बेंगलूरु। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को अपराध जांच विभाग (सीआईडी) को पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज पोक्सो मामले में उन्हें 17 जून तक गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दिया।
येदियुरप्पा की ओर से पेश हुए अधिवक्ताओं ने संवाददाताओं से कहा कि अदालत ने अधिकारियों को येदियुरप्पा के खिलाफ बलपूर्वक कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है, क्योंकि वह उनके साथ सहयोग कर रहे हैं। येदियुरप्पा 17 जून को विशेष जांच दल (एसआईटी) के समक्ष पेश होंगे।
भारतीय जनता पार्टी के वयोवृद्ध नेता के खिलाफ यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों के कारण यह मामला राज्य में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह विवाद 54 वर्षीय महिला की शिकायत के बाद शुरू हुआ, जिसने दावा किया कि येदियुरप्पा ने फरवरी में अपने आवास पर एक बैठक के दौरान उसकी 17 वर्षीय बेटी का यौन उत्पीड़न किया था। शिकायतकर्ता की पिछले महीने फेफड़ों के कैंसर से मौत हो गई, जिसके बाद कानूनी ड्रामे में एक और मार्मिक मोड़ आ गया।
येदियुरप्पा ने बुधवार को अपने खिलाफ पॉक्सो के आरोपों को खारिज करने के लिए उच्च न्यायालय में एक जोरदार दलील दी। इसके बावजूद अगले ही दिन सीआईडी के कहने पर एक विशेष अदालत ने उनके खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। येदियुरप्पा ने 12 जून को सीबीआई की ओर से तलब किए जाने के बावजूद नई दिल्ली में अपनी प्रतिबद्धताओं का हवाला देते हुए और समय मांगा था।
उच्च न्यायालय ने 80 वर्षीय नेता की उम्र और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को स्वीकार करते हुए उन्हें अब अस्थायी राहत दे दी है। मामले की अगली सुनवाई 17 जून को होगी।