सरकार बदलते ही सिरोही पुलिस के लिए वैकल्पिक हुई महिला सुरक्षा़!

सिरोही पुलिस द्वारा सिरोही और आबूरोड में जोरशोर से शुरु की है लेडी पैट्रोलिंग का एक्स अकाउंट पर लोड की गई सूचना।
सिरोही पुलिस द्वारा सिरोही और आबूरोड में जोरशोर से शुरु की है लेडी पैट्रोलिंग का एक्स अकाउंट पर लोड की गई सूचना।

सबगुरु न्यूज-सिरोही। हाल में वायरल ऑडियो ये बता रहा है कि चुनाव से पहले हर मंच पर जाकर अशोक गहलोत सरकार के दौरान महिलाओं पर हो रहे अत्याचार और बलात्कार पर हाय तौबा मचाने वाले सिरोही भाजपा और सिरोही के विधायक व राजस्थान के पंचायतराज राज्य मंत्री को ये पता नहीं है कि उनके विधनसभा क्षेत्र में महिला के साथ दुर्व्यवहार कब हुआ।

ऐसी विधानसभा की पुलिस यदि महिला सुरक्षा को वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में रख देवे तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। विकल्प होगा तो महिला सुरक्षा पर ध्यान दिया जाएगा नहीं होगा तो इस व्यव्स्था को पाइपलाइन में डाल दिया जाएगा। ये ही हाल सिरोही पुलिस ने लेडी पेट्रोलिंग की कर दी है। थानों में स्टाफ का अभाव रहा तो महिला पुलिस पेट्रोलिंग बंद कर दी। नहीं हुई तो इसे बहाल कर दी। वैसे भजनलाल सरकार के आने के बाद सिरोही जिले में महिला पुलिस पेट्रोलिंग को नियमित संचालित किया ही नहीं गया है।
– देशभर में कई स्थानों पर शुरू
मनमोहन सरकार में दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर निर्भया फंड शुरू किया गया था। इसी के माध्यम से केन्द्र सरकार प्रतिवर्ष प्रत्येक राज्य को फंड अलोकेट करती है जो महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा में इस्तेमाल किया जाना होता है। इसके माध्यम से जारी राशि को कई राज्य इस्तेमाल नहीं कर सके। दिल्ली में इसके लिए ऑल वूमेन पेट्रोलिंग शुरू की गई थी। तमिलनाडु में पिंक पुलिसिंग शुरू हुई थी। वहीं राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 2018 के चुनावों से पहले जयपुर में महिला पेट्रोलिंग की निर्भया स्क्वायड शुरू की गई थी। इसी फंड से निवर्तमान अशोक गहलोत सरकार ने भी कई जिलों में इसे शुरू किया था।
– सिरोही दो जगह शुरू हुई थी
सिरोही जिले में सिरोही शहर और आबूरोड शहर में दो पहिया वाहन से महिला पुलिस के माध्यम से महिला पेट्रोलिंग शुरू की गई थी। इसके लिए सिरोही शहर में दो लेडी पेट्रोल की शुरूआत 25 अगस्त 2023 को गई थी। इसे तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने शुरू किया था। इसके बाद 4 दिसम्बर 2023 को आबूरोड शहर में एक महिला पुलिस गश्ती दल शुरू किया गया था। इनको स्कूलों, कॉलेजों, भीडभाड वाले स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा के साथ-साथ महिलाओं और छात्राओं से संबंधित अपराधों पर रोकथाम, ऐसी घटना की सूचना पर तुरंत रिस्पॉन्स करने आदि के काम करने थे। सिरोही में ये दल दो शिफ्ट में काम करना था।

सिरोही और आबूरोड में महिला दोपहिया वाहन गश्ती दल के पुलिसकर्मियों और देश व राजस्थान के अन्य हिस्सों में गठित निर्भया स्क्वायड की यूनिफॉर्म एकदम समान है। सामान्य पुलिस कर्मियों से अलग इन्हें गहरे नीले रंग की वर्दी और काली कैप पहननी थी, जिस पर राजस्थान पुलिस का लोगों लगा होना चाहिए। इसके अलावा काली व्हीसल डोर व काला हेलमेट पहनना था। पिछले लम्बे अर्से से सिरोही शहर और आबूरोड में गश्ती दल को निष्क्रिय बनाकर इन पर तैनात पुलिसकर्मियों को थानों बैठाकर दूसरे रूटीन कामों में लगा दिया गया है।
– बंद हुआ सिरोही का फंड या किया डायवर्ट ?
महाराष्ट्र से एक समाचार बीच में काफी छाया रहा। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार वहां पर महिला सुरक्षा के लिए निर्भया फंड से खरीदे गए चार पहिया वाहनों को डायवर्ट करके सरकार ने एमएलए की सुरक्षा में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। पिछले नरेन्द्र मोदी सरकार ने राज्य सभा में अतारांकित प्रश्न के जवाब में बताया कि निर्भया फंड से राज्यों को प्रतिवर्ष राशि जारी हो रही है और राज्यों से जिलों को।
ऐसे में सिरोही जिले में भी इस फंड से राशि आ रही होगी। निर्भया फंड से खरीदे गए दोपहिया वाहनों की लेडी पेट्रोल को लगभग निष्क्रिय करके सिरोही पुलिस इसके संचालन में होने वाले खर्च को कहीं और डायवर्ट तो नहीं कर रही या फिर राज्य सरकार सिरोही को इस फंड से राशि अलोकेट ही नहीं कर रही है। वैसे सिरोही और आबूरोड शहर के पुलिस सूत्रों ने विभाग का बचाव करते हुए ये दलील देने की कोशिश की कि स्कूल कॉलेज बंद हैं इसलिए फिलहाल ये पुलिसकर्मी अन्य कामों मे लगाए गए है।

लेकिन, सवाल ये है कि जब इसका संचालन स्कूल कॉलेजों के अलावा अन्य स्थानों पर महिलाओं और छात्राओं की सुरक्षा के लिए किया गया था तो फिर इसे सिर्फ स्कूल कॉलेजों के संचालन तक सीमित रखने का औचित्य क्या है। वैसे पुलिस अधिकारियों के ये दावे वास्तविकता से परे हैं। ये दल कई महीनों नियमित नहीं है।