तिहाड़ में बंद केजरीवाल को मिली जमानत, शुक्रवार बाहर आने की संभावना

नई दिल्ली। दिल्ली आबकारी नीति कथित घोटाले से संबंधित धनशोधन के आरोप में 21 मार्च को गिरफ्तार और तिहाड़ जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गुरुवार को विशेष अदालत ने बड़ी राहत देते हुए जमानत दे दी।

राऊज एवेन्यू स्थित प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अवकाशकालीन न्यायाधीश नियाय बिंदू ने केजरीवाल और ईडी की दलीलें दो दिनों तक सुनने के बाद गुरुवार देर शाम जमानत संबंधी अपना आदेश पारित किया। अदालत ने उन्हें एक लाख रुपए के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया।

आदेश पारित होने के बाद ईडी ने जमानत को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की दलील देते हुए विशेष अदालत से अनुरोध किया कि जमानत बांड पर हस्ताक्षर को 48 घंटे के लिए टाला जा सकता है, लेकिन विशेष न्यायाधीश ने ईडी की इस गुहार को ठुकराते हुए आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि जमानत बांड कल ड्यूटी जज के समक्ष पेश किया जाना है। आम आदमी पार्टी के संयाेजक केजरीवाल की जमानत बांड संबंधी प्रक्रिया पूरी होने के बाद शुक्रवार को जेल से बाहर निकालने की संभावना है।

सुनवाई के दौरान केजरीवाल का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील विक्रम चौधरी ने ईडी द्वारा पेश की गई सामग्री की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। उन्होंने दलील दी कि मामले में गवाहों, माफी दिए गए और सरकारी गवाह बन गए लोगों के बयानों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि आम चुनाव की घोषणा के तुरंत बाद याचिकाकर्ता को गिरफ्तार कर लिया गया था, जिससे एजेंसी की जांच की निष्पक्षता पर संदेह होता है।

चौधरी ने अदालत के समक्ष यह भी दलील दी कि केजरीवाल को अभी तक सीबीआई द्वारा गिरफ्तार नहीं किया गया है। सीबीआई ने उन्हें मामले में गवाह बताया था। उन्होंने यह भी दलील दी कि केजरीवाल के मामले की तुलना पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के मामले से नहीं की जा सकती, क्योंकि उन्हें सीबीआई और ईडी दोनों ने गिरफ्तार किया था। वरिष्ठ अधिवक्ता ने मामले में मुख्यमंत्री केजरीवाल को फंसाने के लिए सह आरोपियों चनप्रीत सिंह, विनोद चौहान और विजय नायर को शामिल करने की ईडी की कोशिश पर भी सवाल उठाया।

ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जमानत का जोरदार विरोध किया। उन्होंने दलील दी कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने जांच के दौरान सहयोग नहीं किया। केजरीवाल ने अपने मोबाइल फोन का पासवर्ड भी नहीं बताया था, जो सामान्य आपराधिक मामले में इनकार करने का आधार भी हो सकता है।

इससे पहले विशेष अदालत ने केजरीवाल को अपने खराब स्वास्थ्य जांच के लिए सात दिनों की अंतरिम जमानत देने से पांच जून को इनकार कर दिया गया था। उच्चतम न्यायालय ने हालांकि केजरीवाल को लोकसभा चुनाव प्रचार में भाग लेने ने के लिए 10 मई को एक जून तक की अंतिम जमानत दी थी। शीर्ष अदालत ने उन्हें दो जून को जेल प्रशासन के समक्ष आत्मसमर्पण करने का भी निर्देश दिया था, जिसका उन्होंने पालन किया था।

आप संयोजक को दिल्ली आबकारी नीति -2021-22 (जो विवाद के बाद रद्द कर दी गई थी) में कथित घोटाले में ईडी ने 21 मार्च 2024 को गिरफ्तार किया था। केजरीवाल को गिरफ्तार करने वाली ईडी ने उन पर मुख्य साजिशकर्ता होने का आरोप लगाया है। उन पर पूर्व के गोवा विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए 100 करोड़ रुपए गलत तरीके से हासिल करने का आरोप है। केजरीवाल ने ईडी की ओर से अपनी गिरफ्तारी की वैधता को चुनौती दी थी।

केंंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 17 अगस्त 2022 को आबकारी नीति बनाने और उसके कार्यान्वयन में की गई कथित अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए एक आपराधिक मुकदमा दर्ज किया था। इसी आधार पर ईडी ने 22 अगस्त 2022 को धनशोधन का मामला दर्ज किया था।

ईडी का दावा है कि आप के शीर्ष नेताओं दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया, राज्यसभा सांसद संजय सिंह सहित अन्य ने अवैध कमाई के लिए ‘साजिश’ रची थी। इस मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री फिलहाल न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं। शीर्ष अदालत ने चार जून को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिलने के बाद शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

गौरतलब है कि इस मामले में आप सांसद सिंह को उच्चतम न्यायालय ने दो अप्रैल को राहत दी। शीर्ष अदालत ने उन्हें जमानत की अनुमति के साथ ही संबंधित विशेष अदालत को जमानत की शर्ते तय करने का भी निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत के इस आदेश के मद्देनजर राऊज एवेन्यू स्थित एक विशेष अदालत ने तीन अप्रैल को उन्हें सशर्त तिहाड़ जेल से रिहा करने का आदेश पारित किया था।