध्यक्ष स्वप्निल नाईक एवं ग्राहक पेठ के कार्यकारी संचालक सूर्यकांत पाठक, सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता चेतन राजहंस एवं हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र संगठक एवं महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के राज्य समन्वयक सुनील घनवट उपस्थित थे।
सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता चेतन राजहंस ने कहा कि सनातन संस्था गत 25 वर्षाें से निस्वार्थभाव से सनातन हिन्दू धर्म की सेवा कर रही है। सनातन धर्म पर मंडराते संकटों के विरोध में खडी है। सनातन धर्म पर आरोपों का खंडन करना, हिन्दुओं को धर्मशिक्षा देकर धर्माचरण के लिए प्रेरित करना, सभी को एकत्र कर धार्मिक एकता के लिए और धर्मरक्षा के लिए सनातन संस्था ने अविरत काम कर रही है।
आज कोई भी उठता है और सनातन धर्म को डेंग्यू-मलेरिया की उपमा देकर सनातन धर्म के निर्मूलन की बात करता है, इसके लिए अनेकानेक परिषदें आयोजित की जाती हैं। हिन्दुओं को संगठित होकर अब उन्हें योग्य उत्तर देने की आवश्यकता है। इसके लिए सनातन संस्था के रौप्य महोत्सव के उपलक्ष्य में हिन्दुओं ने एकत्र होकर सनातन गौरव दिंडी निकाली। इसमं देवी-देवता और संतों की पालकियों सहित 70 से भी अधिक पथक सम्मिलित हुए।
प्रभु श्रीराम का जयघोष करते हुए निकाली हुई इस दिंडी में महाराष्ट्र की कुलदेवी श्री तुळजाभवानी माता, श्रीविठ्ठल-रुक्मिणीमाता, श्रीखंडोबा-म्हाळसादेवी, संत सोपानदेव, छत्रपति शिवाजी महाराज एवं सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की प्रतिमा युक्त और पुष्पों से सुसज्जित पालकियां सम्मिलित हुई।
नौ गज की साडी परिधान किए हिन्दू संस्कृति के दर्शन करवाने वाली पारंपरिक वेश के साधक, कार्यकर्ता, तुलसी धारण किए हुए महिलाएं, छत्रपति शिवाजी महाराज, शिवाजी के मावळे (सैनिक), बाजीप्रभु देशपांडे, झांसी की रानी लक्ष्मीबाईं के वेश में बालक-बालिकाएं, इसके साथ ही रणरागिनी द्वारा दिखाए गए स्वरक्षा के प्रात्यक्षिक (Demo), इस दिंडी के मुख्य आकर्षण रहे। दिंडी में 70 से भी अधिक पथक, 20 से भी अधिक आध्यात्मिक संस्थाएं, संगठन, संप्रदाय, मंडल, मंदिरों के विश्वस्त सम्मिलित हुए। दिंडी के मार्ग में 12 से भी अधिक स्थानों पर धर्मप्रेमी, समाज के विविध गणमान्य, प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने दिंडी का स्वागत कर धर्मध्वज पूजन किया।
वीर सावरकर स्मारक के सामने विमलाबाई गरवारे प्रशाला के मैदान में दिंडी का समापन हुआ। इस अवसर पर उपस्थित मान्यवरों ने अपना मनोगत व्यक्त किया। दिंडी के अंत में सनातन संस्था के पुणे निवासी चैतन्य तागडे ने दिंडी में सम्मिलित लोगों का आभार व्यक्त किया।