परीक्षित मिश्रा
सबगुरु न्यूज-सिरोही। दो महीने की शांति के बाद सिरोही भाजपा में फिर से हलचल देखने को मिल रही है। फिर से असंतोष नजर आ रहा है। इस असंतोष की वजह वही है जो सत्ता के चरम पर होने के दौरान कभी कांग्रेस में हुआ करती थी। वो वजह है राजनीतिक पदों के वितरण में अपनी-अपनी भागीदारी। इसी भागीदारी ने एक बार फिर से भाजपा में विवाद पैदा कर दिया है और इस विवाद के केन्द्र में फिर से भाजपा जिलाध्यक्ष सुरेश कोठारी है।
हाल में भाजपा जिलाध्यक्ष ने मोर्चों के जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के पत्र निकाले। इसमें युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष के रूप में मनीष लखारा का, महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष के रूप में दक्षा देवडा का, ओबीसी मोर्चा जिलाध्यक्ष के रूप में हार्दिक देवासी का, अनुसूचित जनजाति मोर्चा जिलाध्यक्ष के रूप भावाराम गरासिया का और अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष के रूप में साबिर कुरैशी के मनोनयन का पत्र जिलाध्क्ष सुरेश कोठारी ने जारी किया। इसके बाद जिले भर में भाजपा के व्हाट्स एप समूहों में सुरेश कोठारी के खिलाफ आक्रोश फूट पडा।
– प्रदेश संगठन कोठारी की मंशा पर खडे करवा दिए सवाल
जिला भाजपा के पदाधिकारी और कार्यकर्ता पहले ही इन नियुक्तियों में सुरेश कोठारी के द्वारा संगठन के कायदे ताक पर रखने के आरोप लगा रहे थे। लेकिन, ओबीसी मोर्चा के प्रदेश महामंत्री के महेन्द्रसिंह पंवार के पत्र ने सुरेश कोठारी को कार्यकर्ताओं के बीच में विवादित बना दिया। जितने भी मनोनयन पत्र जारी हुए हैं वो भाजपा जिलाध्यक्ष सुरेश कोठारी के हस्ताक्षर से जारी हुए हैं। इन पत्रों के जारी होते ही भाजपा के जिला कार्यकर्ता सुरेश कोठारी की मंशा पर अंगुली उठाने लगे थे।
उनका तर्क था कि मूल संगठन हो या मोर्चा इनके जिलाध्यक्षों या कार्यकारिणी की घोषणा। इसका आदेश प्रदेशाध्यक्ष की सहमति से प्रदेश महामंत्री अपने लेटर हैड पर करता है। इन पांचों जिलाध्यक्षों के मनोनयन के लिए अपने पत्र के साथ सुरेश कोठारी ने प्रदेश संगठन की सहमति का कोई कवरिंग लेटर जारी नहीं किया। सुरेश कोठारी ने पांचों मोर्चों के जिलाध्यक्षों की घोषणा 31 मई को की थी। लेकिन, 1 जून को ओबीसी मोर्चा के प्रदेश महामंत्री महेन्द्रसिंह पंवार के द्वारा जारी एक पत्र वायरल हो रहा है।
इसके अनुसार वर्तमान ओबीसी मोर्चा जिलाध्यक्ष अमराराम के कार्यों को सराहते हुए उन्हें नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति तक कार्य करते रहने को कहा गया है। जबकि 31 मई को जारी अपने पत्र में सुरेश कोठारी ने हार्दिक देवासी को ओबीसी मोर्चा का जिलाध्यक्ष घोषित कर दिया था। ऐसे में ये माना जा सकता है कि सुरेश कोठारी की घोषणा के बाद भी अमराराम ही फिलहाल ओबीसी मोर्चा के जिलाध्यक्ष के रूप में काम करेंगे। इसी वजह से जिला भाजपा के पदाधिकारी और कार्यकर्ता सुरेश कोठारी पर आरोप लगा रहे हैं कि इन मनोनयनों में उन्होंने प्रदेश मोर्चों के साथ प्रदेश संगठन की भी सहमति नहीं ली और अपनी मर्जी से ही ये मनोनयन किए हैं। वहीं कोठारी के करिबियों का कहना है कि कोठारी ने प्रदेश की अनुमति के बाद ये घोषणाएं की हैं।
-संघ के पदाधिकारी के नाम पर ये नियुक्ति!
महिला मोर्चा के जिलाध्यक्ष के रूप में दक्षा देवडा के नियुक्त होने की भविष्यवाणी सबगुरु न्यूज ने विधानसभा चुनावों के दौरान ही कर दी थी। उस समय भाजपा में महिला मोर्चा के जिलाध्यक्ष अंशु वशिष्ठ के सक्रिय रहते हुए दक्षा देवडा का जिला समयोजक नियुक्त किया था। इसके बाद महिला मोर्चा प्रदेश संगठन और जिला भाजपा पर ये आरोप लगा था कि महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष के सक्रिय रहते हुए भी अंशु वशिष्ठ को हटाकर अपना वर्चस्व कायम करना चाहते हैं। तो ऐसे में इसकी संभावना कम ही लग रही है कि महिला मोर्चा के जिलाध्यक्ष की नियुक्ति में प्रदेश महिला मोर्चा की सहमति नहीं हो।
सबसे ज्यादा विवाद हो रहा है भाजपा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर। चर्चा ये है कि इस नियुक्ति को लेकर विवाद को थामने के लिए आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी की सिफारिश की आड ली जा रही है। गोपाल माली की जगह मनीष लखारा को भाजपा युवा मोर्चा का जिलाध्यक्ष घोषित किया गया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार मनीष लखारा आबूरोड में आरएसएस के सह नगर कार्यवाह रह चुके हैं। ऐसे में बचपन से ही इस क्षेत्र में काम करने के कारण इस क्षेत्र में सक्रिय संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी से अत्यधिक घनिष्ठता रही।
इस निर्णय से नाराज भाजपा के युवा कार्यकर्ताओं का अरोप है कि मनीष लखारा की नियुक्ति के लिए संघ के इन्हीं वरिष्ठ पदाधिकारी की सिफारिश किए जाने का दावा किया जा रहा है ताकि कोई विरोध नहीं करे। वैसे मनीष लखारा के विरोध की एक वजह आबूरोड नगर पालिका चुनाव भी है। भाजपा आबूरोड सोशल मीडिया समूहों में ये आरोप लग रहा है कि संगठन के विरोध में काम करने वालों को ईनाम दिया जा रहा है।
इन समूहों से ही जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार आबूरोड नगर पालिका के पिछले चुनावों में वार्ड संख्या 13 के भाजपा प्रत्याशी भूपेन्द्र सांबरिया का असहयोग करने के आरोप में वो घिरे हुए हैं। भाजपा के कार्यकर्ताओं की ये भी दलील है कि संघ मे ंतो सैंकडों कार्यकर्ता हैं। उनके किसी न किसी पदाधिकारी से घनिष्ठता है। तो इनमें से ऐसे कार्यकर्ता को क्यों नहीं चुना गया जिसका भाजपा में काम करने का लम्बी अनुभव है और वो लोगों को भाजपा से जोड सके।
-आबूरोड को छोड पूरा जिला नकारा!
भाजपा जिलाध्यक्ष ने जिन पांच मोर्चों के जिलाध्यक्षों की घोषणा की है वो रेवदर विधानसभा और आबूरोड शहर से संबंधित हैं।ऐसे में इन प्रमुख पदों पर सिर्फ एक ही शहर और विधानसभा को तरजीह देने की आपत्ति भी जिले भर में भाजपा में है। भाजपा में ही ये स्वर उठ रहे हैं कि ये वो विधानसभा और शहर है जहां पर ये लोग अपने ही प्रत्याशी को विधानसभा चुनावों मे ंनहीं जिता पाए।
भाजपा जिलाध्यक्ष सुरेश कोठारी खुद आबूरोड शहर और रेवदर विधानसभा के है। ऐसे में सिरोही और पिण्डवाडा-आबू विधानसभा के भाजपा पदाधिकारी और कार्यकर्ता उन पर क्षेत्रवाद फैलाने का आरोप भी लगा रहे हैं। उनका कहना है कि जिलाध्यक्ष को पूरे जिले में आबूरोड को छोडकर कहीं भी योग्य भाजपा कार्यकर्ता नहीं मिले जिन्हें इन पदों पर मनोनीत किया जा सके।
मोर्चों के नवनियुक्त जिलाध्यक्षों में मनीष लखारा, दक्षा देवडा, भावाराम गरासिया और साबिर कुरैशी का रहवास और कार्यक्षेत्र रेवदर विधानसभा और आबूरोड शहर है। विधानसभा चुनावों में सिरोही जिले की तीन सीटों में से जिस रेवदर विधानसभा सीट पर भाजपा 20 साल बाद हारी थी ये सब उसी विधानसभा में सक्रिय रहे थे। हार्दिक देवासी जरूर सिरोही शहर के है, लेकिन ओबीसी प्रकोष्ठ के प्रदेश महामंत्री के द्वारा नई नियुक्ति तक अमराराम को ही यथावत काम करने का पत्र जारी होने के बाद उनके मनोनयन पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।
अगर अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष की नियुक्ति प्रदेश मोर्चा की तरफ से रोकी नहीं जाती तो इस सूची में आबूरोड शहर के ही पांचवे मोर्चा जिलाध्यक्ष का नाम भी जुड जाता। पार्टी सूत्रों की मानें तो सभी मोर्चों के साथ अनुसूचित जाति मोर्चा के जिलाध्यक्ष का नाम भी प्रदेश में भेजा गया था। पार्टी सूत्रों के अनुसार इस पद के लिए नारायण टिलानी को प्रमुखता मिली थी। टिलानी का आबूरोड में पेट्रोल पम्प है।
इनकी पुत्री डा दर्शिता टिलानी ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रेवदर विधानसभा से भाजपा के टिकिट के लिए सबसे प्रबल दावेदारी करते हुए परिवर्तन संकल्प यात्रा में होर्डिंगों और बैनरों के मामले में मूल संगठनों को भी पीछे छोड दिया था। नारायण टिलानी आबूरोड में सुरेश कोठारी के सबसे करीबी लोगों में माने जाते हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार प्रदेश द्वारा अनुसूचित जाति मोर्चा के जिलाध्यक्ष की घोषणा इस दलील पर रोकी गई कि पैनल में जिले से तीन नाम मांगे गए थे, लेकिन एक ही नाम वहां पर पहुंचा था।