हमारी सांस्कृतिक धरोहर जीवित रहना चाहिए
अजमेर। जैनाचार्य सुनील सागर जी महाराज ने मंगलवार सुबह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं के साथ पुरातत्व महत्व के स्थल ढाई दिन झोपड़ा का अवलोकन किया। महाराज सुबह 6.30 बजे अचानक वहां पहुंच गए। इससे मुस्लिम बहुल इलाके में सनसनी फैल गई। मौके पर मौजूद मुस्लिमों ने उनके प्रवेश पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह मस्जिद है और इसमें जैन सन्त दिगम्बर अवस्था में प्रवेश नहीं कर सकते। इस पर विहिप नेताओं ने कहा कि यह ऐतिहासिक धरोहर भारत सरकार के अधीन है और इसमें प्रवेश के लिए किसी को रोका नहीं जा सकता है। बाद में आपसी समझाइश से वे जैन सन्तों के प्रवेश को लेकर रजामंद हुए।
अढ़ाई दिन का झोपड़ा पूर्व में संस्कृत पाठशाला था जिसे कुतुबुद्दीन ऐबक के समय तोड़फोड़ कर अढ़ाई दिन का झोपड़ा का स्वरूप दे दिया गया था। यह स्मारक भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग के अधीन है और यहां पर्यटकों एवं दर्शकों का प्रवेश निःशुल्क है। इसके बावजूद यहां कुछ लोग आमजन को प्रवेश से रोकते हैं।
यह सांस्कृतिक धरोहर को देखने के लिए जैनाचार्यअपने संघ सहित 100 से अधिक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं के साथ नसियां से रवाना हुए। देहली गेट, दरगाह बाजार होते हुए अढाई दिन झोपड़ा पहुंचे। उन्होंने परिसर का अवलोकन किया। यहां एएसआई का दफ्तर भी है जिसमें कई मूर्तियां रखी हुई हैं।
धार्मिक सांस्कृतिक धरोहर को देखकर जैनाचार्य ने कहा कि निश्चित रूप से यहां मंदिर एवं संस्कृत पाठशाला के अवशेष हैं। आपसी सहमति से भारतीय संस्कृति, श्रमण संस्कृति और संस्कृत पाठशाला का गौरव पुनर्स्थापित होना चाहिए।
इतिहास गवाह है कि किस तरह से हमारे पूर्वजों ने धर्म संस्कृति को बनाए रखा। इतिहास के पन्नों को टटोला जाए तो हमारी पौराणिक संस्कृति हमारे इतिहास का परिचय दे देगी। यहां संस्कृत पाठशाला एवं मंदिर के पौराणिक अवशेष के संकेत आज भी पारदर्शित होते हैं। यहां खुदाई और सर्वे हो तो और भी जैन मूर्तियां एवं सांस्कृतिक अवशेष मिलेंगे। अवलोकन के पश्चात जैन सन्त पुनः लौट आए। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शशि प्रकाश इंदौरिया, संजय तिवारी, तुलसी सोनी, प्रदीप पाटनी आदि भी आदि जैनाचार्य के साथ रहे।
जाग्रति मंच के प्रवक्ता संदीप बोहरा ने बताया कि श्रद्धांजलि सभा के साथ मुनि सम प्रतिष्ठित सागर जी महाराज को याद किया गया। बड़ा धड़ा नसियां जी की प्रवचन सभा में महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि मुनि सम प्रतिष्ठित सागर जी महाराज ने उत्कृष्ट समाधि मरण को प्राप्त किया। त्याग, तपस्या, संयम की साधना के माध्यम से अपनी देह त्याग कर प्रभु की शरण प्राप्त कर ली।
आज की प्रवचन सभा में आचार्य सुनील सागर जी महाराज के पाद पक्षालन शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य सुप्रिया अनिल गादिया परिवार को प्राप्त हुआ।