भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री की शपथ लेने वाले भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठतम नेताओं में से एक शिवराज सिंह चौहान का न केवल बहुत बड़ा जनाधार है, बल्कि लगभग 16 साल से भी ज्यादा समय तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर रहे चौहान की महिला और किसान हितैषी के रूप में बहुत लोकप्रिय छवि रही है।
समूचे मध्यप्रदेश में ‘मामा’ के नाम से बेहद मशहूर चौहान इस बार छठवीं बार सांसद के रूप में निर्वाचित हुए हैं। पांच मार्च 1959 को सीहोर जिले के जैत में जन्मे चौहान इस बार राज्य की विदिशा संसदीय सीट से लगभग आठ लाख से ज्यादा मतों से जीत कर आए हैं और देश में सर्वाधिक मतों के अंतर से जीत हासिल करने वाले सांसदों में शुमार हैं।
वर्ष 1972 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक रहे चौहान ने सबसे पहले 29 नवंबर 2005 को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद वे लगातार वर्ष 2018 तक (राज्य में कमलनाथ सरकार की ताजपोशी तक) राज्य के मुख्यमंत्री रहे। वर्ष 2020 में एक बार फिर राज्य में भाजपा की सरकार बनने पर उन्होंने चौथी बार राज्य के मुखिया पद की शपथ ली। वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने एक बार फिर अपनी परंपरागत सीट बुधनी विधानसभा में जीत हासिल की। वे राज्य में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर रहे।
चौहान बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए लगातार महिला हितैषी योजनाओं के लिए भी देश भर में चर्चाओं का केंद्र बने रहे। उन्होंने राज्य में लाड़ली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना और लाड़ली बहना योजना जैसी बेहद लोकप्रिय योजनाओं के चलते महिला हितैषी की छवि बनाई। इन योजनाओं का देश में कई राज्यों ने अनुसरण किया। इसी के चलते उन्हें राज्य भर में ‘मामा’ के नाम से पहचाना जाता है। इसके अलावा वे किसानों के लिए सिंचाई संबंधित योजनाओं को लेकर भी खासे लोकप्रिय रहे। जमीन से जुड़े नेता चौहान स्वयं को हर मंच पर किसान पुत्र बताते रहे हैं।
आपातकाल के दौरान जेल में निरुद्ध रहे चौहान भाजपा संगठन में भी उच्च पदों पर रहे हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष रह चुके चौहान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं। एमए तक शिक्षित चौहान की पत्नी साधना सिंह चौहान भी राज्य में एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर लगातार सक्रिय रही हैं। चौहान के दो पुत्र हैं।